जयपुर. शहर की सरकार का बुधवार को 1 साल का कार्यकाल पूरा हो गया है. शहर में विकास का हवाला देते हुए अक्टूबर 2019 में राज्य सरकार ने जयपुर शहर को हेरिटेज और ग्रेटर दो निगमों में बांट दिया था.
दिल्ली की तर्ज पर 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले जयपुर में दोनों निगम में 250 वार्ड बनाए गए थे. तर्क दिया गया की हेरिटेज निगम विरासत को संजोए रखने और ग्रेटर निगम बढ़ते शहर को संवारने का काम करेगी. हालांकि विपक्ष ने इसे राजनीतिक लाभ उठाने के लिए लिया गया फैसला बताया. जो नगर निगम के चुनाव में स्पष्ट भी हो गया. दो निगम में से हेरीटेज कांग्रेस के जबकि ग्रेटर बीजेपी के खाते में आया.
हालांकि 1 साल बीत जाने के बाद भी आकलन किया जाए तो शहर को दो निगम होने का कोई फायदा अब तक नहीं मिल पाया है. न तो परकोटे से अतिक्रमण हटाया जा सका और न ही ग्रेटर में विकास की बयार बही. दोनों ही निगम अपने पहले साल में सिर्फ विवादों में घिरे रहे.
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शहर के दोनों नगर निगम के चुनाव कोरोना काल में ही संपन्न हुए और बोर्ड बना. अपने पहले साल में दोनों ही निगम कोरोना नियंत्रण और आधारभूत सुविधाएं पूरी करने में ही जुटे रहे. बोर्ड बैठक के नाम पर भी केवल एक बजट बैठक आयोजित की गई. आलम ये रहा कि हेरिटेज नगर निगम तो अपनी संचालन समितियां ही नहीं बना पाया. जबकि ग्रेटर नगर निगम में आपसी विवाद और खींचतान चलता रहा.
पहली बार निगम में हुआ महापौर का निलंबन
बीवीजी कंपनी के भुगतान और सफाई की वैकल्पिक व्यवस्था के मुद्दे पर तत्कालीन महापौर सौम्या गुर्जर और कमिश्नर यज्ञ मित्र सिंह देव के बीच हुए विवाद में राज्य सरकार ने महापौर और तीन पार्षदों को निलंबित कर दिया. निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी महापौर को निलंबित किया गया. यही नहीं मामले में कमिश्नर ने एफआईआर भी दर्ज कराई थी. दोषी पाए जाने पर पार्षदों को जेल तक जाना पड़ा. जबकि निलंबित महापौर अभी भी न्याय की आस में सुप्रीम कोर्ट में चक्कर काट रही हैं.
निलंबित महापौर के पति की 20 करोड़ की डील
जिस बीवीजी कंपनी के भुगतान को लेकर ग्रेटर निगम में विवाद छिड़ा था. वो प्रकरण शांत होने से पहले ही निलंबित महापौर के पति राजाराम गुर्जर का एक वीडियो वायरल हुआ. इसमें वो बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधियों से 270 करोड़ रुपए बकाया भुगतान दिलाने के नाम पर 20 करोड़ रुपए की डील करते हुए नजर आए. मामले में एसीबी ने राजाराम गुर्जर को गिरफ्तार भी किया.
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एसीबी की कार्रवाई से अछूता नहीं रहा हेरिटेज निगम
एसीबी ने जयपुर हेरिटेज नगर निगम के वार्ड 6 से पार्षद जाहिद को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था, वहीं हेरिटेज निगम के वार्ड 4 से पार्षद बरखा सैनी का पति अविनाश सैनी भी 25 हजार रुपए की रिश्वत लेते ट्रैप किया गया था.
हेरिटेज निगम में कार्यकारिणी समितियों के गठन का इंतजार
हेरिटेज नगर निगम में पूरे साल कार्यकारिणी समिति बनाने और चेयरमैन की नियुक्ति को टाला जाता रहा. चूंकि यहां निर्दलीय पार्षदों की वजह से कांग्रेस का बोर्ड बना है. ऐसे में कांग्रेस इन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकती. वहीं चारों कांग्रेसी विधायक अपने पार्षदों को भी मलाईदार समिति देना चाहते हैं. यही वजह है कि 1 साल बीत जाने के बाद भी हेरिटेज निगम में अब तक समितियों का गठन नहीं हो पाया.
कार्यवाहक महापौर के कार्यकाल में दिखी बगावत
बीजेपी के ही पार्षदों ने विकास कार्यों में सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए अपने ही बोर्ड के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. यही नहीं कार्यवाहक महापौर के खिलाफ एकजुट होकर पार्टी कार्यालय में भी शिकायत दर्ज कराई गई.
1 साल में हुई महज एक साधारण सभा की बैठक
दोनों ही नगर निगमों में पार्षदों की एक शिकायत ये भी रही कि साल में महज एक साधारण सभा की बैठक हुई. जो एजेंडे बजट बैठक में पास हुए उनको अबतक धरातल पर नहीं उतारा जा सका. यही नहीं दोनों ही निगमों में महापौर को डमी मेयर बताया गया. चूंकि ग्रेटर निगम की महापौर शील धाभाई के एक आगे कार्यवाहक का ठप्पा था. वहीं हेरिटेज निगम में कांग्रेसी विधायकों का दबदबा ज्यादा रहा.
उपलब्धि गिनाने के दिन भी जुड़ा एक और विवाद
बाजारों का दौरा करने के दौरान शहर के बरामदों में हुए अतिक्रमण को अनदेखा करने वाली हेरिटेज नगर निगम की महापौर ने 1 साल पूरा होने पर अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए पत्रकार वार्ता रखी. लेकिन पीसी के लिए रखे गए समय के डेढ़ घंटे बाद भी महापौर के नहीं पहुंचने पर पत्रकारों ने प्रेसवार्ता का बहिष्कार किया.
एक तरफ जयपुर इंदौर की तरफ देखता है. चूंकि स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर लगातार अव्वल आ रहा है. दूसरी तरफ जयपुर के परकोटे को यूनेस्को से विरासत का तमगा मिलने के बाद भी यहां से अब तक न तो अतिक्रमण हटाए गए और न ही स्वच्छता व्यवस्था सुधरी गई. यही नहीं दो नगर निगम होने के बावजूद भी विकास के नाम पर 1 साल में शहर ढाई कोस भी नहीं चल सका. ऐसे में अब शहर वासियों को उम्मीद यही है कि कोरोना के बादल छटने के बाद शहर में अब दोनों निगम विवादों का नाता छोड़ विकास के पथ पर आगे बढ़ेंगे.