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बाल दिवस पर राजस्थान विधानसभा में हुआ 'बाल सत्र'..बच्चे ही बने विधायक, मंत्री, अध्यक्ष..प्रश्नकाल-शून्यकाल में उठे ये मुद्दे

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Published : Nov 14, 2021, 8:28 PM IST

Updated : Nov 14, 2021, 9:54 PM IST

राजस्थान विधानसभा में पहली बार बच्चे ही विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, विधायक और प्रतिपक्ष सदस्यों की भूमिका में नजर आए. मौका था आजादी के अमृत महोत्सव के तहत बाल दिवस पर हुए 'बाल सत्र' का, जिसके जरिए राजनीतिक दलों के एजेंडे में बच्चों के मुद्दों को भी जगह मिल सके.

राजस्थान विधानसभा में हुआ 'बाल सत्र'
राजस्थान विधानसभा में हुआ 'बाल सत्र'

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में बाल दिवस के अवसर पर 'बाल सत्र' का आयोजन किया गया. बाल सत्र में प्रश्नकाल और शून्यकाल हुआ, जिसमें बच्चों ने सदन में कई गंभीर मुद्दे बतौर जनप्रतिनिधियों के रूप में उठाए.

इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मजबूत लोकतंत्र में जनता की सक्रिय भागीदारी पर जोर दिया. बाल सत्र में बच्चों ने जनप्रतिनिधियों की भूमिका निभाते हुए सदन में प्रश्नकाल और शून्यकाल में प्रदेश से जुड़े कई गंभीर मसले भी उठाए. प्रश्नकाल में बच्चों ने बाल विवाह कुप्रथा रोकने, प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ाने, गौशाला के विकास से जुड़े सवालों के साथ ही मादक पदार्थों की तस्करी और युवा पीढ़ी को हो रहे उससे नुकसान सहित शिक्षा, पर्यटन, उद्योग और कोरोना के दौरान निजी स्कूलों द्वारा वसूली गई जबरन फीस से जुड़े मामले उठाए.

बच्चे बने मंत्री विधायक और अध्यक्ष

प्रश्नकाल में तो शैक्षणिक संस्थाओं के आसपास मादक पदार्थों की तस्करी और बच्चों व युवा पीढ़ी में नशीले पदार्थों के बढ़ते सेवन आदि के मामले में सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर प्रतिपक्ष के विधायकों ने वेल में आकर हंगामा भी किया. तो वहीं शून्यकाल में जयपुर में एक नामी स्कूल के टीचर की ओर से स्टूडेंट्स को अश्लील मैसेज भेजने, प्रदेश में डेंगू के बढ़ते कहर और परीक्षाओं के दौरान नोटबंदी से जुड़े मामले को भी उठाया गया.

वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पोती भी इस बाल सत्र में शामिल हुई और नियम 295 के तहत वन्य अभ्यारण के आसपास रहने वाले लोगों की स्थिति और बाघों के संरक्षण से जुड़ा मामला उठाया. शून्यकाल में नोटबंदी के मामले में प्रतिपक्ष के सदस्य रूपी बच्चों ने हंगामा भी किया और सरकार से जवाब की मांग को लेकर सदन से बहिर्गमन तक कर दिया. कुल मिलाकर बच्चों ने तार्किक तरीके जनप्रतिनिधियों की भूमिका निभाते हुए ज्वलंत मुद्दों को उठाया.

लोकतंत्र में जनता की सक्रिय भागीदारी से मजबूत होगा लोकतंत्र- बिरला

बाल सत्र के समापन सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोकतंत्र में जनता की जितनी अधिक सक्रिय भागीदारी होगी उतना ही लोकतंत्र मजबूत और सशक्त होगा. साथ ही शासन जवाबदेय होगा और प्रशासन में पारदर्शिता आएगी. ओम बिरला ने कहा आज जरूरत इस बात की है कि लोकतंत्र में जनभागीदारी बड़े केवल मतदान कर सरकार चुनने ताकि जनता की भागीदारी न हो बल्कि लोकतंत्र के हर विषय में सक्रिय भागीदारी होगी तो ही लोकतंत्र में मजबूती आएगी. बिड़ला ने इस दौरान यह भी कहा कि आज कानून बनाते समय विधायिका में लंबी चर्चा और संवाद का दौर धीरे-धीरे खत्म हो रहा है जो चिंता का विषय है. बिरला ने कहा कि यह बाल सत्र से प्रेरणा मिलेगी और इसी के जरिए नए भारत के निर्माण में भी सहायता मिलेगी.

