जयपुर. देशभर में नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर चल रहे विवाद के बीच रविवार को जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में अल्बर्ट हॉल से गांधी सर्किल तक शांति मार्च निकाला गया. इसमें कांग्रेस के सहयोगी दल सीपीएम, सीपीआई, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, जनता दल राष्ट्रीय लोक दल सहित करीब 35 सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि और कार्यकर्ता शामिल हुए.
इस मार्च में एक बड़ी आबादी मुस्लिम समाज से जुड़े विभिन्न संगठनों और लोगों मौजूद रहे. इसके साथ ही शांति मार्च में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ सचिन पायलट सहित तमाम मंत्री नेता कार्यकर्ता आम लोग पैदल चलते हुए गांधी सर्किल पहुंचे.
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दो टूक में कहा कि राजस्थान में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने देंगे. गहलोत ने कहा कि देश तानाशाही से नहीं, बल्कि मोहब्बत और प्रेम से चलता है. गहलोत ने कहा बीते 70 साल में देश के संविधान लोकतंत्र की परीक्षा में खरा उतरा, लेकिन आज केंद्र की मोदी सरकार उसकी धज्जियां उड़ा रही है.
गहलोत ने कहा कि मोदी जी नोटबंदी की बात कहते थे, जिसमें 150 लोग मारे गए. गौरव नागरिकता संशोधन कानून से देश भर में हालात बिगड़ रहे हैं. गहलोत ने कहा कि मोदी और शाह राष्ट्रवाद की बात करते हैं, तो क्या हम राष्ट्रवादी नहीं हैं. गहलोत के अनुसार यह लोग हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं, लेकिन हम सबको साथ लेकर चलने की बात कहते हैं. इस दौरान अशोक गहलोत ने यह भी कहा कि नागरिकता संशोधन एक और एनआरसी के विरोध में सबसे ज्यादा हंगामा और विरोध उन्हीं प्रदेशों में हो रहा है जहां भाजपा की सरकार है.
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शांति मार्च को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता किसान और नौजवान होना चाहिए. भाजपा को बहुमत मिलने के बाद अब वह उसका दुरुपयोग कर रही है. पायलट के अनुसार इस देश में किसी को भी नागरिक बनाना या नहीं बनाना रक्षा विभाग को तय करना चाहिए. यदि कोई उसमें खरा नहीं उतरता, तो उसे नागरिकता नहीं देना चाहिए. लेकिन मजहब और धर्म के नाम पर नागरिकता देना किसी भी दृष्टि से सही नहीं है. पायलट के अनुसार हम सब इस माटी के लाल है, इसलिए धर्म और मजहब के नाम पर भेदभाव कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे.
नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ शांति मार्च निकाला गया. विभिन्न राजनीतिक दलों और सिविल सोसायटी के दम पर विशाल रूप ले पाया. अब 28 दिसंबर को शहीद स्मारक से प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय तक पैदल मार्च निकालेगी. देखना लाजमी होगा कि 28 मार्च को निकाले जाने वाले कांग्रेस के पैदल मार्च में रविवार को निकाले गए शांति मार्च की तुलना में कितनी भीड़ और कार्यकर्ता जुड़ पाते हैं.