जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को पत्र लिखा है. सीएम गहलोत ने पत्र में सरहिन्द फीडर और राजस्थान फीडर के पंजाब में शेष रिलाइनिंग के कार्यों को आगामी नहरबंदी के दौरान पूरा करने के संबंध में पंजाब के अधिकारियों को निर्देशित करने की मांग की है.
सीएम गहलोत ने पत्र में लिखा है कि सरहिन्द फीडर एवं राजस्थान फीडर के रिलाइनिंग कार्यों को मार्च-जून, 2019 से मार्च-जून, 2021 तक की तीन कार्य संचालन अवधियों में पूरा किए जाने के संबंध में एक एमओयू भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय, राजस्थान सरकार और पंजाब सरकार के बीच 23 जनवरी, 2019 में हुआ था.
यह खुशी की बात है कि मार्च-मई, 2021 की नहरबंदी के दौरान पंजाब ने सरहिन्द फीडर के रिलाइनिंग कार्य 2019 में शुरू कर दिए और 100 किमी में से 45 किमी लंबाई के रिलाइनिंग कार्य क्रियान्वित भी कर लिए हैं. इसी तरह राजस्थान फीडर के 97 किमी में से 23 किमी लंबाई के रिलाइनिंग कार्य मार्च-मई, 2021 की नहरबंदी के दौरान कर लिए गए हैं. राजस्थान ने भी तत्परता दिखाते हुए वर्ष 2021 की 60 दिन की नहरबंदी में से 30 दिन की नहरबंदी के दौरान राजस्थान फीडर (मुख्य नहर) के 47 किमी लंबाई के रिलाइनिंग कार्य पूरे कर लिए हैं.
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा कि 23 जनवरी, 2019 को हुए एमओयू के तहत गठित विशेषज्ञ परियोजना समीक्षा समिति की ओर से सरहिन्द फीडर और राजस्थान फीडर के रिलाइनिंग कार्यों को पूरा करने के लिए एक साल का एक्सटेंशन दिया गया है. ऐसे में मुख्यमंत्री ने पंजाब के शेष रह गए रिलाइनिंग के कार्यों का क्रियान्वयन आगामी नहरबंदी के दौरान पूरा करने के संबंध में अधिकारियों को निर्देशित करने की मांग की.
औद्योगिक अपशिष्ट और अशोधित जल की समस्या का हो निराकरण
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को पत्र लिखकर सतलज नदी का प्रदूषित पानी हरिके बैराज में छोड़े जाने से पंजाब और राजस्थान दोनों राज्यों के लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव के बारे में चेताया है. सीएम गहलोत ने इस प्रकरण में पंजाब के मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत हस्तक्षेप कर सतलज नदी में प्रदूषित औद्योगिक अपशिष्ट और मल प्रवाहित किए जाने की समस्या के जल्द समाधान के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करने का आग्रह किया है.
सीएम गहलोत ने पत्र में लिखा है कि 25 जुलाई, 2019 को पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री के साथ हुई द्विपक्षीय बैठक के दौरान इस समस्या पर चर्चा हुई थी. पंजाब से आने वाले प्रदूषित जल की समस्या विशेषकर नहरबंदी के बाद नहरों को फिर से खोले जाने के समय एवं पानी की आपूर्ति का स्तर कम होने के समय सर्वाधिक होती है. राजस्थान फीडर के पानी का उपयोग सिंचाई के अलावा पश्चिमी राजस्थान के 10 जिलों में करीब पौने दो करोड़ लोगों के पीने में भी होता है. ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य पर प्रदूषित जल का विपरीत प्रभाव पड़ रहा है.