जयपुर. मुहाना और आसपास कस्बों की सब्जी मंडियों में इस समय सब्जियों की बंपर आवक हो रही है. लेकिन इन सब्जियों को खरीदने के लिए मंडियों में खरीददार नहीं आ रहे हैं. ऐसे में गर्मियों के सीजन में जिस तरह सब्जियों के भाव आसमान छूते हैं, वह अब देखने को नहीं मिल रहा. इसका कारण है, कोरोना का डर.
सब्जी कारोबारियों का कहना है कि वह सुबह उठकर सब्जी मंडी तो आते हैं और अपना माल बेचने की कोशिश करते हैं. लेकिन खरीदार मंडी में नहीं पहुंच रहे. ऐसे में इन सब्जियों को औने-पौने दामों में मजबूरन बेचना पड़ रहा है.
जयपुर फल और सब्जी थोक विक्रेता संघ मुहाना टर्मिनल मार्केट के अध्यक्ष राहुल तंवर बताते हैं कि जयपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में फिलहाल पानी की कमी का असर देखने को नहीं मिल रहा. ऐसे में गर्मियों के सीजन में भी इस बार सब्जियों की बंपर आवक हो रही है, लेकिन इन सब्जियों को बेचना इस समय सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रही है.
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उन्होंने बताया कि इस समय सब्जियों के दाम काफी नीचे पहुंच चुके हैं. ऐसे में व्यापारी और किसानों को उत्पादन का सही दाम नहीं मिल पा रहा. राहुल तंवर का कहना है कि लॉकडाउन के बाद राजस्थान की सबसे बड़ी फल सब्जी मंडी मुहाना मंडी को बंद कर दिया गया था.
ऐसे में किसान मंडियों में माल नहीं ला रहे थे और स्थानीय बाजार में ही इन्हें बेचा जा रहा था. लेकिन अब मंडियां खुली हैं तो किसान माल ला रहा है, लेकिन खरीदार मंडी नहीं पहुंच रहे.
कस्बों की भी हालत खराब
चौमू फल सब्जी व्यापार के अध्यक्ष जैसाराम ने बताया कि जयपुर के चौमू क्षेत्र में सबसे अधिक सब्जियों का उत्पादन होता है. यहां से बड़ी मात्रा में सब्जियां बाहर भी भेजी जाती हैं. लेकिन, फिलहाल हालात काफी बिगड़े हुए हैं और 2 से 3 रुपए किलो में ही किसानों को सब्जियां बेचनी पड़ रही हैं.
उन्होंने यह भी बताया कि अब किसान खेतों में ड्रिप सिस्टम अपना रहे हैं, जिसके बाद कम पानी में भी अधिक सब्जियों का उत्पादन संभव हो सका है. वहीं सब्जियों के उचित दाम नहीं मिलने के कारण, किसान इन सब्जियों को फेंक रहे हैं या फिर जानवरों को खिला रहे हैं.
होटल और रेस्टोरेंट में बड़ी सप्लाई
लॉकडाउन लगने के बाद प्रदेश के सभी होटल, रेस्टोरेंट और ढाबे पिछले दो से ढाई महीने से बंद हैं. ऐसे में सबसे अधिक सब्जियों के खरीदार यहीं होते थे. लेकिन होटल रेस्टोरेंट बंद होने का असर सबसे अधिक सब्जियों के दामों पर पड़ा है.
किसान और व्यापारी को सब्जियों की सही कीमत नहीं मिल पा रही. क्योंकि सबसे अधिक सब्जियों की सप्लाई प्रदेश के होटल, रेस्टोरेंट और ढाबों में होती थी.