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स्पेशल रिपोर्ट: 10 साल की उम्र में दो किताबें लिख चुकी नन्ही राइटर...मिलिए जयपुर की रिशिका कासलीवाल से

जिस उम्र में बच्चे पढ़ाई को दरकिनार करते हुए खेल कूद में ध्यान देते है. उसी उम्र में जयपुर की 10 साल की एक बच्ची ने 700 से ज्यादा बुक्स को पढ़ लिया. इतनी ही नहीं उसने दो किताबे की लिख डाली. आज ऐसी ही एक हुनर बाज बच्ची से आपकी मुलाकात कराते है. जिसने छोटी सी उम्र में किताबों को अपना अच्छा दोस्त बना लिया. नाम है रिशिका कासलीवाल

child writer Rashika Kasliwal, नन्ही लेखक रिशिका कासलीवाल
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Published : Aug 23, 2019, 5:14 PM IST

जयपुर. उसका वो जुनून ही था जिसने उसे भीड़ से अलग खड़ा कर दिया. जिस उम्र में बच्चे खिलौने से खेलते है. उस उम्र में पढ़ने के शौक ने उसे लेखक बना दिया. जयपुर की रिशिका कासलीवाल की जिसकी उम्र महज दस साल की है, लेकिन उसने इतनी छोटी उम्र में दो पुस्तक लिख दी. दस साल की रिशिका कासलीवाल ने किताबें पढ़ने को अपना शौक ही नहीं बनाया, बल्कि एक प्रिंसेस को पात्र बनाकर अंग्रेजी में पुस्तक लिख डाली. इंग्लिश में लिखी इस प्रिंसेस की कहानी के अलावा रिशिका अंग्रेजी में कविताओं की रचनाएं भी करती हैं. छोटी छोटी कहानी और कविताओं के संग्रहण से बनी दूसरी पुस्तक सितम्बर में 'फायर फ्लाइस ऑफ माय थोट्स' के नाम से प्रकाशित होगी.

10 साल की उम्र में दो किताबें लिख चुकी नन्ही लेखिका

पढ़ें- राजस्थान का ऐसा मंदिर...जहां जन्माष्टमी पर दी जाती है 21 तोपों की सलामी

पुस्तक पढ़ने का जगा रिशिका को शौक
पांच साल की उम्र से रिशिका में पुस्तक पढ़ने का शौक पनपा. जोकि एक जुनून की हद तक जा पहुंचा और वे एक दिन में दो-दो किताबें तक पढ़ डालती. रिशिका ने अब तक करीब 700 अलग-अलग पुस्तक पढ़ ली. अपने पसंदीदा लेखक ब्रिटिश आर्थर एनिड ब्लायटन की लिखी सभी किताबों को पढ़ा, लेखक जे के रोलिंग की हैरी पॉटर ने इन्हें बहुत प्रभावित किया. जादू और रहस्यमय चरित्रों से भरी ये कहानियां मानों रिशिका को एक अलग दुनिया में ले जाती थी. इस काल्पनिक दुनिया में रिशिका को जो आनन्द आता था, वैसा ही वे अपनी कल्पनाओं में सोचती थी और इसके बाद रिशिका को लगा की उन्हें भी एसी एक कहानी लिखनी चाहिए ताकि उनकी उम्र के बच्चों को वे एक मैसेज दें सकें की पुस्तकों से भागना नहीं बल्कि उन्हें एक शौक की तरह पढ़ना चाहिए.

किताबों को लेकर नन्हीं लेखिका ये सोचती है
किताबों के प्रति रिशिका का नजरिया है कि किताबें महज टाइम पास का तरीका न होकर जानकारी बढ़ाने, कल्पना का विस्तार करने और अपने विचारों को ताजगी देने का जरिया है. किताबें पढ़ने के लिये सभी को समय निकालना चाहिए. रिशिका की मां रश्मि कासलीवाल बताती है कि रिशिका का पढ़ने का जुनून इस कदर हावी है कि हर वक्त हाथ में किताब रहती है और अकसर रात को डांट कर सुलाना पड़ता है. इतना ही नहीं उन्होंने कभी किसी खिलौने की डिमांड नहीं की बस जब भी कोई कुछ लाने की बात कहता तो वे पुस्तक के नामों के साथ लिस्ट थमा देती.

