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सदन में गूंजा रिश्वत में अस्मत मांगने का मामला, मंत्री धारीवाल ने कहा- यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस, बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू

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Published : Mar 15, 2021, 3:59 PM IST

Updated : Mar 15, 2021, 4:19 PM IST

प्रदेश में खाकी को शर्मसार कर देने वाले रिश्वत में अस्मत मांगने के मामले में गृह विभाग ने आरोपी आरपीएस अधिकारी को पहले सस्पेंड कर दिया, उसके बाद अब बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू कर दी है. विधानसभा में सोमवार को उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने यह मामला उठाया. इस पर शांति धारीवाल ने जवाब देते हुए कहा कि यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस है, जो सरकार और व्यवस्था के ऊपर एक कलंक है.

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मंत्री शांति धारीवाल

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने एसीबी की ओर से रिश्वत के बदले अस्मत मांगने का मामला उठाया. इस पर सरकार की ओर से भी जवाब पेश किया गया. अपने जवाब में मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि रिश्वत के बदले अस्मत मांगने के मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस मानते हुए कैलाश बोहरा को बर्खास्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

सदन में गूंजा रिश्वत में अस्मत मांगने का मामला

पढ़ें-रिश्वत में अस्मत मांगने वाला RPS कैलाश बोहरा सस्पेंड, गृह विभाग ने जारी किए आदेश

शांति धारीवाल ने कहा कि इस तरीके की घटना पूरी पुलिस नहीं सरकार और व्यवस्था के खिलाफ एक कलंक है. कुछ दिन पहले खेड़ली अलवर में जो केस हुआ था, उसमें भी बात यही थी. कैलाश बोहरा के खिलाफ सीबीआई ने केस रजिस्टर किया और यह वहां से भी बरी हो गया. इस तरीके के 50 और केस हैं केवल राजस्थान में नहीं बल्कि देश में जहां ऐसी घटनाएं होती है.

धारीवाल ने कहा कि महिला की ओर से 3 प्रकरण दर्ज करवाया गया था, जिसका अनुसंधान सहायक पुलिस आयुक्त महिला सेल जयपुर पूर्व की ओर से किया जा रहा है. तथाकथित जांच कर रहे आरोपी ने पुलिस अधिकारी एसपी की ओर से परिवादी के पक्ष में कार्रवाई हेतु पहले पैसों की मांग की गई और बार-बार अनुसंधान के लिए बुलाते हुए अंत में उसकी अस्मत भी रिश्वत में मांगी.

आरोपी एसपी की ओर से अनावश्यक रूप से दफ्तर में बुलाने पर एसीबी ने उसको गिरफ्तार कर प्रकरण भी दर्ज कर लिया है. आरोपी अधिकारी को 15 मार्च को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया है. अब आरोपी कैलाश बोहरा के खिलाफ राजस्थान सिविल सर्विस क्लासिफिकेशन कंट्रोल एंड अपील रूल्स 1958 के नियम 92 के अंतर्गत सेवा से बर्खास्त करने के लिए कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है.

यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस

नेता प्रतिपक्ष ने दिया धन्यवाद

इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने सरकार और मंत्री शांति धारीवाल को धन्यवाद दिया कि उसे बर्खास्त कर दिया गया है. इस पर कार्रवाई करनी चाहिए. इस तरीके की घटना राजस्थान को शर्मनाक करती है. उन्होंने कहा कि ऐसे पुलिस के दागी लोग जिन्होंने पुलिस की पूरी छवि खराब कर रखी है. इस प्रकार की घटना जब भी घटित होती है तो तुरंत कानून की पूर्ति तो करनी होगी, लेकिन जैसे ही निलंबित किया बर्खास्तगी की प्रक्रिया को शुरू कर दें. साथ ही उस व्यक्ति को तब तक नौकरी पर नहीं आने दें जब तक पूरा फैसला ना हो जाए.

ऐसे लोगों को तुरंत नौकरी से बर्खास्त करना चाहिए

कटारिया ने कहा कि इस तरह के केसों को हम कोर्ट में भी पीछा करें. ऐसे 10-15 केस ही होंगे, जब रक्षक भक्षक हो जाता है और पूरे राजस्थान की ऐसे प्रकरण में तोहीन हुई है. विभाग की छवि बनाने के लिए ऐसे लोगों को तुरंत नौकरी से बर्खास्त करना चाहिए. अगर कोर्ट से जीतकर आ जाएगा पूरी तनख्वाह मिल जाएगी कोई चिंता नहीं, लेकिन एक बार सड़क पर ला दो ताकि उससे बाकी लोग सीख सके.

