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सेवानिवृत्ति के दिन 10 साल पुराने मामले में दी चार्जशीट, हाइकोर्ट ने मांगा जवाब - Rajasthan High Court News

राजस्थान हाइकोर्ट ने चिकित्सक की सेवानिवृत्ति के दिन विभाग की ओर से 9 साल पुराने मामले के आधार पर आरोप पत्र देने और पेंशन परिलाभ रोकने पर संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

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राजस्थान हाइकोर्ट
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Published : Oct 21, 2021, 1:23 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने चिकित्सक की सेवानिवृत्ति के दिन विभाग की ओर से 9 साल पुराने मामले के आधार पर आरोप पत्र देने और पेंशन परिलाभ रोकने पर प्रमुख चिकित्सा सचिव, स्वास्थ्य निदेशक और उप कार्मिक सचिव से जवाब मांगा है. न्यायाधीश महेंद्र गोयल ने यह आदेश डॉ. हेमंत कुमार शर्मा की याचिका पर दिए.

पढ़ें- हाईकोर्ट: बॉर्डर तक जाने वाली सड़क का नवीनीकरण नहीं कराने पर मांगा जवाब

याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने बताया कि प्रमुख सर्जरी विशेषज्ञ याचिकाकर्ता को गत 31 अगस्त को सेवानिवृत्त किया गया था. इसी दिन उसे वर्ष 2012 में की गई कार्य के प्रति उदासीनता और लापरवाही का दोषी मानते हुए आरोप पत्र दे दिया. इस आरोप पत्र के आधार पर विभाग ने उसके पेंशन परिलाभ रोक लिए.

याचिका में कहा गया की पेंशन नियमों के तहत 4 वर्ष से पूर्व की घटना के संबंध में विभागीय जांच शुरू नहीं की जा सकती. इसके अलावा सेवानिवृत्ति के बाद विभागीय जांच के लिए राज्यपाल की अनुमति जरूरी है. मामले में याचिकाकर्ता को दुर्भावनावश सेवानिवृत्ति के दिन आरोप पत्र दिया गया है. जिस घटना के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की गई है, वह करीब एक दशक पुरानी है. ऐसे में विभागीय जांच और आरोप पत्र को रद्द किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने चिकित्सक की सेवानिवृत्ति के दिन विभाग की ओर से 9 साल पुराने मामले के आधार पर आरोप पत्र देने और पेंशन परिलाभ रोकने पर प्रमुख चिकित्सा सचिव, स्वास्थ्य निदेशक और उप कार्मिक सचिव से जवाब मांगा है. न्यायाधीश महेंद्र गोयल ने यह आदेश डॉ. हेमंत कुमार शर्मा की याचिका पर दिए.

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याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने बताया कि प्रमुख सर्जरी विशेषज्ञ याचिकाकर्ता को गत 31 अगस्त को सेवानिवृत्त किया गया था. इसी दिन उसे वर्ष 2012 में की गई कार्य के प्रति उदासीनता और लापरवाही का दोषी मानते हुए आरोप पत्र दे दिया. इस आरोप पत्र के आधार पर विभाग ने उसके पेंशन परिलाभ रोक लिए.

याचिका में कहा गया की पेंशन नियमों के तहत 4 वर्ष से पूर्व की घटना के संबंध में विभागीय जांच शुरू नहीं की जा सकती. इसके अलावा सेवानिवृत्ति के बाद विभागीय जांच के लिए राज्यपाल की अनुमति जरूरी है. मामले में याचिकाकर्ता को दुर्भावनावश सेवानिवृत्ति के दिन आरोप पत्र दिया गया है. जिस घटना के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की गई है, वह करीब एक दशक पुरानी है. ऐसे में विभागीय जांच और आरोप पत्र को रद्द किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

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