जयपुर. साल 2017 में तत्कालीन मेयर अशोक लाहोटी ने जयपुर शहर में बीवीजी कंपनी के जरिए डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण की योजना (Door-to-Door Garbage Collection Scheme) शुरु की थी. तब से यह व्यवस्था विवादों में रही है.
हाल ही में ग्रेटर नगर निगम का प्रकरण (Greater Municipal Corporation Case) किसी से छुपा नहीं है. जिस बीवीजी कंपनी के भुगतान को लेकर ये बखेड़ा खड़ा हुआ था, उसी बीवीजी कंपनी ने नियमों के खिलाफ जाकर अपने काम को दूसरे वेंडर्स को सबलेट कर दिया और अब उन वेंडर्स का करोड़ों का बकाया भी नहीं चुका रही है.
राजधानी में करीब 464 डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण वाहन (garbage collection vehicle) हैं. इनमें से बीवीजी की गाड़ियां महज 106 हैं. जबकि 358 गाड़ियां वेंडर्स की है. ये गाड़ियां निगम से सीधे न जुड़कर बीवीजी के जरिए शहर से कचरा उठाती हैं. बीवीजी ने अब तक अपना काम भी नए जोन के हिसाब से नहीं बांटा है. ऐसे में हेरिटेज नगर निगम क्षेत्र (Heritage Municipal Corporation Area) में किशनपोल जोन और ग्रेटर नगर निगम क्षेत्र में सांगानेर, जगतपुरा, विद्याधर नगर, झोटवाड़ा और मुरलीपुरा ऐसे इलाके हैं जहां कचरा उठाने का काम पूरी तरह वेंडर्स के भरोसे है.
जोनवार कचरा संग्रहण (BVG और अन्य वेंडर्स)
आरोप ये है कि बीवीजी कंपनी कचरा संग्रहण का काम सबलेट करने के लिए ऑथराइज ही नहीं है. बीवीजी कंपनी बीते 15 महीने से वेंडर्स की इनवॉइस तक एक्सेप्ट नहीं कर रही है. कंपनी के साथ जुड़े रहे वेंडर ऋषिकांत यादव ने बताया कि कंपनी पर उनका 6 करोड़ बकाया है. कंपनी इसे नहीं चुका रही है.
इसके लिए निगम को भी लेटर लिखे, लीगल नोटिस भेजे, आरटीआई के जरिए जवाब मांगा गया, लेकिन निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की. कंपनी न तो निगम की शर्तों के अनुसार काम कर रही है और न ही एमएसडब्ल्यू 2016 (MSW-2016) के अनुसार. इसके बावजूद निगम कंपनी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले रहा. यही वजह है कि वेंडर्स अब कोर्ट और एनजीटी में केस फाइल करने की तैयारी कर रहे हैं.
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वेंडर अनमोल यादव ने बताया कि बीवीजी कंपनी खुद नगर निगम से 1800 रुपए प्रति टन के हिसाब से भुगतान लेती है. जबकि वेंडर्स को महज 1233 रुपए प्रति टन के हिसाब से भुगतान करती है. उन्होंने बताया कि शहर में प्रतिदिन तकरीबन 1550 टन कचरा इकट्ठा किया जाता है. उसे मुख्य कचरा डिपो तक पहुंचाने का कार्य भी वेंडर्स के वाहन करते हैं. फिर भी कंपनी ने भुगतान नहीं किया.
बहरहाल, एक तरफ बीवीजी कंपनी ने निगम से किए गए ठेके को सबलेट नहीं करने के अनुबंध को तोड़ा, तो वहीं वेंडर्स को भी भुगतान नहीं कर रही है. ऐसे में अब बीवीजी से जुड़े रहे वेंडर्स कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं.
सौम्या गुर्जर मामले में दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित
राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर के निलंबन के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. न्यायाधीश पंकज भंडारी और सीके सोनगरा की खंडपीठ ने निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर की याचिका पर सुनवाई की. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने सोमवार को अपनी बहस को आगे बढ़ाते हुए कहा कि नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 के तहत दुर्व्यवहार के आधार पर जनप्रतिनिधि को हटाया जा सकता है. दुर्व्यवहार को किसी परिभाषा में नहीं बांधा जा सकता है. ऐसे में याचिकाकर्ता का निलंबन संविधान के अनुकूल है. इसके अलावा निगम का कार्य आवश्यक सेवा में आता है. इसलिए नोटिस का जवाब देने के लिए रविवार को याचिकाकर्ता को बुलाना विधि सम्मत था.
भुगतान को लेकर दी यह दलील
सरकार पक्ष के वकील ने दलील दी कि यदि सफाई करने वाली कंपनी को भुगतान नहीं किया जाता तो अदालती अवमानना होती. महाधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता ने धारा 39 की वैधानिकता को चुनौती देने की आड़ में अपने निलंबन के खिलाफ याचिका दायर की है. ऐसे में प्रकरण की सुनवाई एकलपीठ को करनी चाहिए.