रिशिका कासलीवाल से खास बातचीत

रिशिका को लिखने का जुनून जगा
अलग-अलग लेखकों की किताबें पढ़कर रिशिका बेहद प्रभावित हुई और उसमें एक लेखक जाग उठा. मार्च 2017 में रोजमर्रा की तरह नोट बुक लेकर तो बैठी, लेकिन मन के ख्यालों को कहानी के रूप में अक्षरों में उकेरना शुरू कर दिया. देखते ही देखते उसने अपनी छोटी सोच के साथ उसने एक बड़ी कल्पना से ओतप्रोत कहानी लिख डाली. जिसका नाम दिया 'एडवेंचर्स ऑफ प्रिंसेस क्लारा'. एक कहानी मुकम्मल होने के बाद रिशिका ने अपने इस शौक से अपने परेंट्स को अवगत कराया तो परिवार वालों ने रिशिका की खुशी के लिए इस किताब को छपवाया, हालांकि जब पहली पुस्तक छपी तब तक रिशिका के परिवार वाले भी नहीं समझ पा रहे थे कि ये छोटी सी बच्ची एक बड़ी उड़ान भरने जा रही है. रिशिका की मां रश्मि कासलीवाल ने बताया कि पहली पुस्तक के प्रकाशन के बाद परिवारवालों, जानकारों और दोस्तों से जो रेश्पोंस मिला. उसके बाद लगा की रिशिका का पढ़ने-लिखने का शौक मात्र शौक तक नहीं है. इस लिए हमने उसकी अब तक की लिखी छोटी बड़ी कहानियों और कविताओं में से कुछ चुनिंदा कृतियों को संग्रहित कर पुस्तक के रूप में प्रकाशित करवाया है. जो सितम्बर के पहले सप्ताह में बाजार में उपलब्ध होगी.

पढ़ें- ऐसे पढ़ेगा तो कैसे बढ़ेगा इंडिया: जालोर के इस सरकारी स्कूल में 253 बच्चों पर सिर्फ 3 शिक्षक

रिशिका को लिखने के साथ-साथ पेंटिंग का भी शौक
ऐसा नहीं कि रिशिका केवल लिखने-पढ़ने में माहिर है, बल्कि वो पेंटिंग भी बहुत खूबसूरत बनाती है और बेली डांस करना भी पसंद करती हैं. रिशिका उन बच्चों के लिए भी एक इंप्रेशन है जो लिखने पढ़ने को बोझ समझते है. साथ उन पेरेंट्स के लिए भी सीख है जो अपने बच्चों के हुनर को देख कर भी अनदेखा कर देते है. हर बच्चे में एक खासियत होती है, बस पेरेंट्स को उसे पहचानना होगा जैसा रिशिका के परिवार ने पहचाना.

जयपुर. उसका वो जुनून ही था जिसने उसे भीड़ से अलग खड़ा कर दिया. जिस उम्र में बच्चे खिलौने से खेलते है. उस उम्र में पढ़ने के शौक ने उसे लेखक बना दिया. जयपुर की रिशिका कासलीवाल की जिसकी उम्र महज दस साल की है, लेकिन उसने इतनी छोटी उम्र में दो पुस्तक लिख दी. दस साल की रिशिका कासलीवाल ने किताबें पढ़ने को अपना शौक ही नहीं बनाया, बल्कि एक प्रिंसेस को पात्र बनाकर अंग्रेजी में पुस्तक लिख डाली. इंग्लिश में लिखी इस प्रिंसेस की कहानी के अलावा रिशिका अंग्रेजी में कविताओं की रचनाएं भी करती हैं. छोटी छोटी कहानी और कविताओं के संग्रहण से बनी दूसरी पुस्तक सितम्बर में 'फायर फ्लाइस ऑफ माय थोट्स' के नाम से प्रकाशित होगी.

10 साल की उम्र में दो किताबें लिख चुकी नन्ही लेखिका

पढ़ें- राजस्थान का ऐसा मंदिर...जहां जन्माष्टमी पर दी जाती है 21 तोपों की सलामी

पुस्तक पढ़ने का जगा रिशिका को शौक
पांच साल की उम्र से रिशिका में पुस्तक पढ़ने का शौक पनपा. जोकि एक जुनून की हद तक जा पहुंचा और वे एक दिन में दो-दो किताबें तक पढ़ डालती. रिशिका ने अब तक करीब 700 अलग-अलग पुस्तक पढ़ ली. अपने पसंदीदा लेखक ब्रिटिश आर्थर एनिड ब्लायटन की लिखी सभी किताबों को पढ़ा, लेखक जे के रोलिंग की हैरी पॉटर ने इन्हें बहुत प्रभावित किया. जादू और रहस्यमय चरित्रों से भरी ये कहानियां मानों रिशिका को एक अलग दुनिया में ले जाती थी. इस काल्पनिक दुनिया में रिशिका को जो आनन्द आता था, वैसा ही वे अपनी कल्पनाओं में सोचती थी और इसके बाद रिशिका को लगा की उन्हें भी एसी एक कहानी लिखनी चाहिए ताकि उनकी उम्र के बच्चों को वे एक मैसेज दें सकें की पुस्तकों से भागना नहीं बल्कि उन्हें एक शौक की तरह पढ़ना चाहिए.

