जयपुर. राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और पुनर्गठन को लेकर चर्चा चल रही है. अगस्त महीने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कभी भी यह काम कर सकते हैं. हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि कैबिनेट का पुनर्गठन होगा या फिर विस्तार.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कैबिनेट विस्तार के पक्ष में हैं. लेकिन अब भले ही कैबिनेट का विस्तार हो या पुनर्गठन, दोनों हालात में नए विधायकों को मंत्री के तौर पर मौका मिलना तय है. अगर पुनर्गठन होता है तो खाली पड़े 9 मंत्री पदों को भरने के साथ ही कई मंत्रियों को ड्रॉप कर उनकी जगह नए मंत्री बनाए जाएंगे.
अगर सिर्फ मंत्रिमंडल विस्तार होता है तो नए विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा. राजस्थान में अभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत 21 मंत्री हैं, ऐसे में 9 मंत्री पद खाली है.
विस्तार/पुनर्गठन में साधा जाएगा जाति और क्षेत्र संतुलन
कैबिनेट का विस्तार या पुनर्गठन, जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन साधा जाएगा. अभी 32 जिलों में से 16 में एक भी मंत्री नहीं है. झालावाड़ की सभी सीटें भाजपा के पास हैं. राजस्थान के 33 जिलों में से झालावाड़ जिले में सभी विधायक भारतीय जनता पार्टी के हैं. बाकी बचे 32 जिलों से कांग्रेस को मंत्री बनाने थे. लेकिन कांग्रेस 16 जिलों से मंत्री नहीं बना सकी.
गहलोत मंत्रिमंडल में अलवर, बूंदी, भरतपुर, जालौर, बांसवाड़ा, जयपुर, जोधपुर, दौसा, कोटा, बीकानेर, बारां, अजमेर, बाड़मेर ,चित्तौड़गढ़, जैसलमेर और सीकर जिले से मंत्री हैं. अब जो नया मंत्रिमंडल बनेगा उसमें बाकी बचे 16 जिलों को एडजस्ट करने की कोशिश की जाएगी. हालांकि मंत्रिमंडल में 30 ही मंत्री बनाए जा सकते हैं. ऐसे में पार्टी संभागवार प्रतिनिधित्व बढ़ा सकती है.
ये है सम्भागवार मंत्रियों की स्थिति
राजस्थान के 7 संभागों में सबसे ज्यादा 7 मंत्री जयपुर संभाग से हैं. जोधपुर संभाग से मुख्यमंत्री समेत 4 मंत्री, कोटा संभाग से 3 मंत्री, बीकानेर सम्भाग से 2 मंत्री, भरतपुर संभाग से 2 मंत्री, उदयपुर संभाग से 2 मंत्री और अजमेर संभाग से 1 मंत्री है. ऐसे में संभागों के हिसाब से मंत्री पद दिए जा सकते हैं.
जातिगत आधार पर बात करें तो सबसे ज्यादा मंत्री जाट, महाजन और एससी वर्ग के हैं. गहलोत के मौजूदा कैबिनेट में 3 मंत्री जाट, 3 मंत्री महाजन, 3 मंत्री एससी, 2 मंत्री राजपूत, 2 मंत्री ब्राह्मण, 2 मंत्री एसटी से आते हैं. जिन समाजों के एक मंत्री हैं उनमें मुस्लिम, यादव, विश्नोई, माली, गुर्जर और कलवी समाज शामिल हैं.
अगर कैबिनेट का पुनर्गठन हुआ तो...
राजस्थान में अगर कैबिनेट का पुनर्गठन होता है तो सचिन पायलट कैंप के 5 विधायकों को मंत्री पद दिया जा सकता है. मंत्री पद के लिए विश्वेंद्र सिंह का भी नाम भी चर्चा में है. कहा जा रहा है कि वे गहलोत गुट में शामिल हो गए हैं. ऐसे में सचिन पायलट कैंप से जो विधायक मंत्री बन सकते हैं उनमें रमेश मीणा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, विजेंद्र ओला, हेमाराम चौधरी और मुरारी लाल मीणा शामिल हैं. इनमे से एक विधायक को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया जाएगा. ऐसे में सचिन पायलट के चार मंत्री और एक विधानसभा उपाध्यक्ष बन सकता है.
कैबिनेट का पुनर्गठन होता है तो सचिन पायलट के सभी पांचों मंत्री पद के दावेदार विधायकों को पद मिल सकता है. लेकिन कैबिनेट का विस्तार हुआ तो ऐसी स्थिति में पायलट कैंप के तीन ही विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा.
गहलोत कैंप के ये विधायक बन सकते हैं मंत्री...
राजस्थान में गहलोत कैंप से जो विधायक मंत्री बन सकते हैं उनमें महेश जोशी, शकुंतला रावत, भरत सिंह, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, रामलाल जाट, मंजू मेघवाल, परसराम मोरदिया, खिलाड़ी लाल बैरवा, अशोक बैरवा, गोविंद मेघवाल, डॉ जितेंद्र सिंह, जाहिदा और अमीन खान शामिल हैं. वहीं निर्दलीय विधायकों में से महादेव सिंह खंडेला, संयम लोढ़ा, बाबूलाल नागर और रामकेश मीणा में से 2 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है.
मंत्रिमंडल को लेकर यह नियम साफ हो चुका है कि पहली बार का कोई भी विधायक मंत्री नहीं बनेगा. लेकिन युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए चाहे दोनों कैंप से पहली बार चुनाव जीते विधायकों को संसदीय सचिव बनाएंगे. पायलट कैंप से वेद प्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, राकेश पारीक और हरीश मीणा में से संसदीय सचिव बनाए जा सकते हैं. इनमें से मुकेश भाकर का नाम ज्यादा चर्चा में है क्योंकि वे यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष थे. वहीं राकेश पारीक सेवा दल के अध्यक्ष थे, ऐसे में इन दोनों को संसदीय सचिव पद मिलना तय है.
गहलोत कैम्प से ये बन सकते है संसदीय सचिव
गहलोत कैंप से जिन विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जा सकते हैं उनमें कृष्णा पूनिया, अमीन कागज़ी, जोगिंदर अवाना, संदीप यादव, साफिया जुबेर, सुदर्शन सिंह रावत, रोहित बोहरा, रामलाल मीणा, दानिश अबरार और चेतन डूडी शामिल हैं.