जयपुर. पिछले दिनों प्रताप सिंह खाचरियावास ने अपनी ही सरकार के मंत्री शांति धारीवाल पर आरोप (Khachariyawas Allegation On Dhariwal) लगाए थे. जयपुर शहर के निगमों के पास पैसा न होने पर नाराजगी जताई थी. नसीहत के साथ तल्ख लहजे में कहा था यूडीएच डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी है (Khachariyawas On development work In Jaipur) की जयपुर को भी पैसे दे, सारा पैसा कोटा लेकर नहीं जाएं.
ये भी कहा कि धारीवाल खुद भी जयपुर के प्रभारी हैं तो यहां का भी ध्यान रखें. उनका ये बयान मुद्दा बनने लगा और अपनों से घिरे शांति धारीवाल की किरकिरी होने लगी तो मदद को आगे बढ़े डॉ महेश जोशी. उन्होंने एक मंत्री का बचाव किया (Mahesh Joshi Supports Shanti Dhariwal) और दूसरे की कही के मायने समझाए.
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मंत्री की कही का समझाया 'अर्थ': जलदाय मंत्री डॉ महेश जोशी ने खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के बयान को री डिफाइन किया. कहा वो सिर्फ और ज्यादा विकास कार्य होने के संदर्भ में दिया होगा. ये प्रदेश की राजधानी है, और देश के उन चुनिंदा शहरों में से एक है, जिसका दुनिया में नाम है. खाचरियावास चाहते होंगे कि राजधानी में और विकास हो. कहा- ये हर जनप्रतिनिधि की सोच होती है कि उसके क्षेत्र में, उसके नगर में ज्यादा से ज्यादा विकास कार्य हों.
राजधानी का विकास गहलोत सरकार में हुआ: जोशी ने कहा कि आजादी के बाद से जयपुर में जितने भी विकास कार्य हुए हैं, उन्हें या तो मिर्जा इस्माइल की भूमिका रही है या फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की. यहां ऑपरेशन पिंक के जरिए लोगों को बरामदे में चलने का अधिकार मिला, जयपुर में नई सड़कें बनी, थ्री टेयर ट्रैफिक सिस्टम बना, घाट की गुनी में टनल बनी, एलिवेटेड रोड बनाई है.
30 साल पहले जिन विकास कार्यों के लिए लोग सोच नहीं सकते थे, वो कार्य जयपुर में हुए हैं. जिसमें लगातार गहलोत सरकार में यूडीएच मंत्री रहे शांति धारीवाल का उल्लेखनीय योगदान रहा है, और अब जितने भी विकास कार्य हैं उनको भी गति दी जा रही है.
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मेट्रो विस्तार पर बोले जोशी: डॉ महेश जोशी ने घाटे में चल रही मेट्रो को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि जयपुर में मेट्रो आई और अब मेट्रो का विस्तार किया जा रहा है. किसी भी योजना का पूरा लाभ तब मिलता है, जब योजना पूरी बन जाती है. अभी लोग सवाल उठा रहे हैं कि मेट्रो घाटे में चल रही है. लेकिन मेट्रो सभी जगह शुरुआत में घाटे में ही चलती है.
जब इसका विस्तार हो जाएगा, इसकी कनेक्टिविटी पूरी हो जाएगी, तो मेट्रो भी लाभ में चलने लगेगी. सरकार के सामने लाभ हानि का कोई विषय नहीं होता, जनता को सुविधा कैसे मिले, अधिक से अधिक आवागमन कैसे सहज और सुलभ हो सके, ये सरकार की मंशा होती है.