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ताल छापर अभ्यारण्य में वन्यजीव प्रशिक्षण केंद्र के लिए 2.40 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत - भवन नवीनीकरण योजना

ताल छापर अभ्यारण्य में वन्यजीव प्रशिक्षण केंद्र के लिए 2.40 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है. प्रमुख शासन सचिव ने भवन नवीनीकरण योजना बनाने के निर्देश दिए हैं.

jaipur news, Budget approved for Wildlife Training Center
ताल छापर अभ्यारण्य में वन्यजीव प्रशिक्षण केंद्र के लिए 2.40 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत
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Published : May 14, 2021, 9:38 PM IST

जयपुर. ताल छापर अभ्यारण्य में वन्यजीव प्रशिक्षण केंद्र के लिए 2.40 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है. गूगल मीटिंग में प्रमुख शासन सचिव ने भवन नवीनीकरण की योजना बनाने के निर्देश भी दिए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा वर्ष 2021-22 में ताल छापर स्थित वन्यजीव अभ्यारण्य में वन्यजीव प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित एवं संचालित करने के लिए बजट घोषणा की गई है. इसकी पालना में राजस्थान वानिकी एवं वन्य जीव संस्थान द्वारा बजट प्रस्ताव प्रेषित करने पर राज्य सरकार द्वारा 2.40 करोड़ रुपये बजट स्वीकृत किया गया है.

प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा के नेतृत्व में आयोजित गूगल मीटिंग में इस सम्बंध में आवश्यक चर्चा की गई. इस अवसर पर प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने पुराने भवन के मूल स्वरूप को संरक्षित रखते हुए नवीनीकरण की योजना बनाने के लिए आरएसआरडीसी एवं वनाधिकारियों को निर्देश दिए. वन विभाग की प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ़) श्रुति शर्मा के मुताबिक कृष्ण मृग और पक्षियों के साथ-साथ ताल छापर रेगिस्तान पारिस्थितिक तंत्र में जैव विविधता के संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. इसलिये विभाग के फ्रंटलाइन स्टाफ के कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण केंद्र को मौजूदा वित्तीय वर्ष की समय सीमा में आरम्भ किया जाए.

मीटिंग में ताल छापर में पहले से बने भवन सम्पदा के वास्तु विन्यास को संरक्षित रखते हुए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने के लिए राजस्थान वानिकी एवं वन्य जीव संस्थान के निदेशक अरुण प्रसाद ने प्रस्तुति के जरिये सुझाव दिया कि भवन में वायु संचरण के लिये बाहरी दीवारों में छोड़े गए छिद्रों और खुले बरामदों में कुछ पक्षियों द्वारा निरंतर घोंसले बनाये जाने के कारण भवन का क्षरण होता है. धूल-मिट्टी आने से गन्दगी होती है और सुंदरता भी प्रभावित होती है. उन्होंने बताया कि भवन में प्राकृतिक रूप से ठंडक के लिए छतों पर मिट्टी भरकर घास लगाने की व्यवस्था की जाए. भवन का नवीनीकरण भी आवश्यक है. प्रशिक्षुओं के लिए हॉस्टल में नवीनीकरण और उपयुक्त फर्नीचर की व्यवस्था भी की जानी है. इसलिए भवन के नवीनीकरण के लिये स्थापत्यकार की सलाह से समुचित कार्य करवाया जाए.

यह भी पढ़ें- HC ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी मामले में एमबीबीएस छात्र की जमानत याचिका की खारिज

बैठक में मौजूद वास्तुकार अयोध कामथ ने बताया कि वानस्पतिक विकल्प से दीवारों के छिद्र बंद किये जा सकते हैं. इससे वायु का संचार भी बना रहेगा. मीटिंग में आरएसआरडीसी बीकानेर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, चूरू वन मण्डल की उप वन संरक्षक सविता दहिया सहित अन्य अशिकारी मौजूद रहे.

जयपुर. ताल छापर अभ्यारण्य में वन्यजीव प्रशिक्षण केंद्र के लिए 2.40 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है. गूगल मीटिंग में प्रमुख शासन सचिव ने भवन नवीनीकरण की योजना बनाने के निर्देश भी दिए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा वर्ष 2021-22 में ताल छापर स्थित वन्यजीव अभ्यारण्य में वन्यजीव प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित एवं संचालित करने के लिए बजट घोषणा की गई है. इसकी पालना में राजस्थान वानिकी एवं वन्य जीव संस्थान द्वारा बजट प्रस्ताव प्रेषित करने पर राज्य सरकार द्वारा 2.40 करोड़ रुपये बजट स्वीकृत किया गया है.

प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा के नेतृत्व में आयोजित गूगल मीटिंग में इस सम्बंध में आवश्यक चर्चा की गई. इस अवसर पर प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने पुराने भवन के मूल स्वरूप को संरक्षित रखते हुए नवीनीकरण की योजना बनाने के लिए आरएसआरडीसी एवं वनाधिकारियों को निर्देश दिए. वन विभाग की प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ़) श्रुति शर्मा के मुताबिक कृष्ण मृग और पक्षियों के साथ-साथ ताल छापर रेगिस्तान पारिस्थितिक तंत्र में जैव विविधता के संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. इसलिये विभाग के फ्रंटलाइन स्टाफ के कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण केंद्र को मौजूदा वित्तीय वर्ष की समय सीमा में आरम्भ किया जाए.

मीटिंग में ताल छापर में पहले से बने भवन सम्पदा के वास्तु विन्यास को संरक्षित रखते हुए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने के लिए राजस्थान वानिकी एवं वन्य जीव संस्थान के निदेशक अरुण प्रसाद ने प्रस्तुति के जरिये सुझाव दिया कि भवन में वायु संचरण के लिये बाहरी दीवारों में छोड़े गए छिद्रों और खुले बरामदों में कुछ पक्षियों द्वारा निरंतर घोंसले बनाये जाने के कारण भवन का क्षरण होता है. धूल-मिट्टी आने से गन्दगी होती है और सुंदरता भी प्रभावित होती है. उन्होंने बताया कि भवन में प्राकृतिक रूप से ठंडक के लिए छतों पर मिट्टी भरकर घास लगाने की व्यवस्था की जाए. भवन का नवीनीकरण भी आवश्यक है. प्रशिक्षुओं के लिए हॉस्टल में नवीनीकरण और उपयुक्त फर्नीचर की व्यवस्था भी की जानी है. इसलिए भवन के नवीनीकरण के लिये स्थापत्यकार की सलाह से समुचित कार्य करवाया जाए.

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बैठक में मौजूद वास्तुकार अयोध कामथ ने बताया कि वानस्पतिक विकल्प से दीवारों के छिद्र बंद किये जा सकते हैं. इससे वायु का संचार भी बना रहेगा. मीटिंग में आरएसआरडीसी बीकानेर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, चूरू वन मण्डल की उप वन संरक्षक सविता दहिया सहित अन्य अशिकारी मौजूद रहे.

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