पढ़ें- रेप केस की जांच के बदले ACP ने महिला से मांगी अस्मत, ACB ने आपत्तिजनक हालत में पकड़ा

वहीं, इस पर राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि आपने बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू कर दी, लेकिन आपके विभाग का सर्कुलर 2003, 2005 और 2007 में साफ लिखा है कि अगर किसी भी पुलिस अधिकारी के विरुद्ध किसी न्यायालय में मामला लंबित हो या 16 सीसी की कार्रवाई हो तो उसे फील्ड की पोस्टिंग नहीं दी जाएगी. उसको पोस्टिंग क्यों दी गई? जब आपने खुद माना कि सीबीआई में इसके खिलाफ मामला था तो इसको पोस्टिंग क्यों दी और किसने दी.

यह सरकार की संवेदनशीलता है

सदन में हंगामा

इस पर सदन में हंगामा हुआ कि ऐसे दागी व्यक्तियों को नौकरी पर लिया क्यों? इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिस व्यक्ति पर इस प्रकार का आरोप पहले भी लग चुका है जैसा कि आप का रिकॉर्ड बता रहा है. यह आपके ध्यान में पहले से था और इस व्यक्ति को महिला के अपराधों को देखने के लिए लगाया गया यह कितना गंभीर मामला है.

यह रेयर ऑफ रेयर केस है

इस पर शांति धारीवाल ने जवाब देते हुए कहा कि यह रेयर ऑफ रेयर केस है. हमने सारी प्रक्रिया को छोड़ते हुए उसको नोटिस नहीं दिया बल्कि सीधा बर्खास्त कर दिया है. हमने उसे बर्खास्त 311 आर्टिकल कॉन्स्टिट्यूशन के तहत किया, जो यह कहता है कि अगर अप्वाइंटिंग अथॉरिटी यह समझती है कि यह मामला अत्यंत गंभीर है तो ऐसे में सारे प्रोसीजर भूल कर अपनी कार्रवाई कर देनी चाहिए.

यह सरकार की संवेदनशीलता है

धारीवाल ने कहा कि आज सुबह से इस बात पर चर्चा चल रही थी कि यह मामला अत्यंत गंभीर है. मामले को लेकर अधिकारियों ने कहा कि इसमें प्रोसीजर को फॉलो करना जरूरी नहीं है. उन्होंने कहा कि कल की घटना पर अगर आज बर्खास्तगी हो जाती है तो यह सरकार की संवेदनशीलता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह क्रिमिनल था और उसके पुराने केस थे, इसकी भी जांच करवा ली जाएगी कि किस कारण से उसे इस पोस्ट पर लगाई गई. साथ ही कौन अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार है, इसकी भी जांच कर ली जाएगी.

इस पर कटारिया ने कहा कि जिस व्यक्ति के खिलाफ इस तरह के केस हो, अगर ऐसा कोई व्यक्ति अभी फील्ड पोस्टिंग पर है तो अब ऐसे दागी सभी व्यक्तियों को फील्ड पोस्टिंग नहीं मिलेगी. यह सरकार आश्वस्त करें. इस पर शांति धारीवाल ने कहा कि मैं सहमत हूं, लेकिन मैं कोई कमिटमेंट नहीं कर सकता. इस पर सदन में हंगामा हुआ.

शांति धारीवाल ने कहा कि मैं सैद्धांतिक रूप से इस बात से सहमति रखता हूं, लेकिन सवाल यह आता है कि किसी के खिलाफ अदालत में कोई केस चल रहा है तो ड्यूरिंग द पेंडेंसी ऑफ केस हम यह नहीं मान सकते कि इसको सजा होगी ही होगी. उसको कभी पोस्टिंग नहीं दी जाएगी, यह कभी नहीं होता है.

सदन में हंगामा

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ऐसे पेंडिंग केस जिसमे ना तो सजायाफ्ता है और न ही वह फ्री है, ऐसे केस में चाहे कोई भी व्यक्ति हो. जिसकी इस प्रकार की दागी सर्विस है और जिनको फील्ड पोस्टिंग आप के नियमों के हिसाब से नहीं दी जा सकती है तो ऐसे लोगों को तुरंत दफ्तर में दाखिल करना चाहिए.

