जयपुर. अगले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के राज नेताओं की सियासी यात्राएं शुरू हो गईं हैं. हालांकि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कैलाश चौधरी की एक ऐसी ही यात्रा इन दिनों चर्चा में है. ऐसा इसलिए क्योंकि यात्रा तय हुई लेकिन शुरू होने से पहले ही केंद्रीय नेतृत्व ने इस पर ब्रेक (break on bjp political rally) लगा दिया. ऐसा क्यों हुआ, क्या पार्टी आलाकमान नाराज है या फिर इसके पीछे कुछ और वजह है. यात्रा स्थगित करने को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है.
दरअसल मंगलवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कैलाश चौधरी (political rally of Poonia Shekhawat and Chaudhary) जैसलमेर में रुणिचा जन आशीष यात्रा शुरू करने वाले थे. कुछ दिनों पहले इसकी तैयारी भी तेजी से चल रही थी लेकिन यात्रा के 2 दिन पहले इसे स्थगित कर दिया गया. पहले सतीश पूनिया ने ट्वीट के जरिए यात्रा को स्थगित करने की जानकारी दी और उसे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को टैग भी किया.
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वहीं शेखावत ने यात्रा क्यों स्थगित की इसकी जानकारी देने के लिए बयान भी जारी किया. यात्रा को स्थगित करने का कारण जोधपुर में 10 सितंबर को होने वाला केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दौरा को बताया जा रहा है. क्योंकि पार्टी के तमाम नेता फिलहाल इसी दौरे को सफल बनाने की तैयारियों में जुटे हैं. यात्रा शाह के दौरे से पहले खत्म हो जाती और इसकी रूपरेखा भी शाह की ओर से तय होने के साथ ही बनाई गयी थी. ऐसे में सवाल यही उठता है कि आखिर पार्टी आलाकमान ने अंतिम वक्त पर इन दिग्गज नेताओं की यात्रा क्यों रुकवाई?
यात्रा के जरिए विरोधी नेताओं को देना था ये बड़ा संदेश
अमित शाह के जोधपुर दौरे से ठीक पहले निकाली जाने वाली जन आशीष यात्रा के जरिए राजस्थान भाजपा के भीतर और बाहर यह सियासी मैसेज दिया जाना था कि पूनिया, शेखावत और कैलाश चौधरी न केवल एक हैं बल्कि विरोधियों के खिलाफ एक साथ संघर्ष भी करेंगे. दूसरा संदेश यह भी देना था कि प्रदेश में मौजूदा कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए यात्राएं कुछ एक नेता ही नहीं बल्कि सामूहिक रूप से बड़े नेता भी निकाल सकते हैं. इसके अलावा तीसरा और सबसे बड़ा मैसेज मारवाड़ इलाके में भाजपा की मजबूती और एकजुटता का था जिसे पार्टी आलाकमान के सामने रखना था. अब जब यह यात्रा रुक गई तो इसके कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं.
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चर्चा ये हो रही है कि यात्रा किसके इशारे पर स्थगित की गई. इस यात्रा से पूर्व क्या पार्टी आलाकमान या प्रदेश प्रभारी से अनुमति ली गई थी या बिना अनुमति के इतना बड़ा सियासी कार्यक्रम प्रदेश में किया जाने का सोच लिया गया था. हालांकि प्रदेश अध्यक्ष किसी भी राज्य में पार्टी का मुखिया होता है. इस यात्रा में दो केंद्रीय मंत्री भी शामिल थे जो सीधे तौर पर केंद्रीय नेतृत्व से जुड़े हैं. ऐसे में यात्रा की जानकारी पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व को पहले से होना लाजमी है फिर भी इस प्रकार की चर्चा भाजपा के गलियारों में इन दिनों आम है.
पूनिया ने कहा, जल्द घोषित होगी नई तारीख
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने सियासी गलियारों में चल रही अलग-अलग चर्चाओं पर ब्रेक लगाते हुए इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया दी है. पूनिया ने कहा कि केंद्र का इशारा ये था कि 10 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्री का कार्यक्रम है और उसी संभाग का बूथ सम्मेलन भी है. पूनिया ने कहा कि निश्चित रूप से जब दो बड़े कार्यक्रम समानांतर होते हैं तो उसमें शक्ति और समय दोनों लगता है. उस लिहाज से हमने उचित समझा कि गृहमंत्री का कार्यक्रम यशस्वी हो, इसके लिए यात्रा स्थगित की गई है. पूनिया ने यह भी कहा कि आगे जब समय मिलेगा तो हम यह यात्रा निकालेंगे. उन्होंने इस माह निकाली जाने वाली यात्रा के स्थगित करने पर हामी भरी. मतलब साफ है कि यह यात्रा केंद्रीय नेतृत्व की जानकारी में है और उन्हीं की अनुमति से भविष्य में निकाली जाएगी जिसके जरिए प्रदेश भाजपा में यह दिग्गज नेता कुछ ऐसा बड़ा संदेश चुनाव से पहले देना चाहते हैं जो विरोधियों को परेशानी में डाल सकता है.
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पोकरण से रामदेवरा तक निकाली जानी थी जन आशीष यात्रा
यात्रा पोकरण के जाज्वला माता से शुरू होकर रामदेवरा तक पदयात्रा के रूप में जन आशीष यात्रा निकाली जानी थी. इसके जरिए जनहित के मुद्दों को लेकर आम जन में जन जागरण भी किया जाना था और इसमें भाजपा के तीन बड़े दिग्गज सतीश पूनिया गजेंद्र सिंह शेखावत और कैलाश चौधरी को शामिल होना था.
भाजपा में सियासी यात्राएं रहती हैं चर्चा में
प्रदेश भाजपा में नेताओं की सियासी यात्राएं शुरू से ही चर्चा और विवादों में रही है. खासतौर पर चुनाव से पहले निकाली जाने वाली यात्राओं के जरिए ही नेताओं को प्रोजेक्ट भी किया जाता है और नेता इसके जरिए अपनी सियासी शक्ति का प्रदर्शन भी करते हैं. इससे पहले भी प्रदेश में वसुंधरा राजे की सुराज संकल्प यात्रा चर्चा में थी. वहीं 10 वर्ष पहले नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की ओर से निकाले जाने वाली मेवाड़ यात्रा भी वसुंधरा राजे के विरोध के कारण रद्द किया जाना भी चर्चा में थी.