जयपुर. राजधानी में 3 साल से चल रही डोर टू डोर कचरा संग्रहण व्यवस्था को अभी भी व्यवस्थित नहीं कहा जा सकता है. कारण साफ है कि बीवीजी कंपनी को काम सौंपते समय नगर निगम ने जो शर्तें तय की थी, उनकी पालना नहीं हो पा रही. नतीजन शहर में जगह-जगह ओपन कचरा डिपो बन गए हैं. इसके इतर बीवीजी कंपनी नगर निगम पर बकाया भुगतान का क्लेम कर रही है. तो निगम प्रशासन अधूरे काम के चलते पेनेल्टी काट कर बकाया देने की बात कह रहा है.
100% डोर टू डोर कचरा संग्रहण, कचरे का सेग्रीगेशन, हूपर्स में ट्रैकिंग सिस्टम, वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन बनाकर मैकेनाइज सिस्टम से डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने और शहर में ओपन कचरा डिपो हटाने जैसी शर्तों के साथ बीवीजी कंपनी को मई 2017 में नगर निगम प्रशासन की ओर से काम सौंपा गया था, लेकिन इन शर्तों के परे बीवीजी कंपनी ने शहर का 80 फीसदी काम वेंडर्स पर छोड़ दिया और वेंडर्स ने हूपर में बिल्डिंग मटेरियल लोड कर वजन बढ़ाने का काम किया. इस बात का खुलासा ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर दिनेश यादव के दौरे में भी हुआ. बावजूद इसके बीवीजी कंपनी ने अधूरे काम के अब तक 304 करोड़ रुपए के बिल निगम को सौंप दिए. जबकि निगम प्रशासन के अनुसार 236 करोड़ के बिल होते हैं और 154 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है.
वहीं, पेश बिलों की जांच के लिए निगम की ओर से गठित इंडिपेंडेंट इंजिनियर्स की रिपोर्ट में करीब 40 करोड़ की पेनल्टी लगाई गई है. हालांकि निगम अभी इस रिपोर्ट की भी समीक्षा कर रहा है. ऐसे में संभावना तो ये भी बन रही है कि निगम प्रशासन से बकाया भुगतान की मांग कर रही बीवीजी कंपनी को उल्टा निगम को ही कुछ राशि चुकानी पड़ सकती है.
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बता दें कि परकोटा, विद्याधर नगर, सांगानेर और मोती डूंगरी जोन में नगर निगम प्रशासन बीवीजी को ₹1792 प्रति टन. जबकि मानसरोवर और सिविल लाइन जोन में ₹1771 प्रति टन के हिसाब से भुगतान करता है और निगम प्रशासन का दावा है कि उनकी ओर से मार्च 2020 तक का भुगतान किया जा चुका है. हालांकि ये भुगतान प्रत्येक महीने 50 से 60 फीसदी किया गया है, लेकिन अब इंडिपेंडेंट इंजिनियर्स रिपोर्ट की समीक्षा के बाद सामने आएगा कि बीवीजी कंपनी के काम को देखते हुए उन पर कितनी पेनेल्टी लगाई गई है. हालांकि निगम मुख्यालय पहुंचे कंपनी के प्रतिनिधियों ने अब काम पहले से बेहतर करने का दावा जरूर किया है.