शेखावत के खिलाफ जांच चल रही, फिर भी केंद्र में मंत्री हैं

इस पर शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ जांच चल रही है और वह केंद्र में मंत्री बने हुए बैठे हैं. इस पर फिर सदन में हंगामा हुआ. हालांकि, बाद में इसे सभापति राजेंद्र पारीक ने संभाल लिया और मंत्री शांति धारीवाल से भी कहा कि इस मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया जाए और नेता प्रतिपक्ष से भी इस पर चर्चा कर ली जाए. इसके बाद सदन मे सहमति बनी और हंगामा शांत हुआ.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने एसीबी की ओर से रिश्वत के बदले अस्मत मांगने का मामला उठाया. इस पर सरकार की ओर से भी जवाब पेश किया गया. अपने जवाब में मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि रिश्वत के बदले अस्मत मांगने के मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस मानते हुए कैलाश बोहरा को बर्खास्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

सदन में गूंजा रिश्वत में अस्मत मांगने का मामला

पढ़ें-रिश्वत में अस्मत मांगने वाला RPS कैलाश बोहरा सस्पेंड, गृह विभाग ने जारी किए आदेश

शांति धारीवाल ने कहा कि इस तरीके की घटना पूरी पुलिस नहीं सरकार और व्यवस्था के खिलाफ एक कलंक है. कुछ दिन पहले खेड़ली अलवर में जो केस हुआ था, उसमें भी बात यही थी. कैलाश बोहरा के खिलाफ सीबीआई ने केस रजिस्टर किया और यह वहां से भी बरी हो गया. इस तरीके के 50 और केस हैं केवल राजस्थान में नहीं बल्कि देश में जहां ऐसी घटनाएं होती है.

धारीवाल ने कहा कि महिला की ओर से 3 प्रकरण दर्ज करवाया गया था, जिसका अनुसंधान सहायक पुलिस आयुक्त महिला सेल जयपुर पूर्व की ओर से किया जा रहा है. तथाकथित जांच कर रहे आरोपी ने पुलिस अधिकारी एसपी की ओर से परिवादी के पक्ष में कार्रवाई हेतु पहले पैसों की मांग की गई और बार-बार अनुसंधान के लिए बुलाते हुए अंत में उसकी अस्मत भी रिश्वत में मांगी.

आरोपी एसपी की ओर से अनावश्यक रूप से दफ्तर में बुलाने पर एसीबी ने उसको गिरफ्तार कर प्रकरण भी दर्ज कर लिया है. आरोपी अधिकारी को 15 मार्च को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया है. अब आरोपी कैलाश बोहरा के खिलाफ राजस्थान सिविल सर्विस क्लासिफिकेशन कंट्रोल एंड अपील रूल्स 1958 के नियम 92 के अंतर्गत सेवा से बर्खास्त करने के लिए कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है.

यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस

नेता प्रतिपक्ष ने दिया धन्यवाद

इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने सरकार और मंत्री शांति धारीवाल को धन्यवाद दिया कि उसे बर्खास्त कर दिया गया है. इस पर कार्रवाई करनी चाहिए. इस तरीके की घटना राजस्थान को शर्मनाक करती है. उन्होंने कहा कि ऐसे पुलिस के दागी लोग जिन्होंने पुलिस की पूरी छवि खराब कर रखी है. इस प्रकार की घटना जब भी घटित होती है तो तुरंत कानून की पूर्ति तो करनी होगी, लेकिन जैसे ही निलंबित किया बर्खास्तगी की प्रक्रिया को शुरू कर दें. साथ ही उस व्यक्ति को तब तक नौकरी पर नहीं आने दें जब तक पूरा फैसला ना हो जाए.

ऐसे लोगों को तुरंत नौकरी से बर्खास्त करना चाहिए

कटारिया ने कहा कि इस तरह के केसों को हम कोर्ट में भी पीछा करें. ऐसे 10-15 केस ही होंगे, जब रक्षक भक्षक हो जाता है और पूरे राजस्थान की ऐसे प्रकरण में तोहीन हुई है. विभाग की छवि बनाने के लिए ऐसे लोगों को तुरंत नौकरी से बर्खास्त करना चाहिए. अगर कोर्ट से जीतकर आ जाएगा पूरी तनख्वाह मिल जाएगी कोई चिंता नहीं, लेकिन एक बार सड़क पर ला दो ताकि उससे बाकी लोग सीख सके.

