जयपुर. देश में 9 दिसंबर 2013 को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम पारित किया गया. यह नियम उन संस्थानों में लागू किया गया था. जहां 10 से अधिक लोग काम करते हैं. इस नियम के तहत संस्थान को एक कमेटी का गठन करना होगा. जो कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के मामलों की शिकायत को सुनेगी और उसकी जांच करेगी. सुप्रीम कोर्ट के जारी निर्देशों के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के डीजीपी को पत्र लिखकर कमेटियों की रिपोर्ट मांगी है. अब राज्य के डीजीपी इसकी तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार करके केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेजेंगे.
कार्यस्थल पर महिला उत्पीड़न रोकने वाला कानून-:
- कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकथाम निषेध और निवारण अधिनियम 2013 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित विशाखा दिशा निर्देशों को अभिक्रमित कर दिया गया था. महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए लोकसभा द्वारा 3 सितंबर 2012 और राज्यसभा द्वारा 26 जनवरी 2013 को यह अधिनियम पारित किया गया था. जिसके बाद 9 दिसंबर 2013 को अधिनियम लागू हुआ. लेकिन अधिनियम को राष्ट्रपति की सहमति 23 अप्रैल 2013 को मिली.
- इस अधिनियम के प्रावधानों में सभी कार्यस्थल में 10 से अधिक कर्मचारियों के लिए वहां की शिकायतों के निपटारे हेतु एक अनिवार्य शिकायत समिति होनी चाहिए.
- कर्मचारियों की बीच की दो सदस्यों को सामाजिक कार्य किया कानूनी ज्ञान का अनुभव होना चाहिए.
- साथ ही शिकायत समिति का एक सदस्य एवं उत्पीड़न से संबंधित मुद्दों से संबंधित गैर सरकारी संगठनों से होना चाहिए. नामांकित सदस्यों में से 50% महिलाएं होनी चाहिए.
- कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों में 90 दिनों के अंदर वहां की शिकायत समिति द्वारा हल करना होगा. अन्यथा जुर्माना लगाया जाएगा. जिससे कार्यालय का पंजीकरण या लाइसेंस रद्द हो सकता है.
- यौन उत्पीड़न के आरोपी व्यक्ति को बर्खास्त किया जा सकता है. इसके अलावा अगर आरोप झूठे साबित होते हैं तो शिकायतकर्ता को इसी तरह की सजा का सामना करना पड़ सकता है. अधिनियम के तहत उनकी भूमिका और कर्तव्यों का उल्लंघन करने के मामले में दोषी व्यक्ति को 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है.
- दंड के रूप में 1 से 3 साल तक का कारावास या जुर्माना हो सकता है. जैसा की यौन उत्पीड़न को एक अपराध माना जाता है. इसलिए पुलिस को अपराधियों की रिपोर्ट करनी चाहिए.
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दिए गए पत्र के बाद अब राज्य गृह मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय प्रदेश में यौन उत्पीड़न से जुड़ी कमेटियों की रिपोर्ट तैयार करने में जुट गया है. रिपोर्ट तैयार होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेजी जाएगी.