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मासूमों का छीन रहे बचपन, बिहार से लाए बच्चों को पढ़ाई के नाम पर करवा रहे बालश्रम

वर्तमान समय में बाल तस्करी बच्‍चों की मासूमियत को ग्रहण लगाता जा रहा है. आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में हर साल औसतन 10,000 मासूमों से उनका बचपन छीन लिया जाता है. बाल श्रम को रोकने के लिए अभियान चला रही जालूपुरा थाना पुलिस ने इस मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.

child trafficking in rajasthan
राजस्थान में बाल तस्करी
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Published : Aug 28, 2020, 11:07 AM IST

जयपुर. आज बाल श्रम एक गंभीर समस्या बन चुकी है. यह समस्या हमारे देश में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में फैली हुई है. आए दिन बाल श्रम की खबरें सुनने को मिलती है. वहीं राजधानी की जालूपुरा थाना पुलिस द्वारा गत दिनों पूर्व तस्करी कर बाल श्रम के लिए बिहार से जयपुर लाए गए 19 मासूमों को मुक्त करवाने और 7 तस्करों को गिरफ्तार करने के बाद जब पूछताछ की गई, तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. पुलिस द्वारा रेस्क्यू कराए गए बच्चों की उम्र 12 से 16 साल के बीच है, जबकि तस्करों द्वारा बच्चों के जो आधार कार्ड पुलिस को दिए गए हैं, उसमें सभी बच्चों की उम्र 18 वर्ष अंकित है. इसके साथ ही तस्करों द्वारा बच्चों को पढ़ाने का झांसा देकर बिहार से जयपुर लाया गया है.

राजस्थान में बाल तस्करी

जालूपुरा थाना इंचार्ज विक्रम सिंह चारण ने बताया कि मुक्त करवाए गए बच्चों से जब बातचीत की गई तो यह पता चला है कि अधिकांश बच्चों को पढ़ाने का झांसा देकर बिहार से जयपुर लाया गया है. वहीं कुछ बच्चों के परिजनों को इस बात की भी जानकारी है कि बाल श्रम कराने के लिए ही उनके बच्चों को तस्करी कर बिहार से जयपुर ले जाया जा रहा है. पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए तस्करों द्वारा आधार कार्ड में हेरफेर कर सभी बच्चों की उम्र 18 वर्ष दर्शाई गई है.

यह भी पढ़ें : SPECIAL: राजस्थान में हर साल 10 हजार मासूमों की जिंदगी को बनाया जा रहा नर्क

आधार कार्ड में किस तरह से तस्करों द्वारा यह हेरफेर की जाती है, इसकी जांच की जा रही है और इसके साथ ही बिहार पुलिस से भी इसकी जानकारी मांगी गई है. बच्चों से चूड़ी कारखानों और आरा तारी का काम करवाने के लिए ही बिहार से तस्करी कर जयपुर लाया गया है. बच्चों को जयपुर के जिन कारखानों में तस्करों द्वारा भेजा जाना था, उन कारखानों की जानकारी भी पुलिस द्वारा जुटाई जा रही है.

जयपुर. आज बाल श्रम एक गंभीर समस्या बन चुकी है. यह समस्या हमारे देश में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में फैली हुई है. आए दिन बाल श्रम की खबरें सुनने को मिलती है. वहीं राजधानी की जालूपुरा थाना पुलिस द्वारा गत दिनों पूर्व तस्करी कर बाल श्रम के लिए बिहार से जयपुर लाए गए 19 मासूमों को मुक्त करवाने और 7 तस्करों को गिरफ्तार करने के बाद जब पूछताछ की गई, तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. पुलिस द्वारा रेस्क्यू कराए गए बच्चों की उम्र 12 से 16 साल के बीच है, जबकि तस्करों द्वारा बच्चों के जो आधार कार्ड पुलिस को दिए गए हैं, उसमें सभी बच्चों की उम्र 18 वर्ष अंकित है. इसके साथ ही तस्करों द्वारा बच्चों को पढ़ाने का झांसा देकर बिहार से जयपुर लाया गया है.

राजस्थान में बाल तस्करी

जालूपुरा थाना इंचार्ज विक्रम सिंह चारण ने बताया कि मुक्त करवाए गए बच्चों से जब बातचीत की गई तो यह पता चला है कि अधिकांश बच्चों को पढ़ाने का झांसा देकर बिहार से जयपुर लाया गया है. वहीं कुछ बच्चों के परिजनों को इस बात की भी जानकारी है कि बाल श्रम कराने के लिए ही उनके बच्चों को तस्करी कर बिहार से जयपुर ले जाया जा रहा है. पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए तस्करों द्वारा आधार कार्ड में हेरफेर कर सभी बच्चों की उम्र 18 वर्ष दर्शाई गई है.

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आधार कार्ड में किस तरह से तस्करों द्वारा यह हेरफेर की जाती है, इसकी जांच की जा रही है और इसके साथ ही बिहार पुलिस से भी इसकी जानकारी मांगी गई है. बच्चों से चूड़ी कारखानों और आरा तारी का काम करवाने के लिए ही बिहार से तस्करी कर जयपुर लाया गया है. बच्चों को जयपुर के जिन कारखानों में तस्करों द्वारा भेजा जाना था, उन कारखानों की जानकारी भी पुलिस द्वारा जुटाई जा रही है.

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