किताबों को लेकर नन्हीं लेखिका ये सोचती है
किताबों के प्रति रिशिका का नजरिया है कि किताबें महज टाइम पास का तरीका न होकर जानकारी बढ़ाने, कल्पना का विस्तार करने और अपने विचारों को ताजगी देने का जरिया है. किताबें पढ़ने के लिये सभी को समय निकालना चाहिए. रिशिका की मां रश्मि कासलीवाल बताती है कि रिशिका का पढ़ने का जुनून इस कदर हावी है कि हर वक्त हाथ में किताब रहती है और अकसर रात को डांट कर सुलाना पड़ता है. इतना ही नहीं उन्होंने कभी किसी खिलौने की डिमांड नहीं की बस जब भी कोई कुछ लाने की बात कहता तो वे पुस्तक के नामों के साथ लिस्ट थमा देती.

रिशिका कासलीवाल से खास बातचीत

रिशिका को लिखने का जुनून जगा
अलग-अलग लेखकों की किताबें पढ़कर रिशिका बेहद प्रभावित हुई और उसमें एक लेखक जाग उठा. मार्च 2017 में रोजमर्रा की तरह नोट बुक लेकर तो बैठी, लेकिन मन के ख्यालों को कहानी के रूप में अक्षरों में उकेरना शुरू कर दिया. देखते ही देखते उसने अपनी छोटी सोच के साथ उसने एक बड़ी कल्पना से ओतप्रोत कहानी लिख डाली. जिसका नाम दिया 'एडवेंचर्स ऑफ प्रिंसेस क्लारा'. एक कहानी मुकम्मल होने के बाद रिशिका ने अपने इस शौक से अपने परेंट्स को अवगत कराया तो परिवार वालों ने रिशिका की खुशी के लिए इस किताब को छपवाया, हालांकि जब पहली पुस्तक छपी तब तक रिशिका के परिवार वाले भी नहीं समझ पा रहे थे कि ये छोटी सी बच्ची एक बड़ी उड़ान भरने जा रही है. रिशिका की मां रश्मि कासलीवाल ने बताया कि पहली पुस्तक के प्रकाशन के बाद परिवारवालों, जानकारों और दोस्तों से जो रेश्पोंस मिला. उसके बाद लगा की रिशिका का पढ़ने-लिखने का शौक मात्र शौक तक नहीं है. इस लिए हमने उसकी अब तक की लिखी छोटी बड़ी कहानियों और कविताओं में से कुछ चुनिंदा कृतियों को संग्रहित कर पुस्तक के रूप में प्रकाशित करवाया है. जो सितम्बर के पहले सप्ताह में बाजार में उपलब्ध होगी.

पढ़ें- ऐसे पढ़ेगा तो कैसे बढ़ेगा इंडिया: जालोर के इस सरकारी स्कूल में 253 बच्चों पर सिर्फ 3 शिक्षक

रिशिका को लिखने के साथ-साथ पेंटिंग का भी शौक
ऐसा नहीं कि रिशिका केवल लिखने-पढ़ने में माहिर है, बल्कि वो पेंटिंग भी बहुत खूबसूरत बनाती है और बेली डांस करना भी पसंद करती हैं. रिशिका उन बच्चों के लिए भी एक इंप्रेशन है जो लिखने पढ़ने को बोझ समझते है. साथ उन पेरेंट्स के लिए भी सीख है जो अपने बच्चों के हुनर को देख कर भी अनदेखा कर देते है. हर बच्चे में एक खासियत होती है, बस पेरेंट्स को उसे पहचानना होगा जैसा रिशिका के परिवार ने पहचाना.

Intro:नोट:- इस खबर की फीड लाइव यू से ऋषिका बुक के नाम से भेजी गई है ।

हुनर बाज रिशिका !

दस साल की उम्र में लिख डाली दो किताबे

एंकर :- उसका वो जुनून ही था जिसने उसे भीड़ से अलग खड़ा कर दिया , जिस उम्र में बच्चे खिलौने से खेलते है उस उम्र में पढने के शौक ने उसे लेखक बना दिया , जी हाँ हम यहाँ बात कर रहे हैं जयपुर की रिशिका कासलीवाल की जिसकी उम्र महज दस साल की है , लेकिन उसने इतनी छोटी उम्र में दो पुस्तक लिख डाली , दस साल की रिशिका कासलीवाल ने किताबें पढ़ने को अपना शौक ही नहीं बनाया, बल्कि एक प्रिंसेस को पात्र बनाकर अंग्रेजी में पुस्तक लिख डाली , इंग्लिश में लिखी इस प्रिंसेस की कहानी के अलावा रिशिका अंग्रेजी में कविताओं की रचनाएं भी करती हैं। छोटी छोटी कहानी और कविताओं के संग्रहण से बनी दूसरी पुस्तक सितम्बर में फायर फ्लाइस ऑफ़ माय थोट्स के नाम से प्रकाशित होगी ,

