जयपुर. केंद्रीय संयुक्त श्रमिक संगठनों ने राजधानी जयपुर में श्रम आयुक्त कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया. श्रम विरोधी कानूनों को वापस लेने की मांग की गई. 4 लेबर कोड और बिजली बिल 2020 को निरस्त करने की मांग को लेकर श्रमिक संगठनों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. इसके साथ ही श्रमिक संगठनों ने किसान आंदोलन को भी समर्थन दिया.
केंद्रीय श्रमिक संगठनों और विभिन्न क्षेत्रों के स्वतंत्र कर्मचारी राष्ट्रीय महासंघ के संयुक्त मंच के आह्वान पर भारत सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस मनाया गया. 30 जनवरी को केंद्रीय श्रमिक संगठनों और विभिन्न क्षेत्रों के स्वतंत्र कर्मचारी राष्ट्रीय महासंघ की ओर से बैठक में निर्णय लिया गया था. जिसके बाद आज संयुक्त रूप से राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस मनाया गया.
इस अवसर पर श्रमिक विरोधी 4 लेबर कोड की प्रतियां जलाकर विरोध जताया गया. संयुक्त मंच के प्रत्येक संगठन के न्यूनतम 20 पदाधिकारी और कार्यकर्ता प्रदर्शन में शामिल हुए. संयुक्त राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस में भाग लेने वाले कर्मचारियों ने कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए मास्क पहनकर और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के साथ विरोध दर्ज कराया. विरोध प्रदर्शन में श्रमिक संगठन इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, राजस्थान सीटू, एक्टू के पदाधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए.
हिंद मजदूर सभा के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश माथुर ने बताया कि देश भर के श्रमिक संगठनों के आवाहन पर श्रमिक कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया है. 4 लेबर कोड के विरोध में प्रदर्शन किया गया है. बजट में भी सार्वजनिक उद्योग क्षेत्रों में निजीकरण की नीति और कृषि कानूनों का विरोध किया गया है. एनपीएस को हटाने की भी मांग की गई है. अगर सरकार ने आने वाले समय में मांगों पर सुनवाई नहीं की और श्रमिक विरोधी कानूनों को वापस नहीं लिया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
रोडवेज कर्मचारी यूनियन एटक के प्रदेश अध्यक्ष एमएल यादव ने बताया कि केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आवाहन पर पूरे देश भर में विरोध प्रदर्शन किया गया है. भारत सरकार की श्रम विरोधी मजदूर विरोधी और किसान विरोधी नीतियों के विरोध में राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस मनाया गया है.
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उन्होंने कहा कि भारत सरकार एक के बाद एक मजदूरों, किसानों और आमजनता के खिलाफ कदम उठा रही है. मजदूरों के 44 श्रम कानूनों को तोड़कर 4 श्रम कानून बनाया गया है, जो कि गलत है. 4 श्रम कानूनों से बनाए गए हैं, जो मालिक पक्षी हैं और श्रमिकों के विरोधी हैं. कोरोना काल में जो मजदूर बेरोजगार हो गए और गरीबी की मार झेल रहे हैं, उनको खाने के लिए कोई साधन नहीं है. ऐसे में मजदूरों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाए. मजदूरों को सरकार की तरफ से आर्थिक मदद भी दी जाए.
श्रमिक संगठनों की ओर से किसान आंदोलन को भी समर्थन दिया जा रहा है. इस बार जो बजट आया है, वह आमजन विरोधी बजट है. रेल, एयरपोर्ट और ट्रांसपोर्ट समेत भिन्न-भिन्न विभागों को प्राइवेट हाथों में दिया जा रहा है, जिसका भी श्रमिक संगठनों ने विरोध किया है. अगर सभी निज हाथों में दे दिए जाएंगे तो बचेगा क्या.
श्रमिक संगठनों की प्रमुख मांगें
- श्रमिक विरोधी 4 लेबर कोड और जनविरोधी बिजली विधेयक 2020 निरस्त किया जाए
- सभी क्षेत्र में निजीकरण बंद किया जाए
- सभी गरीब श्रमिक परिवारों को आर्थिक एवं खाद्य सहायता उपलब्ध करवाई जाए
- आम बजट 2021-22 की श्रमिक विरोधी नीतियां और सभी तरह के राजकीय व सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करने की नीतियां वापस लेने की मांग