जयपुर. अगर इच्छा शक्ति मजबूत हो तो कैंसर जैसी बीमारी को भी आसानी से हराया जा सकता है. ऐसा ही उदाहरण शनिवार को भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में कैंसर सरवाइर्स ने पेश किया. नेशनल कैंसर सर्वाइवर डे के मौके पर हॉस्पिटल में सर्वाइवर इंट्रक्शन कार्यक्रम का आगाज हुआ. कार्यक्रम के पहले दिन कैंसर सर्वाइवर्स ने कैंसर रोगियों के साथ चर्चा कर उन्हें पूर्ण उपचार लेने और सकारात्मक सोचने के लिए प्रोत्साहित किया.
कैंसर रोग स्पेशलिस्ट डॉ. नरेश जाखोटिया का कहना है कि कैंसर पेशेंट पर काउंसलिंग का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. कैंसर डॉक्टर की काउंसलिंग के साथ ही अगर पेशेंट को कैंसर सर्वाइवर काउंसलिंग देता है, तो पेशेंट पर उसका ज्यादा गहरा प्रभाव पड़ता है. कैंसर उपचार के बाद भी जब सर्वाइवर फॉलोअप के लिए हॉस्पिटल आते हैं, तो उनसे से कई सर्वाइवर ऐसे होते हैं, जो उपचार ले रहे पेशेंट को काउंसिल करते हैं. काउंसलिंग के प्रभाव को देखते हुए हॉस्पिटल की ओर से कई अलग-अलग पेशेंट सपोर्ट ग्रुप भी बनाए गए है, जहां पेशेंट को सर्वाइवर्स सपोर्ट देते हैं.
वॉकल कॉर्ड कैंसर सर्वाइवर वरूण पारीक ने बताया कि 2008 में कैंसर उपचार के दौरान उनका ध्वनि यंत्र निकाल दिया गया था. ध्वनि यंत्र की जगह प्रॉस्थेसिस लगाया गया, लेकिन करीब चार महीने के अभ्यास के बाद उनकी बोली शुरू हो पाई. वरुण पिछले 13 सालों से वॉकल कॉर्ड कैंसर पेशेंट को उपचार के लिए मोटिवेट करने के साथ ही प्रॉस्थेसिस के साथ स्पीच की शुरूआत किस तरह होगी, इसकी ट्रेनिंग दे रहे हैं. कोविड संक्रमण के दौरान भी वरूण का जागरूक करने का संकल्प नहीं टूटा. वरुण आज ऑनलाइन, वीडियो कॉल के जरिए पेशेंट को ट्रेनिंग दे रहे हैं. नासिक, मुम्बई, कोटा सहित देष के विभिन्न हिस्सों के कैंसर पेशेंट को सपोर्ट दे रहे हैं.
ओरल कैंसर के उपचार में सर्जरी, किमो और रेडिशन थैरेपी से कैंसर मुक्त होने वाले अजय शर्मा आज सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन बीता रहे हैं. अजय शर्मा का कहना है कि मैंने यह अनुभव किया है कि उपचार के दौरान हमारी सकारात्मक सोच उपचार पर अच्छा प्रभाव डालती है. अपने उपचार के दौरान मैंने देखा हर रोज सैकड़ों पेशेंट हॉस्पिटल पर उपचार लेने आते हैं, लेकिन उनके मन में डर और नकारात्मकता रहती है. इसमें बदलाव के लिए मैंने अपने उपचार के दौरान ही कैंसर रोगी की काउंसलिंग करना शुरू कर दिया. रेडिएशन की शुरूआत से पहले डॉ. निधी पाटनी ने जो बातें मुझे समझाईं, वह पेशेंट को बार-बार समझाता. जिससे उसके मन से डर और नकारात्मकता खत्म होती. उपचार पूर्ण होने के बाद भी आज मैं पेशेंट से सम्पर्क कर उन्हें काउंसिल करता हूं.