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Rajasthan Politics: यूपी की तरह राजस्थान के जातिगत समीकरण पार लगाते हैं नैय्या...इन जातियों के भरोसे पार्टियां चलती हैं चुनावी चाल - Jat Population in Rajasthan

यूपी सहित चार राज्यों में जारी चुनावी घमासान में हर कोई जातिगत समीकरणों को साधते हुए जीत का परचम लहराने में लगा हुआ है. यही हाल राजस्थान की राजनीति (Rajasthan Politics) का भी रहा है. यहां की राजनीति में भी जातिगत समीकरणों (caste equation in Rajasthan) का बोल-बाला रहा है.

caste equation in Rajasthan
caste equation in Rajasthan
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Published : Jan 28, 2022, 4:03 PM IST

Updated : Jan 28, 2022, 4:51 PM IST

जयपुर. उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों के चुनावों में हार-जीत का आधार जातिगत समीकरणों को मानकर पार्टियां आगे बढ़ रही हैं. इन राज्यों की तरह ही राजस्थान की राजनीति भी हमेशा से जातियों (caste equation in Rajasthan) के इर्द गिर्द रही है.

राजस्थान में अंतिम बार जातिगत आधार पर जनगणना साल 1931 में अंग्रेजों के शासनकाल में हुई थी. इसके बाद से अब तक प्रदेश में जातिगत जनगणना नहीं हुई. लेकिन विभिन्न जातियां अपनी-अपनी जाति की संख्या को लेकर दावे करती रहती हैं. हालांकि अलग-अलग दावों में जातियां भी अलग-अलग संख्या में मिलती है. समय के साथ विभिन्न जातियों का प्रभाव और जनसंख्या घटती बढ़ती रही है.

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राजस्थान में यह है प्रमुख जातियों की जनसंख्या

राजस्थान में प्रमुख जातियों की जनसंख्या की बात की जाए राजस्थान की कुल 7 करोड़ आबादी में से 89 प्रतिशत हिन्दू आबादी है. 9 प्रतिशत मुस्लिम आबादी और 2 प्रतिशत अन्य हैं. अब हिंदू आबादी में देखा जाए तो सबसे ज्यादा एससी फिर जाट हैं. इसके बाद राजपूत, मीणा, गुर्जर और ब्राह्मण और मूल ओबीसी आते हैं.

यह है जातियों की संख्या

दलितः राजस्थान में 21 से 24 फ़ीसदी दलित आबादी को माना जाता है. दलितों की बात करें तो राजस्थान में मेघवाल, जाटव, बैरवा, खटीक सहित अन्य इसमें शामिल हैं.

जाटः राजनीतिक तौर पर राजस्थान में अगर किसी जाति को सबसे ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है तो वह है जाट. जाटों की आबादी को लेकर भी राजस्थान में अलग-अलग दावे किए जाते हैं. लेकिन एक मोटे अनुमान के अनुसार राजस्थान में 13 से 15 फीसदी आबादी जाट (Jat Population in Rajasthan) है.

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राजपूतः आजादी के पहले और आजादी के ठीक बाद के समय राजस्थान में सबसे ज्यादा वर्चस्व रखने वाली जाति राजपूत मानी जाती रही है. लेकिन समय के साथ-साथ इनका वर्चस्व राजस्थान की राजनीति में कम होता चला गया. राजस्थान में राजपूतों की आबादी 9 से 10 फीसदी मानी जाती है.

एसटी और मीनाः राजस्थान में एसटी की आबादी 8 से 9 फीसदी मानी जाती है. इसमें सबसे ज्यादा 7 फीसदी मीणा तो बाकी भील गरासिया एवं अन्य जनजाति शामिल हैं.

मुस्लिमः राजस्थान में मुस्लिमों की आबादी करीब 9 फीसदी मानी जाती है।

गुर्जरः गुर्जर भले ही एक समय राजस्थान की राजनीति में कम प्रभाव रखते थे, लेकिन सामाजिक जागरूकता और जाति की संख्या के आधार पर जब से गुर्जरों ने 5 फीसदी आरक्षण राजस्थान (Gurjar Reservation in Rajasthan) में लिया है. तब से गुर्जरों को भी राजस्थान की राजनीति में एक अहम हिस्सेदार माना जाता है. राजस्थान में गुर्जर आबादी की बात करें तो यह करीब 6 से 7 फीसदी मानी जाती है.

पढ़ें. Groupism in Jaipur Congress : कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई हेरिटेज निगम महापौर की कुर्सी तक जा पहुंची...जानें पूरा माजरा

ब्राह्मणः भले ही राजस्थान की आबादी में ब्राह्मण 5 से 6 फीसदी हों. लेकिन ब्राह्मणों का राजस्थान की राजनीति में हमेशा से जबरदस्त प्रभाव रहा है. यही कारण है कि हीरालाल शास्त्री, जय नारायण व्यास, टीकाराम पालीवाल, हरिदेव जोशी मुख्यमंत्री रहे.

