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IPS पंकज चौधरीः जिन्हें केद्र सरकार ने दो शादी करने के आरोप में बर्खास्त किया था...कैट ने उस आदेश को रद्द कर दिया

कैट की प्रधान पीठ नई दिल्ली ने 2009 के राजस्थान कैडर के IPS पंकज चौधरी को राहत देते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय के 6 मार्च 2019 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें उन्हें सेवा से बर्खास्त किया गया था. केट ने IPS चौधरी को बर्खास्त करने के लिए बनाए गए आधार को भी गलत माना है.

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Published : Dec 11, 2020, 8:21 AM IST

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IPS पंकज चौधरी का बर्खास्तगी आदेश रद्द

जयपुर. कैट की प्रधान पीठ नई दिल्ली ने 2009 के राजस्थान कैडर के आईपीएस पंकज चौधरी को राहत देते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय के 6 मार्च 2019 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें उन्हें सेवा से बर्खास्त किया गया था. इसके साथ ही केट ने केंद्र सरकार के पंकज चौधरी को बर्खास्त करने के लिए बनाए आधार को भी गलत माना है.

दरअसल, केंद्र सरकार ने पहली पत्नी को तलाक लिए बिना दूसरी शादी करने को लेकर पंकज चौधरी की बर्खास्तगी का आधार माना था, जिसपर केंद्र सरकार का कहना था कि बिना तलाक दूसरी शादी करना अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम 1968 के नियम 3-1 का उल्लंघन है. इन नियमों के उल्लंघन पर अफसर की बर्खास्तगी का प्रावधान है.

पढ़ें: आज होंगे उप प्रमुख और उप प्रधान के चुनाव, प्रशासन ने की तैयारी पूरी

इस मामले में आईपीएस चौधरी के खिलाफ राज्य सरकार ने विस्तृत चार्जशीट केंद्र को भिजवाई थी. तब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 20 जुलाई 2018 को यूपीएससी को रिपोर्ट भिजवाई थी, जिसके बाद यूपीएससी ने 5 नवंबर 2018 को केंद्र काे लिखे पत्र में आईपीएस पंकज चौधरी को सेवा से बर्खास्त करने की सिफारिश की थी. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बर्खास्तगी की कार्रवाई की थी.

हालांकि, पंकज चौधरी ने भी गृह मंत्रालय में अपना पक्ष रखा था, लेकिन उसे सही नहीं माना गया था, जिसपर आईपीएस चौधरी ने केंद्र सरकार के बर्खास्त करने की कार्रवाई को कैट में चुनौती दी थी. बता दें, पंकज चौधरी की दलील थी कि केंद्र सरकार ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने के लिए जो आधार लिया है, वह गलत है.

जयपुर. कैट की प्रधान पीठ नई दिल्ली ने 2009 के राजस्थान कैडर के आईपीएस पंकज चौधरी को राहत देते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय के 6 मार्च 2019 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें उन्हें सेवा से बर्खास्त किया गया था. इसके साथ ही केट ने केंद्र सरकार के पंकज चौधरी को बर्खास्त करने के लिए बनाए आधार को भी गलत माना है.

दरअसल, केंद्र सरकार ने पहली पत्नी को तलाक लिए बिना दूसरी शादी करने को लेकर पंकज चौधरी की बर्खास्तगी का आधार माना था, जिसपर केंद्र सरकार का कहना था कि बिना तलाक दूसरी शादी करना अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम 1968 के नियम 3-1 का उल्लंघन है. इन नियमों के उल्लंघन पर अफसर की बर्खास्तगी का प्रावधान है.

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इस मामले में आईपीएस चौधरी के खिलाफ राज्य सरकार ने विस्तृत चार्जशीट केंद्र को भिजवाई थी. तब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 20 जुलाई 2018 को यूपीएससी को रिपोर्ट भिजवाई थी, जिसके बाद यूपीएससी ने 5 नवंबर 2018 को केंद्र काे लिखे पत्र में आईपीएस पंकज चौधरी को सेवा से बर्खास्त करने की सिफारिश की थी. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बर्खास्तगी की कार्रवाई की थी.

हालांकि, पंकज चौधरी ने भी गृह मंत्रालय में अपना पक्ष रखा था, लेकिन उसे सही नहीं माना गया था, जिसपर आईपीएस चौधरी ने केंद्र सरकार के बर्खास्त करने की कार्रवाई को कैट में चुनौती दी थी. बता दें, पंकज चौधरी की दलील थी कि केंद्र सरकार ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने के लिए जो आधार लिया है, वह गलत है.

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