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राजस्थान : मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना का बढ़ेगा दायरा, CHC और PHC सेंटर होंगे मजबूत

प्रदेश में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं (Medical and Health Services) को सुदृढ़ किया जाएगा. इसके तहत मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना (Chief-Minister-Free of Cost and Scope of Inquiry Scheme) के तहत प्रदेश के पीएचसी और सीएचसी सेंटर पर ऐसी जांचों को शामिल किया जाएगा, जिनके लिए पहले मरीजों को बड़े अस्पतालों का रुख करना पड़ता था. प्रदेश के जिला अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर होने वाली बीमारियों से संबंधित जांचों का दायरा बढ़ाने की तैयारी सरकार की ओर से की जा रही है. ऐसे में प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मदर, एचयूबी (HUB) और स्पोक्स मॉडल शुरू किया जाएगा.

scope of inquiry scheme
मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना...
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Published : Oct 25, 2021, 6:43 PM IST

जयपुर. प्रदेश के विभिन्न जिला अस्पताल, पीएचसी और सीएचसी सेंटर पर बीमारियों से संबंधित जांच का दायरा बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. जिसके तहत भारत सरकार से प्राप्त फ्री डायग्नोस्टिक सर्विस इनिशिएटिव गाइडलाइन के अनुसार प्रदेश के जिला अस्पतालों, सीएचसी और पीएचसी सेंटर पर मदर, हब और स्पोक्स मॉडल के तहत अस्पतालों में स्थित जांच केंद्रों को मजबूत किया जाएगा.

इसे लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से टेंडर जारी कर दिए गए हैं, जिसके तहत प्रदेश में 33 मदर लैब, 117 एचयूबी (हब) लैब और 3002 स्पोक्स लैब बनाई जाएंगी. मौजूदा स्थिति की बात करें तो प्रदेश के जिला अस्पतालों में 56 सीएचसी सेंटर पर 37 और पीएचसी सेंटर पर 15 तरीके की जांचें मुख्यमंत्री निशुल्क योजना के तहत की जा रही हैं.

क्या कहते हैं एनएचएम के एमडी सुधीर शर्मा ...

ऐसे में नया मॉडल लागू होने के बाद जिला अस्पतालों में 143 सैटेलाइट अस्पतालों में 117 सीएचसी सेंटर पर 101 और पीएचसी सेंटर पर 66 तरीके की अलग-अलग जांचें मरीजों की हो पाएंगी. 625 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट मामले को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एमडी सुधीर शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार का उद्देश्य है कि मरीजों को उनके निकटतम चिकित्सा संस्थानों में आवश्यक जांच सुविधाएं मिल सकें.

पढ़ें : राजस्थान : कांग्रेसी नेता ने की सरकारी शिक्षिका से छेड़छाड़, पुलिस ने हिरासत में लिया

वहीं, 625 करोड़ के इस प्रोजेक्ट के लिए रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल जारी कर दिया गया है. इसमें निजी सेवा प्रदाता कंपनी को सभी मदर लैब का 2 साल में एनएबीएल से एक्रीडिटेशन करवाना होगा और सभी हब लैब को 2 साल मे आईएसओ (ISO) सर्टिफिकेशन लेना होगा. सभी मदर लैब में जांचों के लिए पैथोलॉजिस्ट, माइक्रोबायोलॉजिस्ट और बायोकैमिस्ट का होना आवश्यक होगा.

जयपुर. प्रदेश के विभिन्न जिला अस्पताल, पीएचसी और सीएचसी सेंटर पर बीमारियों से संबंधित जांच का दायरा बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. जिसके तहत भारत सरकार से प्राप्त फ्री डायग्नोस्टिक सर्विस इनिशिएटिव गाइडलाइन के अनुसार प्रदेश के जिला अस्पतालों, सीएचसी और पीएचसी सेंटर पर मदर, हब और स्पोक्स मॉडल के तहत अस्पतालों में स्थित जांच केंद्रों को मजबूत किया जाएगा.

इसे लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से टेंडर जारी कर दिए गए हैं, जिसके तहत प्रदेश में 33 मदर लैब, 117 एचयूबी (हब) लैब और 3002 स्पोक्स लैब बनाई जाएंगी. मौजूदा स्थिति की बात करें तो प्रदेश के जिला अस्पतालों में 56 सीएचसी सेंटर पर 37 और पीएचसी सेंटर पर 15 तरीके की जांचें मुख्यमंत्री निशुल्क योजना के तहत की जा रही हैं.

क्या कहते हैं एनएचएम के एमडी सुधीर शर्मा ...

ऐसे में नया मॉडल लागू होने के बाद जिला अस्पतालों में 143 सैटेलाइट अस्पतालों में 117 सीएचसी सेंटर पर 101 और पीएचसी सेंटर पर 66 तरीके की अलग-अलग जांचें मरीजों की हो पाएंगी. 625 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट मामले को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एमडी सुधीर शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार का उद्देश्य है कि मरीजों को उनके निकटतम चिकित्सा संस्थानों में आवश्यक जांच सुविधाएं मिल सकें.

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वहीं, 625 करोड़ के इस प्रोजेक्ट के लिए रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल जारी कर दिया गया है. इसमें निजी सेवा प्रदाता कंपनी को सभी मदर लैब का 2 साल में एनएबीएल से एक्रीडिटेशन करवाना होगा और सभी हब लैब को 2 साल मे आईएसओ (ISO) सर्टिफिकेशन लेना होगा. सभी मदर लैब में जांचों के लिए पैथोलॉजिस्ट, माइक्रोबायोलॉजिस्ट और बायोकैमिस्ट का होना आवश्यक होगा.

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