जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश के बाद प्रदेशभर में 21 अप्रैल से योजनाबद्ध तरीके से लॉकडाउन-2 में औद्योगिक उत्पादन के साथ निर्माण कार्य शुरू होंगे. ऐसे में वर्तमान समय में सीमित श्रमिकों और माल से काम तो शुरू हो जाएगा, लेकिन यह ज्यादा दिन प्रभावी नहीं होगा. इसके लिए राज्य सरकार को पूरी रणनीति बनाकर एक योजना बनानी चाहिए और सप्लाई की पूरी चेन बने. तभी कार्य सुचारु रुप से ही पूरे एहतियात के साथ हो सकेंगे, नहीं तो कार्य फिर से रुक जाएंगे.
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जयपुर शहर के निर्माणधीन सरकारी प्रोजेक्ट के कार्य कर रहे कॉन्ट्रैक्टर्स का कहना है कि, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए श्रमिकों को बुलाया जाए. कहीं दिनों से उत्पादन इकाइयां बंद है, एक साथ उद्योगों को शुरू करने के लिए श्रमिकों की सबसे ज्यादा परेशानी आएगी, क्योंकि जयपुर के सीतापुरा, बगरू, वीकेआई से करीब डेढ़ लाख से ज्यादा श्रमिक पलायन कर चुके हैं. साथ ही कच्चा माल आने में सबसे ज्यादा परेशानी आएगी. वही चुनिंदा श्रमिक ही शहर में बचे हैं. इनसे 20 प्रतिशत कार्य शुरू तो हो जाएगा, लेकिन 80 प्रतिशत कार्य प्रभावित होगा.
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वहीं कॉन्ट्रैक्टर्स का कहेना है कि, कोरोना और लॉकडाउन के चलते कई दिनों से काम ठप है. माइनिंग फिर से सुचारु रुप से चलें और श्रमिकों के आने-जाने की व्यवस्था शुरू हो. इसके लिए एक कार्य प्रणाली बननी चाहिए. वहीं सीमेंट, रोड़ी की फैक्ट्रियां, मशीनरी के पार्ट्स के लिए दुकानें खुले, तभी कार्य शुरू हो सकेंगे. साथ ही इसमें भी एक दायरा रखकर काम होना चाहिए. आनन-फानन में आदेश निकालकर श्रमिकों को लाना एक बड़ी चुनौती हैं. ऐसे में सभी कार्य को शुरू करने के लिए संतुलन रखकर ही कार्य होगा, तब ही बेहतर रहेगा.