जयपुर. अयोध्या में राम जन्म भूमि के भूमि पूजन के साथ ही जयपुर के उन कार सेवकों में भी उत्साह की लहर दौड़ पड़ी, जो पहले 1990 और फिर 1992 में इस परिकल्पना के साक्षी बने. ईटीवी भारत के साथ उन्होंने अपने अनुभव बांटे और कहा कि भारतवर्ष के लिए आज 5 सदी के बाद श्रीराम को उनके घर में स्थापित करने का सपना साकार होने जा रहा है.
कार सेवकों ने बताया कि 9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया. जिसमें अयोध्या की विवादित जमीन को श्री राम जन्म भूमि माना और 2.77 एकड़ भूमि रामलला के स्वामित्व की मानते हुए निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावों को खारिज कर दिया. आज उसी जन्मभूमि का भूमि पूजन कर भव्य राम मंदिर की नींव रखी गई है.
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ईटीवी भारत ने जयपुर के कारसेवकों से की बातचीत
बता दें कि इस आयोजन के साथ जयपुर के वो कारसेवक भी जुड़े जो 1992 में अयोध्या पहुंचे थे. ईटीवी भारत ने आज इस मुहिम से जुड़े कारसेवकों से बातचीत की. जिन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि राम जन्मभूमि को लेकर कई बार आंदोलन चले, हजारों लोगों ने बलिदान भी दिया. 1992 से पहले 1990 में हजारों राम भक्तों पर तत्कालीन उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा और उनके द्वारा कई बाधाएं खड़ी की गई.
'अयोध्या में करीब 7 दिनों तक रूके थे'
कार सेवक रहे रमेश शर्मा पान वाले ने बताया कि उन्हें भी आगरा जेल में बंद किया गया और भरतपुर में छोड़ा गया. दोबारा अयोध्या के लिए बढ़े तो उन्हें लखनऊ में रोक दिया गया. उन्होंने बताया कि इसके बाद जैसे-तैसे अयोध्या पहुंचे. कारसेवक रहे ओम श्रीमाल ने बताया कि जयपुर के सैकड़ों घरों से हजारों कारसेवक अयोध्या के लिए रवाना हुए थे. वहां करीब 7 दिन तक डेरा डाला.
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वहीं, कुछ कारसेवक ऐसे भी थे जो घरों से अयोध्या के लिए निकले, लेकिन वहां तक नहीं पहुंच सके. कारसेवकों को विभिन्न टुकड़ियों में रवाना करवाने वाले जयपुर के कार्यकर्ता अविनाश जाकड़ ने बताया कि अयोध्या में कारसेवकों की इतनी बड़ी संख्या पहुंच गई थी कि वहां और कारसेवक नहीं भेजे जाने का संदेश आया.
सैकड़ों कार्यकर्ता हुए थे निराश...
अविनाश जाकड़ ने बताया कि इस संदेश के बाद सैकड़ों कार्यकर्ताओं को निराशा जरूर हुई, लेकिन वे जयपुर में रह कर ही उत्साह से भर गए. इस दौरान कारसेवकों के लिए भोजन आदि की व्यवस्था भी कार्यकर्ताओं के ओर से ही की गई. बहरहाल, आज जन्मभूमि के भूमि पूजन के साथ उन तमाम कारसेवकों में भी उत्साह भर गया, जो इस मुहिम से जुड़े थे.