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चंबल हादसा अपडेट: हर तरफ मचा कोहराम...अपनों से बिछड़े लोग, कई अब भी लापता - 10 drowned due to sinking boat in Chambal of Kota

कोटा के खातोली एरिया में गोठड़ा कला गांव के नजदीक चंबल नदी में एक नाव आज पलट गई. इस नाव में करीब 25 से 30 लोग सवार थे. इसके अलावा इसमें कुछ सामान और वाहन भी रखे हुए थे. यह लोग नाव के जरिए कमलेश्वर धाम बूंदी जा रहे थे. इस दर्दनाक हादसे में कई लोगों ने अपनों को खो दिया है. इस घटना के पीछे प्रशासन की लापरवाही सामने आई है.

rajasthan hindi news,  राजस्थान हिंदी न्यूज,  कोटा में डूबी नाव
चंबल हादसा अपडेट
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Published : Sep 16, 2020, 4:05 PM IST

कोटा. जिले के खातोली इलाके के गोठड़ा कला गांव के नजदीक चंबल नदी में आज यानी बुधवार सुबह एक नाव के पलट जाने से करीब 12 से अधिक लोगों की मौत की संभावना जदाई जा रही है. हादसा इतना हृदय विदारक है कि इसमें किसी ने अपनी पत्नी को खो दिया है, तो कुछ बच्चों के माताओं की मौत हो गई है. वहीं, किसी के पिता इस हादसे में गुम हो गए हैं, तो किसी व्यक्ति ने अपने जवान बेटे को खो दिया है.

चंबल हादसा अपडेट

घटनास्थल पर चीख-पुकार की आवाज सुनाई दे रही थी, क्योंकि लोगों के परिजन सूचना मिलने पर मौके पर पहुंच रहे थे. इसके अलावा अभी भी एसडीआरएफ और लोकल पुलिस का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. स्थानीय ग्रामीण विश्व में मदद कर रहे हैं, लेकिन जिन लोगों की मौत हुई है, उनके परिजनों का कोहराम भी चंबल नदी के किनारे पर जारी है. इन सभी के शवों को पुलिस ने नजदीकी अस्पताल पहुंचाया है. जहां पर उनका पोस्टमार्टम किया जाएगा. जिसके बाद शव परिजनों को सौंपने का काम शुरू होगा.

लंबे समय से जारी है अवैध रूप से नाव चलाने का सिलसिला...

गौरतलब है कि आज हादसा हुआ है, अधिकारी भी मौके पर आए हैं, लेकिन यह अवैध रूप से नाव का संचालन वर्षों से चल रहा है. जिस पर कभी भी अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया. प्रशासन की लापरवाही की वजह से आज 12 से ज्यादा लोगों की मौत की संभावना जताई जा रही है. अब पूरे प्रदेश में इससे हाहाकार मच गया है. जो नावें यहां पर संचालित की जाती है, उनकी काफी खराब हालत होती है, लेकिन फिर नाविक लोगों को नदी पार करा रहे हैं. आज का यह दर्दनाक हादसा प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही का ही नतीजा है.

यात्रियों के साथ वाहन भी थे नाव पर...

चौदस होने के उपलक्ष्य में बूंदी जिले के इंदरगढ़ एरिया में स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर पर दर्शन के लिए यह लोग नाव में सवार होकर जा रहे थे. इसके साथ ही नाव में बड़ी मात्रा में दुपहिया वाहन भी रखे हुए थे. नदी पार करते ही लोग इन वाहनों को लेकर दर्शन पर चले जाते. नाव में मौजूद लोगों के अनुसार एक तरफ से नाव में पानी भरने लगा, क्योंकि यात्रियों की संख्या ज्यादा थी. उसमें पानी भरने के चलते एकाएक नाव चंद मिनटों में ही डूब गई. कोटा ग्रामीण एसपी शरद चौधरी के अनुसार पुलिस ने 14 लोगों की ऐसी सूची बना ली है, जो चंबल नदी में मिसिंग हैं. इनमें से अबतक 12 लोगों के शवों को बाहर निकाल लिया गया है.

यह भी पढे़ं: कोटा : चंबल नदी में डूबी नाव, हादसे के बाद अबतक 12 लोगों के निकाले शव, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार नाव में करीब 18 बाइक लदी थी. बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं भी सवार थी. इनकी कुल संख्या बताना संभव नहीं, लेकिन अंदाजन 18 बाइक के हिसाब से करीब 50 लोग थे. ये सभी लोग कमलेश्वर महादेव मंदिर जा रहे थे. नाव जर्जर हो चुकी थी, इसलिए हादसा हुआ. कई लोग तैरना नहीं जानते थे. इसलिए करीब 10 से 15 लोगों के डूबे होने की आशंका है. जबकि 8 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं.

