जयपुर. पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाने का हकदार कौन? इस मुद्दे पर बीएड और बीएसटीसीधारी अभ्यर्थियों में टकराव लंबे समय से चल रहा है. साल 2020 में बीएसटीसीधारी अभ्यर्थियों के आंदोलन के बाद सरकार ने वादा भी किया था कि पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाने का हक केवल बीएसटीसीधारी अभ्यर्थियों को ही दिया जाएगा.
लेकिन रीट-2021 में बीएडधारी अभ्यर्थियों को भी लेवल-1 में बैठने की अनुमति मिलने के बाद एक बार फिर बीएसटीसीधारी अभ्यर्थियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. अब पंजाब की तर्ज पर राजस्थान में भी पांचवीं तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए केवल बीएसटीसीधारी अभ्यर्थियों को ही अनुमत करने और इसके लिए बाकायदा आदेश जारी करने की मांग तेज हो गई है.
बीएसटीसी बचाओ संघर्ष समिति के सचिन शर्मा का कहना है कि बीएसटीसीधारी अभ्यर्थियों को उनका हक मिले, यही उनकी मांग है. पहली से पांचवीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाने के लिए बीएसटीसी कोर्स होता है. ऐसे में उसका सपना साकार नहीं होगा तो उसका क्या भविष्य होगा. बीएड का अलग कोर्स होता है. जिसमें कक्षा 6 से 12 तक का सभी शिक्षक आ जाते हैं.
बीएड करने वाले अभ्यर्थी के पास शिक्षक ग्रेड 3 का लेवल-2, वरिष्ठ अध्यापक और स्कूल व्याख्याता बनने के मौके होते हैं. जबकि बीएसटीसी का अभ्यर्थी सिर्फ शिक्षक ग्रेड-3 के लेवल-1 में ही आवेदन कर सकता है. ऐसे में लेवल-1 में बीएडधारी अभ्यर्थियों की एंट्री उनके हक पर कुठाराघात है.
उनका कहना है कि हाल ही में पंजाब हाईकोर्ट ने प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाने से बीएडधारी अभ्यर्थियों को बाहर किया है. वहां की सरकार ने भी इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है. हम यह चाहते हैं कि राजस्थान सरकार भी हमारे लिए ऐसा ही आदेश जारी करे. उन्होंने कहा कि बीएसटीसीधारी अभ्यर्थियों के साढ़े 4 लाख परिवार हैं. इन्हें सरकार को राहत देनी चाहिए.