जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को नागौर में लगने वाले पशु मेले में 3 साल से कम के बछड़ों के बेचने पर लगी हाईकोर्ट की रोक का मामला उठा. यह मामला राजस्थान विधानसभा में 3 पार्टी के अलग-अलग विधायकों ने उठाया.
आरएलपी के विधायक नारायण बेनीवाल, सीपीएम के बलवान पूनिया और कांग्रेस के रामनिवास गावड़िया ने यह मामला सदन में उठाया. नारायण बेनीवाल ने कहा कि नागौरी बैल पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं. लेकिन बैलों को बेचने पर उम्र के आधार पर रोक लगने से लोगों का इसमें मोहभंग हो गया है. नागौर के पशु मेले पर खतरा मंडरा रहा है इस बार नागौर पशु मेले में नाम मात्र के पशु आए हैं.
उन्होंने यह मांग रखी कि हाईकोर्ट ने जो 3 साल से कम के बछड़ों के परिवहन ओर बेचान पर रोक लगाई है उस पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करनी चाहिए. ताकि मेला मूल स्वरूप में लौटे. यह मेला पशु की सबसे बड़ी खेती माना जाता था.
माकपा विधायक बलवान पूनिया ने कहा कि नागौर पशु मेले में अगर राजस्थान सरकार एसएलपी लगाकर 3 साल से कम के बछड़ों को भेजने की छूट करवा देती है. गाय के नाम पर जो राजनीति करने की दुकान भी बंद हो जाएगी और मोदी की तेल बढ़ाने का षड्यंत्र है. उस पर भी हम काबू कर लेंगे लगता है.
आने वाले दिनों में तेल अगर इसी रेट पर बढ़ता रहा तो हम ट्रैक्टर से खेती करने की जगह बैल से खेती करेंगे. उन्होंने कहा कि इसीलिए केंद्र के लोगों को दक्षिणपंथी कहते हैं. क्योंकि यह बैक लगाकर हमें ट्रैक्टर से वापस बैल की ओर ले कर जा रहे हैं. ऐसे में राजस्थान सरकार से अपील है कि वह एसएलपी दायर कर 3 साल से कम की उम्र के बछड़े नागौर के पशु मेले में बिकने शुरू हो जाए.
उन्होंने कहा कि ऐसा हुआ तो गाय माता की भी कीमत हो जाएगी और उन पशुओं की भी कीमत हो जाएगी और किसान खेती कर पाएगा. उन्होंने कहा कि हमारे नहरी इलाकों में तो बछड़े बहुत हो गए हैं और बैलगाड़ी से खेती हो रही है.
परबतसर विधायक ने कहा कि परबतसर की एक विशेष मांग रही है कि जिस तरीके से परबतसर में वीर तेजा पशु मेला लगता है उसमें हाई कोर्ट के माध्यम से 3 साल से कम के बछड़ों के बिकने पर रोक लगी हुई है. उसमें एसएलपी दायर करके हम सब लोगों को और किसान वर्ग को इस बात की राहत मिल सकती है और गोवंश के नाम पर जो भाजपा के लोग राजनीति करते हैं उनको भी एक सबक मिलेगा.