नाव डूबने के बाद कोहराम उस इलाके में मच गया महिलाएं और बच्चे बचाने के लिए चिल्लाने लगे. साथ ही अपने आप को डूबने से बचाने के लिए भी नदी में संघर्ष करते रहे. हालांकि, वहां पर किसी भी तरह की कोई सुविधा मौजूद नहीं थी. इसके अलावा उन महिलाओं और बच्चों को किनारे तक लाने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं थी. इसके लिए प्रशासन ही जिम्मेदार माना जा रहा है. क्योंकि इस तरह से अवैध रूप से नावों का संचालन तो किया जा रहा है, लेकिन किसी भी प्रकार हादसे से बचाव के लिए कोई उपकरण या टीम वहां पर तैनात नहीं है.

कोटा. जिले के खातोली इलाके के गोठड़ा कला गांव के नजदीक चंबल नदी में आज यानी बुधवार सुबह एक नाव के पलट जाने से करीब 12 से अधिक लोगों की मौत की संभावना जदाई जा रही है. हादसा इतना हृदय विदारक है कि इसमें किसी ने अपनी पत्नी को खो दिया है, तो कुछ बच्चों के माताओं की मौत हो गई है. वहीं, किसी के पिता इस हादसे में गुम हो गए हैं, तो किसी व्यक्ति ने अपने जवान बेटे को खो दिया है.

चंबल हादसा अपडेट

घटनास्थल पर चीख-पुकार की आवाज सुनाई दे रही थी, क्योंकि लोगों के परिजन सूचना मिलने पर मौके पर पहुंच रहे थे. इसके अलावा अभी भी एसडीआरएफ और लोकल पुलिस का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. स्थानीय ग्रामीण विश्व में मदद कर रहे हैं, लेकिन जिन लोगों की मौत हुई है, उनके परिजनों का कोहराम भी चंबल नदी के किनारे पर जारी है. इन सभी के शवों को पुलिस ने नजदीकी अस्पताल पहुंचाया है. जहां पर उनका पोस्टमार्टम किया जाएगा. जिसके बाद शव परिजनों को सौंपने का काम शुरू होगा.

लंबे समय से जारी है अवैध रूप से नाव चलाने का सिलसिला...

गौरतलब है कि आज हादसा हुआ है, अधिकारी भी मौके पर आए हैं, लेकिन यह अवैध रूप से नाव का संचालन वर्षों से चल रहा है. जिस पर कभी भी अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया. प्रशासन की लापरवाही की वजह से आज 12 से ज्यादा लोगों की मौत की संभावना जताई जा रही है. अब पूरे प्रदेश में इससे हाहाकार मच गया है. जो नावें यहां पर संचालित की जाती है, उनकी काफी खराब हालत होती है, लेकिन फिर नाविक लोगों को नदी पार करा रहे हैं. आज का यह दर्दनाक हादसा प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही का ही नतीजा है.

यात्रियों के साथ वाहन भी थे नाव पर...

चौदस होने के उपलक्ष्य में बूंदी जिले के इंदरगढ़ एरिया में स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर पर दर्शन के लिए यह लोग नाव में सवार होकर जा रहे थे. इसके साथ ही नाव में बड़ी मात्रा में दुपहिया वाहन भी रखे हुए थे. नदी पार करते ही लोग इन वाहनों को लेकर दर्शन पर चले जाते. नाव में मौजूद लोगों के अनुसार एक तरफ से नाव में पानी भरने लगा, क्योंकि यात्रियों की संख्या ज्यादा थी. उसमें पानी भरने के चलते एकाएक नाव चंद मिनटों में ही डूब गई. कोटा ग्रामीण एसपी शरद चौधरी के अनुसार पुलिस ने 14 लोगों की ऐसी सूची बना ली है, जो चंबल नदी में मिसिंग हैं. इनमें से अबतक 12 लोगों के शवों को बाहर निकाल लिया गया है.

यह भी पढे़ं: कोटा : चंबल नदी में डूबी नाव, हादसे के बाद अबतक 12 लोगों के निकाले शव, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार नाव में करीब 18 बाइक लदी थी. बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं भी सवार थी. इनकी कुल संख्या बताना संभव नहीं, लेकिन अंदाजन 18 बाइक के हिसाब से करीब 50 लोग थे. ये सभी लोग कमलेश्वर महादेव मंदिर जा रहे थे. नाव जर्जर हो चुकी थी, इसलिए हादसा हुआ. कई लोग तैरना नहीं जानते थे. इसलिए करीब 10 से 15 लोगों के डूबे होने की आशंका है. जबकि 8 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं.

नाव डूबने के बाद कोहराम उस इलाके में मच गया महिलाएं और बच्चे बचाने के लिए चिल्लाने लगे. साथ ही अपने आप को डूबने से बचाने के लिए भी नदी में संघर्ष करते रहे. हालांकि, वहां पर किसी भी तरह की कोई सुविधा मौजूद नहीं थी. इसके अलावा उन महिलाओं और बच्चों को किनारे तक लाने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं थी. इसके लिए प्रशासन ही जिम्मेदार माना जा रहा है. क्योंकि इस तरह से अवैध रूप से नावों का संचालन तो किया जा रहा है, लेकिन किसी भी प्रकार हादसे से बचाव के लिए कोई उपकरण या टीम वहां पर तैनात नहीं है.

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