पुस्तक पढ़ने का जगा शौक

पांच साल की उम्र से रिशिका में पुस्तक पढ़ने का शौक पनपा, जोकि एक जुनून की हद तक जा पहुंचा और वे एक दिन में दो-दो किताबें तक पढ़ डालती , रिशिका ने अब तक करीब 7 सौ अलग अलग पुस्तक पढ़ ली , इसके पसंदीदा लेखक ब्रिटिश आर्थर एनिड ब्लाईटन की लिखी सभी किताबों को पढ़ा , लेखक जे के रोलिन्ग की हैरी पॉटर ने इन्हे बहुत प्रभावित किया। जादू और रहस्यमय चरित्रों से भरी ये कहानियां मानो उन्हे एक अलग दुनिया में ले जाती थी। इस काल्पनिक दुनिया मे रिशिका को जो आनन्द आता था, वैसा ही वे अपनी कल्पनाओं में सोचती थी और इसके बाद रिशिका को लगा की उन्हें भी एसी एक कहानी लिखनी चाहिए ताकि उनकी उम्र के बच्चों को वे एक मेसेज दे सके की पुस्तकों से भागना नही बल्कि उन्हें एक शौक की तरह पढ़ना चाहिए । किताबों के प्रति रिशिका का नजरिया है कि किताबें महज टाइम पास का तरीका न होकर जानकारी बढाने, कल्पना का विस्तार करने और अपने विचारों को ताजगी देने का जरिया है। किताबें पढ़ने के लिये सभी को समय निकालना चाहिए , रिशिका की माँ रश्मि कासलीवाल बताती हे कि रिशिका का पढ़ने का जुनून इस कदर हावी है कि हर वक्त हाथ में किताब रहती है और अकसर रात को डांट कर सुलाना पड़ता है , इतना ही नही उन्होंने कभी किसी खिलौने की डिमांड नही की बस जब भी कोई कुछ लाने की बात कहता तो वे पुस्तक के नामों के साथ लिस्ट पकड़ा देती हैं ,

लिखने का जुनून

अलग-अलग लेखकों की किताबें पढ़कर रिशिका बेहद प्रभावित हुई और उसमे एक लेखक जाग उठा , मार्च 2017 में रोजमर्रा की तरह नोट बुक लेकर तो बेठी लेकिन मन के ख्यालों को कहानी के रूप में अक्षरों में उकेरना शुरू कर दिया , देखते ही देखते उसने अपनी छोटी सोच के साथ उसने एक बड़ी कल्पना से ओतप्रोत कहानी लिख डाली , जिसका नाम दिया एडवेंचर्स ऑफ़ प्रिंसेस क्लारा , एक कहानी मुकम्मल होने के बाद रिशिका ने अपने इस शौक से अपने परेंट्स को अवगत कराया तो परिवार वालों ने रिशिका की ख़ुशी के लिए इस किताब को छपवाया, हालाँकि जब पहली पुस्तक छपी तब तक रिशिका के परिवार वाले भी नही समझ पा रहे थे कि ये छोटी सी बच्ची एक बड़ी उड़ान भरने जा रही है , रिशिका की माँ रश्मि कासलीवाल बताती हे कि पहली पुस्तक के प्रकाशन के बाद परिवार वालों, जानकारों और दोस्तों से जो रेश्पोंस मिला उसके बाद लगा की रिशिका का पढने लिखने का शौक मात्र शौक तक नही है , इस लिए हमने उसकी अब तक की लिखी छोटी बड़ी कहानियों और कवितांओं में से कुछ चुनिंदा कृतियों को संग्रहित कर पुस्तक के रूप में प्रकाशित करवाया है , जो सितम्बर के पहले सप्ताह में बाजार में बुक शॉप और ऐमेज़ॉन, फ्लिप्कार्ट आदि जगह पर सब के लिए उपलब्ध होगी ,

पेंटिंग का भी शौक
एसा नही कि रिशिका केवल लिखने पढ़ने में माहिर हे बल्कि वो पेंटिंग भी बहुत खूबशूरत बनाती है और बैले डांस करना भी पसंद करती हैं। रिशिका उन बच्चों के लिए भी एक इंप्रेशन है जो लिखने पढने को बोझ समझते है , साथ उन पेरेंट्स के लिए भी सीख है जो अपने बच्चों के हुनर को देख कर भी अनदेखा कर देते है , हर बच्चे में एक एक्सपर्टीज होती है बस पेरेंट्स को उसे पहचानना होगा जैसा रिशिका के परिवार ने पहचाना ,
बाइट :- रिशिका कासलीवाल - लेखिका
बाइट:- रश्मि कासलीवाल - रिशिका की माँ Body:VOConclusion:
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