जयपुर . राजस्थान में पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में जुबानी जंग जारी है. सत्ता परिवर्तन के साथ पाठ्यक्रम में भी बदलाव का दौर शुरू हो गया है. अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. लिहाजा कांग्रेस बीजेपी द्वारा पूर्व में किए गए पाठ्यक्रम में बदलाव को पुनः संशोधित कर रही है. लेकिन इन सबके बीच इतिहासकार और शिक्षक शिक्षा के राजनीतिकरण को लेकर आहत हैं. उन्होंने शिक्षा का राजनीतिक कारण नहीं करने की बात की है. बीजेपी सरकार ने महाराणा प्रताप को महान बताया तो कांग्रेस महाराणा प्रताप को महान नहीं मान रही है. वह सिर्फ अपने पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप की शौर्य बलिदान और वीरता के किस्से ही पढ़ेगी. इतना ही नहीं कांग्रेस सरकार पद्मावती के जौहर को सती प्रथा के रूप में मानते हुए उसके चित्रण को पाठ्यक्रम से हटा रही है.
लेकिन इतिहासकारों की मानें तो इतिहास को सरकार अपने विचार धारा के अनुसार नहीं बदले. सरकारे आती और जाती रहती हैं, लेकिन शिक्षा का इस तरह से राजनीति करण बच्चों के भविष्य के लिए घातक है. इतिहासकार राघवेंद्र सिंह मनोहर ने कहा की महाराणा प्रताप की वीरता शौर्य और बलिदान किसी से छिपा हुआ नहीं है. इतिहास के पन्ने हमेशा इस बात की गवाही देते रहे हैं कि महाराणा प्रताप एक महान योद्धा थे. ऐसे में अगर कांग्रेस सरकार राजनीतिक द्वेष के चलते महाराणा प्रताप को महान नहीं मानती है तो यह बड़ा दुर्भाग्य है. उधर क्षत्राणी मंच की मनीषा सिंह ने कहा प्रदेश के शिक्षा मंत्री को ज्ञान का इतना अभाव है कि उन्हें यही पता नहीं है की सती और जौहर में क्या अंतर है.
उन्होंने कहा कि कक्षा 8 की अंग्रेजी की किताब में रानी पद्मावती के जौहर के चित्रण को हटा के कांग्रेस सरकार नारीशक्ति का अपमान कर रही है. उन्होंने कहा कि रानी पद्मावती ने 16 हजार रानियों के साथ में जौहर कुंड में इसलिए जौहर किया था ताकि वह अपनी अस्मिता बचा सके. लेकिन प्रदेश के शिक्षा मंत्री इसे सती प्रथा बताकर उससे पाठ्यक्रम से हटाने की बात कर रहे हैं. ये वीरांगनाओं का अपमान है. निजी स्कूल शिक्षक संघ की नेता सीमा शर्मा ने कहा कि प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही जो पाठ्यक्रम में बदलाव होता है उससे बच्चों में विपरीत असर पड़ता है. बच्चे इस बात से भ्रमित होते हैं कि उन्होंने जो कक्षा 7 वीं में जो इतिहास पढ़ा था वह कुछ और था और 5 साल बाद जब वो 11वीं पर आते हैं तो इतिहास अलग हो जाता है. सरकारें अपने राजनीतिक लाभ के लिए पाठ्यक्रमों में बदलाव कर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है जो बेहद गलत है.