बाल सत्र में बोले ओम बिरला

पढ़ें- बाल अधिकार सप्ताह: सीएम गहलोत ने कहा- इतिहास की जानकारी नहीं होगी तो इतिहास बनाने लायक भी नहीं बन पाएंगे

विधानसभा सभागार में मंत्री-विधायक बने बच्चे, दर्शक दीर्घा में बैठे जनप्रतिनिधि

राजस्थान विधानसभा में बाल सत्र के दौरान सभी 200 बच्चे जनप्रतिनिधियों की तरह सभागार में बैठे. बकायदा इनमें कुछ बच्चे मंत्री बने तो इनमें से ही कुछ विधायक और प्रतिपक्ष के सदस्य बने. विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका भी बच्चों ने ही निभाई. विधानसभा में चले इस बाल सत्र को दर्शक दीर्घा में बैठकर जनप्रतिनिधियों ने देखा. राजस्थान विधानसभा के इतिहास में पहली बार हुए इस तरह के बाल सत्र में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया सहित कई जनप्रतिनिधियों ने सत्र को देखा और संबोधित भी किया.

15 राज्यों से 200 बच्चों का इस तरह हुआ चयन

बाल सत्र में 200 बच्चों ने हिस्सा लिया जो 6 से 16 साल तक की उम्र के थे. राजस्थान विधानसभा में 200 सदस्य यानी विधायक हैं. लिहाजा बाल सत्र में बच्चों की संख्या भी इतनी ही रखी गई. इसके लिए 15 राज्यों से करीब 5500 आवेदन ऑनलाइन 200 बच्चों का चयन किया गया. इस चयन प्रक्रिया में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के साथ ही मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने हिस्सा लिया.

राजस्थान विधानसभा में हुआ 'बाल सत्र'
राजस्थान विधानसभा में हुआ 'बाल सत्र'

राजकोट के हर्ष सीएम और जयपुर की जाह्नवी बनी विधानसभा अध्यक्ष

बाल सत्र में कुल 200 बच्चे जनप्रतिनिधियों की भूमिका में नजर आए. इनमें राजकोट के हर्ष मुख्यमंत्री और जयपुर की जाह्नवी ने विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका में नजर आई. इसी तरह लिपी गुप्ता उपमुख्यमंत्री, जय सचदेव मुख्य सचेतक, वैभवी गोयल प्रतिपक्ष के नेता, महेश पटेल प्रतिपक्ष के उपनेता बने.

दिनेश सामाजिक न्याय मंत्री, जितेश कुमार डूडी कृषि मंत्री, प्रतीक शर्मा गृह मंत्री, रमाकांत शर्मा खेल मंत्री, खुशी उद्योग मंत्री, पीयूष गोयल चिकित्सा मंत्री, राघव कल्ला पर्यटन मंत्री, सैयद फरहान हैदर शिक्षा मंत्री अनुष्का राठौड़ वित्त मंत्री लावण्या बाल कल्याण मंत्री और आघ्या अग्रवाल ऊर्जा मंत्री की भूमिका में नजर आए.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में बाल दिवस के अवसर पर 'बाल सत्र' का आयोजन किया गया. बाल सत्र में प्रश्नकाल और शून्यकाल हुआ, जिसमें बच्चों ने सदन में कई गंभीर मुद्दे बतौर जनप्रतिनिधियों के रूप में उठाए.

इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मजबूत लोकतंत्र में जनता की सक्रिय भागीदारी पर जोर दिया. बाल सत्र में बच्चों ने जनप्रतिनिधियों की भूमिका निभाते हुए सदन में प्रश्नकाल और शून्यकाल में प्रदेश से जुड़े कई गंभीर मसले भी उठाए. प्रश्नकाल में बच्चों ने बाल विवाह कुप्रथा रोकने, प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ाने, गौशाला के विकास से जुड़े सवालों के साथ ही मादक पदार्थों की तस्करी और युवा पीढ़ी को हो रहे उससे नुकसान सहित शिक्षा, पर्यटन, उद्योग और कोरोना के दौरान निजी स्कूलों द्वारा वसूली गई जबरन फीस से जुड़े मामले उठाए.

बच्चे बने मंत्री विधायक और अध्यक्ष

प्रश्नकाल में तो शैक्षणिक संस्थाओं के आसपास मादक पदार्थों की तस्करी और बच्चों व युवा पीढ़ी में नशीले पदार्थों के बढ़ते सेवन आदि के मामले में सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर प्रतिपक्ष के विधायकों ने वेल में आकर हंगामा भी किया. तो वहीं शून्यकाल में जयपुर में एक नामी स्कूल के टीचर की ओर से स्टूडेंट्स को अश्लील मैसेज भेजने, प्रदेश में डेंगू के बढ़ते कहर और परीक्षाओं के दौरान नोटबंदी से जुड़े मामले को भी उठाया गया.

वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पोती भी इस बाल सत्र में शामिल हुई और नियम 295 के तहत वन्य अभ्यारण के आसपास रहने वाले लोगों की स्थिति और बाघों के संरक्षण से जुड़ा मामला उठाया. शून्यकाल में नोटबंदी के मामले में प्रतिपक्ष के सदस्य रूपी बच्चों ने हंगामा भी किया और सरकार से जवाब की मांग को लेकर सदन से बहिर्गमन तक कर दिया. कुल मिलाकर बच्चों ने तार्किक तरीके जनप्रतिनिधियों की भूमिका निभाते हुए ज्वलंत मुद्दों को उठाया.

लोकतंत्र में जनता की सक्रिय भागीदारी से मजबूत होगा लोकतंत्र- बिरला

बाल सत्र के समापन सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोकतंत्र में जनता की जितनी अधिक सक्रिय भागीदारी होगी उतना ही लोकतंत्र मजबूत और सशक्त होगा. साथ ही शासन जवाबदेय होगा और प्रशासन में पारदर्शिता आएगी. ओम बिरला ने कहा आज जरूरत इस बात की है कि लोकतंत्र में जनभागीदारी बड़े केवल मतदान कर सरकार चुनने ताकि जनता की भागीदारी न हो बल्कि लोकतंत्र के हर विषय में सक्रिय भागीदारी होगी तो ही लोकतंत्र में मजबूती आएगी. बिड़ला ने इस दौरान यह भी कहा कि आज कानून बनाते समय विधायिका में लंबी चर्चा और संवाद का दौर धीरे-धीरे खत्म हो रहा है जो चिंता का विषय है. बिरला ने कहा कि यह बाल सत्र से प्रेरणा मिलेगी और इसी के जरिए नए भारत के निर्माण में भी सहायता मिलेगी.

बाल सत्र में बोले ओम बिरला

पढ़ें- बाल अधिकार सप्ताह: सीएम गहलोत ने कहा- इतिहास की जानकारी नहीं होगी तो इतिहास बनाने लायक भी नहीं बन पाएंगे

विधानसभा सभागार में मंत्री-विधायक बने बच्चे, दर्शक दीर्घा में बैठे जनप्रतिनिधि

राजस्थान विधानसभा में बाल सत्र के दौरान सभी 200 बच्चे जनप्रतिनिधियों की तरह सभागार में बैठे. बकायदा इनमें कुछ बच्चे मंत्री बने तो इनमें से ही कुछ विधायक और प्रतिपक्ष के सदस्य बने. विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका भी बच्चों ने ही निभाई. विधानसभा में चले इस बाल सत्र को दर्शक दीर्घा में बैठकर जनप्रतिनिधियों ने देखा. राजस्थान विधानसभा के इतिहास में पहली बार हुए इस तरह के बाल सत्र में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया सहित कई जनप्रतिनिधियों ने सत्र को देखा और संबोधित भी किया.

15 राज्यों से 200 बच्चों का इस तरह हुआ चयन

बाल सत्र में 200 बच्चों ने हिस्सा लिया जो 6 से 16 साल तक की उम्र के थे. राजस्थान विधानसभा में 200 सदस्य यानी विधायक हैं. लिहाजा बाल सत्र में बच्चों की संख्या भी इतनी ही रखी गई. इसके लिए 15 राज्यों से करीब 5500 आवेदन ऑनलाइन 200 बच्चों का चयन किया गया. इस चयन प्रक्रिया में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के साथ ही मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने हिस्सा लिया.

राजस्थान विधानसभा में हुआ 'बाल सत्र'
राजस्थान विधानसभा में हुआ 'बाल सत्र'

राजकोट के हर्ष सीएम और जयपुर की जाह्नवी बनी विधानसभा अध्यक्ष

बाल सत्र में कुल 200 बच्चे जनप्रतिनिधियों की भूमिका में नजर आए. इनमें राजकोट के हर्ष मुख्यमंत्री और जयपुर की जाह्नवी ने विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका में नजर आई. इसी तरह लिपी गुप्ता उपमुख्यमंत्री, जय सचदेव मुख्य सचेतक, वैभवी गोयल प्रतिपक्ष के नेता, महेश पटेल प्रतिपक्ष के उपनेता बने.

दिनेश सामाजिक न्याय मंत्री, जितेश कुमार डूडी कृषि मंत्री, प्रतीक शर्मा गृह मंत्री, रमाकांत शर्मा खेल मंत्री, खुशी उद्योग मंत्री, पीयूष गोयल चिकित्सा मंत्री, राघव कल्ला पर्यटन मंत्री, सैयद फरहान हैदर शिक्षा मंत्री अनुष्का राठौड़ वित्त मंत्री लावण्या बाल कल्याण मंत्री और आघ्या अग्रवाल ऊर्जा मंत्री की भूमिका में नजर आए.

Last Updated : Nov 14, 2021, 9:54 PM IST
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