पढ़ें- रेप केस की जांच के बदले ACP ने महिला से मांगी अस्मत, ACB ने आपत्तिजनक हालत में पकड़ा

वहीं, इस पर राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि आपने बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू कर दी, लेकिन आपके विभाग का सर्कुलर 2003, 2005 और 2007 में साफ लिखा है कि अगर किसी भी पुलिस अधिकारी के विरुद्ध किसी न्यायालय में मामला लंबित हो या 16 सीसी की कार्रवाई हो तो उसे फील्ड की पोस्टिंग नहीं दी जाएगी. उसको पोस्टिंग क्यों दी गई? जब आपने खुद माना कि सीबीआई में इसके खिलाफ मामला था तो इसको पोस्टिंग क्यों दी और किसने दी.

यह सरकार की संवेदनशीलता है

सदन में हंगामा

इस पर सदन में हंगामा हुआ कि ऐसे दागी व्यक्तियों को नौकरी पर लिया क्यों? इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिस व्यक्ति पर इस प्रकार का आरोप पहले भी लग चुका है जैसा कि आप का रिकॉर्ड बता रहा है. यह आपके ध्यान में पहले से था और इस व्यक्ति को महिला के अपराधों को देखने के लिए लगाया गया यह कितना गंभीर मामला है.

यह रेयर ऑफ रेयर केस है

इस पर शांति धारीवाल ने जवाब देते हुए कहा कि यह रेयर ऑफ रेयर केस है. हमने सारी प्रक्रिया को छोड़ते हुए उसको नोटिस नहीं दिया बल्कि सीधा बर्खास्त कर दिया है. हमने उसे बर्खास्त 311 आर्टिकल कॉन्स्टिट्यूशन के तहत किया, जो यह कहता है कि अगर अप्वाइंटिंग अथॉरिटी यह समझती है कि यह मामला अत्यंत गंभीर है तो ऐसे में सारे प्रोसीजर भूल कर अपनी कार्रवाई कर देनी चाहिए.

यह सरकार की संवेदनशीलता है

धारीवाल ने कहा कि आज सुबह से इस बात पर चर्चा चल रही थी कि यह मामला अत्यंत गंभीर है. मामले को लेकर अधिकारियों ने कहा कि इसमें प्रोसीजर को फॉलो करना जरूरी नहीं है. उन्होंने कहा कि कल की घटना पर अगर आज बर्खास्तगी हो जाती है तो यह सरकार की संवेदनशीलता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह क्रिमिनल था और उसके पुराने केस थे, इसकी भी जांच करवा ली जाएगी कि किस कारण से उसे इस पोस्ट पर लगाई गई. साथ ही कौन अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार है, इसकी भी जांच कर ली जाएगी.

इस पर कटारिया ने कहा कि जिस व्यक्ति के खिलाफ इस तरह के केस हो, अगर ऐसा कोई व्यक्ति अभी फील्ड पोस्टिंग पर है तो अब ऐसे दागी सभी व्यक्तियों को फील्ड पोस्टिंग नहीं मिलेगी. यह सरकार आश्वस्त करें. इस पर शांति धारीवाल ने कहा कि मैं सहमत हूं, लेकिन मैं कोई कमिटमेंट नहीं कर सकता. इस पर सदन में हंगामा हुआ.

शांति धारीवाल ने कहा कि मैं सैद्धांतिक रूप से इस बात से सहमति रखता हूं, लेकिन सवाल यह आता है कि किसी के खिलाफ अदालत में कोई केस चल रहा है तो ड्यूरिंग द पेंडेंसी ऑफ केस हम यह नहीं मान सकते कि इसको सजा होगी ही होगी. उसको कभी पोस्टिंग नहीं दी जाएगी, यह कभी नहीं होता है.

सदन में हंगामा

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ऐसे पेंडिंग केस जिसमे ना तो सजायाफ्ता है और न ही वह फ्री है, ऐसे केस में चाहे कोई भी व्यक्ति हो. जिसकी इस प्रकार की दागी सर्विस है और जिनको फील्ड पोस्टिंग आप के नियमों के हिसाब से नहीं दी जा सकती है तो ऐसे लोगों को तुरंत दफ्तर में दाखिल करना चाहिए.

शेखावत के खिलाफ जांच चल रही, फिर भी केंद्र में मंत्री हैं

इस पर शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ जांच चल रही है और वह केंद्र में मंत्री बने हुए बैठे हैं. इस पर फिर सदन में हंगामा हुआ. हालांकि, बाद में इसे सभापति राजेंद्र पारीक ने संभाल लिया और मंत्री शांति धारीवाल से भी कहा कि इस मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया जाए और नेता प्रतिपक्ष से भी इस पर चर्चा कर ली जाए. इसके बाद सदन मे सहमति बनी और हंगामा शांत हुआ.

Last Updated : Mar 15, 2021, 4:19 PM IST
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