मूल ओबीसीः राजस्थान में 14 से 16 फीसदी आबादी मूल ओबीसी की मानी जाती है. जिसमें कुम्हार, धोबी, नाई, माली, खाती,दर्जी समेत कुछ मुस्लिम शामिल हैं.

अन्यः 4 फीसदी अन्य जातियां भी राजस्थान में हैं. जिनमें वैश्य, पंजाबी, कायस्थ, सिंधी शामिल हैं.

जयपुर. उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों के चुनावों में हार-जीत का आधार जातिगत समीकरणों को मानकर पार्टियां आगे बढ़ रही हैं. इन राज्यों की तरह ही राजस्थान की राजनीति भी हमेशा से जातियों (caste equation in Rajasthan) के इर्द गिर्द रही है.

राजस्थान में अंतिम बार जातिगत आधार पर जनगणना साल 1931 में अंग्रेजों के शासनकाल में हुई थी. इसके बाद से अब तक प्रदेश में जातिगत जनगणना नहीं हुई. लेकिन विभिन्न जातियां अपनी-अपनी जाति की संख्या को लेकर दावे करती रहती हैं. हालांकि अलग-अलग दावों में जातियां भी अलग-अलग संख्या में मिलती है. समय के साथ विभिन्न जातियों का प्रभाव और जनसंख्या घटती बढ़ती रही है.

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राजस्थान में यह है प्रमुख जातियों की जनसंख्या

राजस्थान में प्रमुख जातियों की जनसंख्या की बात की जाए राजस्थान की कुल 7 करोड़ आबादी में से 89 प्रतिशत हिन्दू आबादी है. 9 प्रतिशत मुस्लिम आबादी और 2 प्रतिशत अन्य हैं. अब हिंदू आबादी में देखा जाए तो सबसे ज्यादा एससी फिर जाट हैं. इसके बाद राजपूत, मीणा, गुर्जर और ब्राह्मण और मूल ओबीसी आते हैं.

यह है जातियों की संख्या

दलितः राजस्थान में 21 से 24 फ़ीसदी दलित आबादी को माना जाता है. दलितों की बात करें तो राजस्थान में मेघवाल, जाटव, बैरवा, खटीक सहित अन्य इसमें शामिल हैं.

जाटः राजनीतिक तौर पर राजस्थान में अगर किसी जाति को सबसे ज्यादा प्रभावशाली माना जाता है तो वह है जाट. जाटों की आबादी को लेकर भी राजस्थान में अलग-अलग दावे किए जाते हैं. लेकिन एक मोटे अनुमान के अनुसार राजस्थान में 13 से 15 फीसदी आबादी जाट (Jat Population in Rajasthan) है.

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राजपूतः आजादी के पहले और आजादी के ठीक बाद के समय राजस्थान में सबसे ज्यादा वर्चस्व रखने वाली जाति राजपूत मानी जाती रही है. लेकिन समय के साथ-साथ इनका वर्चस्व राजस्थान की राजनीति में कम होता चला गया. राजस्थान में राजपूतों की आबादी 9 से 10 फीसदी मानी जाती है.

एसटी और मीनाः राजस्थान में एसटी की आबादी 8 से 9 फीसदी मानी जाती है. इसमें सबसे ज्यादा 7 फीसदी मीणा तो बाकी भील गरासिया एवं अन्य जनजाति शामिल हैं.

मुस्लिमः राजस्थान में मुस्लिमों की आबादी करीब 9 फीसदी मानी जाती है।

गुर्जरः गुर्जर भले ही एक समय राजस्थान की राजनीति में कम प्रभाव रखते थे, लेकिन सामाजिक जागरूकता और जाति की संख्या के आधार पर जब से गुर्जरों ने 5 फीसदी आरक्षण राजस्थान (Gurjar Reservation in Rajasthan) में लिया है. तब से गुर्जरों को भी राजस्थान की राजनीति में एक अहम हिस्सेदार माना जाता है. राजस्थान में गुर्जर आबादी की बात करें तो यह करीब 6 से 7 फीसदी मानी जाती है.

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ब्राह्मणः भले ही राजस्थान की आबादी में ब्राह्मण 5 से 6 फीसदी हों. लेकिन ब्राह्मणों का राजस्थान की राजनीति में हमेशा से जबरदस्त प्रभाव रहा है. यही कारण है कि हीरालाल शास्त्री, जय नारायण व्यास, टीकाराम पालीवाल, हरिदेव जोशी मुख्यमंत्री रहे.

मूल ओबीसीः राजस्थान में 14 से 16 फीसदी आबादी मूल ओबीसी की मानी जाती है. जिसमें कुम्हार, धोबी, नाई, माली, खाती,दर्जी समेत कुछ मुस्लिम शामिल हैं.

अन्यः 4 फीसदी अन्य जातियां भी राजस्थान में हैं. जिनमें वैश्य, पंजाबी, कायस्थ, सिंधी शामिल हैं.

Last Updated : Jan 28, 2022, 4:51 PM IST
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