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बयान के बाद बैरवा को मनाने में जुटी सरकार, दौड़ी संवैधानिक दर्जे की फाइल - Try to Persuade Khiladi Lal Bairwa

मुख्यमंत्री बदलने की बात कहने वाले खिलाड़ी लाल बैरवा को मनाने के लिए सरकार ने प्रयास (Try to Persuade Khiladi Lal Bairwa) शुरू कर दिए हैं. बैरवा के संविधानिक आयोग को लेकर 6 महीने से सुस्त चाल में चल रही फाइल भी अब तेज गति से दौड़ने लगी है. खुद मंत्री टीकाराम जूली ने इस मुद्दे पर बड़ी बात कही है.

Khiladi Lal Bairwa and Tikaram Jully
Khiladi Lal Bairwa and Tikaram Jully
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Published : Aug 30, 2022, 5:36 PM IST

जयपुर. राजस्थान एससी आयोग के अध्यक्ष और विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने जिस तरह से सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने और राजस्थान के मुख्यमंत्री की कमान सचिन पायलट को सौंपने की बात रखी, उसके बाद से राजस्थान की राजनीति में सियासी हलचल तेज हो गई है. इस मामले में कहा जा रहा है कि खिलाड़ी लाल बैरवा इस बात से भी नाराज हैं कि 6 महीने गुजर जाने के बाद भी एससी आयोग के अध्यक्ष के तौर पर उन्हें सरकार की ओर से संवैधानिक दर्जा नहीं मिला है.

इतना ही नहीं, लगातार अधिकारियों से हो रही एक के बाद एक मीटिंग से भी इस मसले का हल नहीं निकल रहा. यही कारण है कि बैरवा सरकार से नाराज हैं और पहले नाराज खिलाड़ी लाल बैरवा ने जालोर मामले में सरकार को कटघरे में खड़ा किया और अब वह प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने तक की बात (Khiladi Lal Bairwa on Rajasthan CM) कहने लगे हैं. लेकिन खिलाड़ी बैरवा की नाराजगी को अब साधने के प्रयास भी शुरू कर दिया गया है. यही कारण है कि खिलाड़ी लाल बैरवा के संविधानिक आयोग को लेकर 6 महीने से सुस्त चाल में चल रही फाइल अब तेज गति से दौड़ने लगी है.

किसने क्या कहा, सुनिए

खुद राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि एससी आयोग को अब तक संवैधानिक दर्जा नहीं देने की बात आई थी और इसे संवैधानिक दर्जा देने के लिए (Tikaram Jully on Khiladi Lal Bairwa) फाइल मेरे विभाग से पास होकर निकल चुकी है. अब इसे अगली कैबिनेट में रखा जाएगा और विधानसभा के इसी सत्र में ऐसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का कानून पारित कर लिया जाएगा. मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि खुद मुख्यमंत्री चाहते हैं कि एससी आयोग को जल्द से जल्द संवैधानिक दर्जा मिल सके, ताकि इसका फायदा प्रदेश के एससी समाज को मिल सके. मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि इस कानून के पास होने के बाद एससी आयोग को प्रदेश में सुनवाई के बाद निर्देश जारी करने की अलग से शक्तियां मिलेंगी और नए नियमों के बनने के बाद आयोग और ज्यादा मजबूती से समाज के ऐसे तबके के लिए काम कर सकेगा.

आपको बता दें कि 6 महीने से एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए खिलाड़ी लाल बैरवा लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली. खिलाड़ी बैरवा की नाराजगी का एक कारण यह भी है कि उन्हें पद तो दिया गया, लेकिन संवैधानिक दर्जे के बिना वह पद किसी काम का नहीं है. ऐसे में खिलाड़ी लाल बैरवा लगातार यह बात कह रहे हैं कि 19 सितंबर को जब विधानसभा सत्र शुरू होगा तो उन्हें संवैधानिक दर्जा दिए जाने का काम कर लिया जाएगा. वीहं, अब मंत्री ने उनकी बात पर मुहर लगा दी है. हालांकि, खिलाड़ी लाल बैरवा को उम्मीद थी कि पिछली कैबिनेट में इस मामले को ले लिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ था.

पढ़ें : MLA खिलाड़ी लाल बैरवा की खरी खरी, पायलट बनें सीएम, गहलोत को पार्टी से बहुत कुछ मिला, अब लौटाने का वक्त

रास्ता अब भी कठिन : एससी आयोग के अध्यक्ष के तौर पर खिलाड़ी लाल बैरवा को प्रदेश में संवैधानिक दर्जा प्राप्त नहीं है. इसके पीछे कारण है खिलाड़ी लाल बैरवा का विधायक होना और क्योंकि खिलाड़ी लाल बैरवा विधायक हैं ऐसे में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे में आने के चलते खिलाड़ी लाल बैरवा को यह दर्जा नहीं दिया जा सका. अब सरकार ने आयोगों को संवैधानिक दर्जा देने की फाइल तो चला दी है, लेकिन कोर्ट के निर्णय के चलते क्या सरकार इसे विधानसभा से कानून में तब्दील कर सकेगी, यह आने वाला समय ही बताएगा.

