जयपुर. धरियावद और वल्लभनगर उपचुनाव के लिए भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा तो कर दी, लेकिन इस घोषणा में उदयपुर संभाग के सबसे बड़े नेता और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की राय को भी पूरी तवज्जो मिली. हालांकि, वल्लभनगर सीट पर पूर्व विधायक रणधीर सिंह भींडर और जनता सेना से निपटने के लिए हिम्मत सिंह झाला के नाम पर समझौता भी किया गया.
धरियावद सीट पर खेत सिंह ने पिछले चुनाव में जताई थी दावेदारी
दरअसल, धरियावद विधानसभा सीट पर प्रमुखता से जो नाम चल रहा था वो था दिवंगत विधायक के पुत्र कन्हैया मीणा. लेकिन टिकट की दौड़ में चल रहे खेत सिंह मीणा को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया. खेत सिंह मीणा के नाम पर गुलाबचंद कटारिया की भी पूर्ण सहमति थी.
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साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भी खेत सिंह मीणा ने टिकट के लिए दावेदारी जताई थी, तब गुलाबचंद कटारिया ने उनका समर्थन किया था. जबकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गौतम लाल मीणा को टिकट दिए जाने के पक्ष में थी. लिहाजा पिछले चुनाव में खेत सिंह मीणा को टिकट नहीं मिल पाया, लेकिन उपचुनाव में उनकी दावेदारी को नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने पुरजोर तरीके से प्रमुख नेताओं के समक्ष उठाया और अपना समर्थन भी दिया.
वहीं, खेत सिंह मीणा के कटारिया से न केवल अच्छे संपर्क हैं बल्कि संघनिष्ठ विचारधारा का होना भी खेत सिंह मीणा को इस उपचुनाव में टिकट मिलने का एक बड़ा कारण रहा. खेत सिंह मीणा वर्तमान में भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष हैं. वहीं, भरकुंडी से सरपंच पद का चुनाव भी लगातार जीतते आ रहे हैं.
वल्लभनगर में भींडर को रोकने के लिए राजपूत समाज के हिम्मत सिंह पर किया समझौता
भाजपा के लिए वल्लभनगर सीट के उपचुनाव प्रतिष्ठा का सवाल है. यहां भाजपा, कांग्रेस और जनता सेना के प्रत्याशियों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होना तय माना जा रहा है. पूर्व विधायक और जनता सेना प्रमुख रणधीर सिंह भींडर की भाजपा में वापसी की चर्चाओं के बीच गुलाबचंद कटारिया के विरोध के चलते भींडर की भाजपा में वापसी तो नहीं हुई, लेकिन इस सीट पर राजपूत समाज से आने वाले रणधीर भींडर के प्रभाव को कम करने के लिए पार्टी ने राजपूत समाज से आने वाले हिम्मत सिंह झाला को ही इस सीट पर अपना प्रत्याशी बनाया. जिस पर गुलाब चंद कटारिया की भी सहमति ली गई.
हालांकि, कटारिया इस सीट पर उदय लाल डांगी को टिकट दिए जाने के पक्ष में थे, लेकिन भींडर की चुनौती से निपटने के लिए कटारिया ने हिम्मत सिंह झाला के नाम पर समझौता किया और पार्टी ने समाजसेवी और बिजनेस में हिम्मत सिंह झाला को अपना प्रत्याशी बनाया. यहां खास बात यह भी है कि हिम्मत सिंह झाला के पक्ष में चित्तौड़गढ़ सांसद और इस उपचुनाव के सह प्रभारी सीपी जोशी भी थे. यही कारण है कि सांसद जोशी का समर्थन और कटारिया के समझौते के चलते हिम्मत सिंह झाला को यह टिकट मिला.
वसुंधरा राजे की पसंद पर भारी पड़ी कटारिया की नाराजगी
उपचुनाव में टिकट वितरण पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पसंद पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया से नाराजगी भारी पड़ी. बात वल्लभनगर सीट की हो या फिर धरियावद सीट की, दोनों ही स्थानों पर वसुंधरा राजे के समर्थकों या पसंद के व्यक्तियों को टिकट नहीं मिला. वल्लभनगर में जनता सेना प्रमुख पूर्व विधायक रणधीर सिंह भींडर वसुंधरा राजे के नजदीकी नेताओं में शामिल थे, लेकिन इस उपचुनाव में वो भींडर को भाजपा में शामिल नहीं करवा पाईं.
यही स्थिति धरियावद सीट पर भी रही. यहां दिवंगत विधायक गौतम लाल मीणा वसुंधरा राजे के नजदीकी नेताओं में शामिल थे, लेकिन उनके पुत्र कन्हैयालाल मीणा को इस सीट पर टिकट नहीं मिल पाया. यहां नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के नजदीकी नेता खेत सिंह मीणा को प्रत्याशी बनाया गया. मतलब राजे के नजदीकी नेताओं को इस उपचुनाव में तरजीह नहीं मिल पाई.