जयपुर. जवाहर कला केंद्र (जेकेके) इंटरनेशनल पेंटिंग एग्जीबिशन 'सेलिब्रेटिंग इंडियन लैंग्वेजेज-द लर्निंग कर्व' का बुधवार को शुभारंभ हुआ. बता दें कि कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने अलंकार आर्ट गैलेरी में इसका उद्घाटन किया.
24 दिसंबर तक चलने वाली यह एग्जीबिशन जेकेके द्वारा इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स के सहयोग से आयोजित की जा रही है. इस अवसर पर राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव डी.बी. गुप्ता, एग्जीबिशन की क्यूरेटर किरण सोनी गुप्ता और अनेक प्रतिष्ठित कलाकार भी उपस्थित रहे.
इस अवसर पर कला एवं संस्कृति मंत्री, डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि यह प्रदर्शनी वर्तमान पीढ़ी को खास तौर पर प्रेरणा देती है कि चाहे हम किसी भी भाषा के बोलने वाले हों. हम सभी एक हैं. वहीं मुख्य सचिव डी.बी. गुप्ता ने कहा कि इस एग्जीबिशन में इंटरनेशनल आर्टिस्ट ने नेचुरल लैण्डस्केप, योगा और स्थानीय भाषाओं जैसे पंजाबी, मलयाली के माध्यम से यह कहने की कोशिश की है कि सम्पूर्ण विश्व एक है.
100 कलाकारों की क्यूरेटेड एग्जीबिशन...
बता दें कि प्रदर्शनी में भारत की अनेक भाषाएं एवं बोलियों की विविधता है. यह पेंटिंग एग्जीबिशन अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कलाकारों द्वारा कलाकृति के माध्यम से इस भाषाई विविधता को प्रस्तुत करने का एक प्रयास है. 'सेलिब्रेटिंग इंडियन लैंग्वेजेज-द लर्निंग कर्व' भारत और दूसरे देशों के लगभग 100 कलाकारों की क्यूरेटेड एग्जीबिशन है, जिसमें भारत की भाषाई विविधता को दर्शाया जा रहा है.
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चुनिन्दा पेंटिंग्स हो रही प्रदर्शित...
इस एग्जीबिशन में यूके, यूएसए, जर्मनी, ब्राजील, टर्की एवं ऑस्ट्रिया के कलाकारों के अतिरिक्त राजस्थान, नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, पश्चिम बंगाल, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक, केरला, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु, असम, आदि प्रदेशों के वरिष्ठ एवं सम्मानित कलाकारों की चुनिन्दा पेंटिंग्स प्रदर्शित की जा रही है.
उल्लेखनीय है कि भारत में 350 से अधिक भाषाएं हैं और यहां भाषाओं का अनूठा एवं दुर्लभ मिश्रण है. यह एग्जीबिशन भारतीय लिपियों में निहित चार प्रमुख भाषा समूह- द्रविड़, इंडो आर्यन, ऑस्ट्रो-एशियाटिक और टिबेटो बर्मन की शक्ति को सभी के समक्ष प्रदर्शित करने का प्रयास है. प्रदर्शनी की क्यूरेटर किरण सोनी गुप्ता द्वारा तैयार की गई थीम के अनुरूप कलाकारों की खूबसूरत कलाकृतियां भारत की विविधता में एकता, जीवंत रंगों, वस्तुओं को देखने के विभिन्न नजरिए और देश के बहुआयामी दृष्टिकोण को दर्शाती हैं.