जयपुर. छोटी काशी जयपुर में देवशयनी एकादशी को एक जुलाई से चातुर्मास शुरू होने जा रहे है. इस बार चातुर्मास पांच माह का रहेगा जो सोशल डिस्टेंसिग के साथ मनाया जाएगा. यह पहला चातुर्मास होगा, जो पांच माह का होने के बावजूद इसमें ना लोग अधिक देर देवालय में रख सकेंगे और ना ही बड़े धार्मिक अनुष्ठान होंगे. सभी धार्मिक स्थलों को सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइंस के तहत सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए नियमित पूजा पाठ करने होंगे. लेकिन भागवत और अन्य शहरों से आने संतों का प्रवेश और विहार नहीं होगा.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्रीहरि क्षीरसागर में शयन करने चले जाते हैं, इस अवधि में श्रीहरि पाताल के राजा बलि के यहां चार मास निवास करते है. इसलिए इसे चातुर्मास कहा जाता है. इस अवधि में नवीन गृहप्रवेश सहित अन्य मांगलिक आयोजन नहीं होंगे. चातुर्मास के बाद 26 नवंबर को देवउठनी एकादशी के बाद वापस मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएंगे. इस साल दो आश्विन माह होने से अधिकमास रहेगा. 19 साल पहले 2001 में आश्विन माह का अधिकमास आया था.
चातुर्मास का पहला महीना श्रावण होता है. जो भगवान शिव को समर्पित होता है. दूसरा महीना भाद्रपद और तीसरा महीना अश्विन होता है. चौथा महीना कार्तिक होता है इस महीने में दीपावली मनाई जाती है. इन चार महीनों का हिंदू और जैन धर्म में बड़ा महत्तव है. पद्मपुराण, स्कंदपुराण, भविष्यपुराण में चतुर्मास के महत्तव के बारे में विस्तार से बताया गया है. इन महीनों में अगर व्यक्ति सभी नियमों का अनुसरण करता है तो उसे सुख की प्राप्ति होती है और मरने के बाद उत्तमलोक की प्राप्ति होती है.