जयपुर. राजस्थान एससी आयोग के अध्यक्ष और विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने जिस तरह से सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने और राजस्थान के मुख्यमंत्री की कमान सचिन पायलट को सौंपने की बात रखी, उसके बाद से राजस्थान की राजनीति में सियासी हलचल तेज हो गई है. इस मामले में कहा जा रहा है कि खिलाड़ी लाल बैरवा इस बात से भी नाराज हैं कि 6 महीने गुजर जाने के बाद भी एससी आयोग के अध्यक्ष के तौर पर उन्हें सरकार की ओर से संवैधानिक दर्जा नहीं मिला है.

इतना ही नहीं, लगातार अधिकारियों से हो रही एक के बाद एक मीटिंग से भी इस मसले का हल नहीं निकल रहा. यही कारण है कि बैरवा सरकार से नाराज हैं और पहले नाराज खिलाड़ी लाल बैरवा ने जालोर मामले में सरकार को कटघरे में खड़ा किया और अब वह प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने तक की बात (Khiladi Lal Bairwa on Rajasthan CM) कहने लगे हैं. लेकिन खिलाड़ी बैरवा की नाराजगी को अब साधने के प्रयास भी शुरू कर दिया गया है. यही कारण है कि खिलाड़ी लाल बैरवा के संविधानिक आयोग को लेकर 6 महीने से सुस्त चाल में चल रही फाइल अब तेज गति से दौड़ने लगी है.

किसने क्या कहा, सुनिए

खुद राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि एससी आयोग को अब तक संवैधानिक दर्जा नहीं देने की बात आई थी और इसे संवैधानिक दर्जा देने के लिए (Tikaram Jully on Khiladi Lal Bairwa) फाइल मेरे विभाग से पास होकर निकल चुकी है. अब इसे अगली कैबिनेट में रखा जाएगा और विधानसभा के इसी सत्र में ऐसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का कानून पारित कर लिया जाएगा. मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि खुद मुख्यमंत्री चाहते हैं कि एससी आयोग को जल्द से जल्द संवैधानिक दर्जा मिल सके, ताकि इसका फायदा प्रदेश के एससी समाज को मिल सके. मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि इस कानून के पास होने के बाद एससी आयोग को प्रदेश में सुनवाई के बाद निर्देश जारी करने की अलग से शक्तियां मिलेंगी और नए नियमों के बनने के बाद आयोग और ज्यादा मजबूती से समाज के ऐसे तबके के लिए काम कर सकेगा.

आपको बता दें कि 6 महीने से एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए खिलाड़ी लाल बैरवा लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली. खिलाड़ी बैरवा की नाराजगी का एक कारण यह भी है कि उन्हें पद तो दिया गया, लेकिन संवैधानिक दर्जे के बिना वह पद किसी काम का नहीं है. ऐसे में खिलाड़ी लाल बैरवा लगातार यह बात कह रहे हैं कि 19 सितंबर को जब विधानसभा सत्र शुरू होगा तो उन्हें संवैधानिक दर्जा दिए जाने का काम कर लिया जाएगा. वीहं, अब मंत्री ने उनकी बात पर मुहर लगा दी है. हालांकि, खिलाड़ी लाल बैरवा को उम्मीद थी कि पिछली कैबिनेट में इस मामले को ले लिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ था.

पढ़ें : MLA खिलाड़ी लाल बैरवा की खरी खरी, पायलट बनें सीएम, गहलोत को पार्टी से बहुत कुछ मिला, अब लौटाने का वक्त

रास्ता अब भी कठिन : एससी आयोग के अध्यक्ष के तौर पर खिलाड़ी लाल बैरवा को प्रदेश में संवैधानिक दर्जा प्राप्त नहीं है. इसके पीछे कारण है खिलाड़ी लाल बैरवा का विधायक होना और क्योंकि खिलाड़ी लाल बैरवा विधायक हैं ऐसे में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे में आने के चलते खिलाड़ी लाल बैरवा को यह दर्जा नहीं दिया जा सका. अब सरकार ने आयोगों को संवैधानिक दर्जा देने की फाइल तो चला दी है, लेकिन कोर्ट के निर्णय के चलते क्या सरकार इसे विधानसभा से कानून में तब्दील कर सकेगी, यह आने वाला समय ही बताएगा.

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