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Special: डायबिटीज मरीजों के लिए 'ब्लैक फंगस' बड़ा खतरा, कोरोना से ठीक होने के बाद भी आ सकते हैं चपेट में

कोरोना की दूसरी लहर लोगों पर कहर ढा रही है. ऐसे में कोरोना पीड़ित डायबिटीज मरीजों के लिए म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस बड़ा खतरा बन गया है. कोरोना से जंग जीतने के एक माह बाद भी मरीज इसकी चपेट में आ सकता है. राजधानी में अब तक ब्लैक फंगस के 50 मामले सामने आ चुके हैं.

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डायबिटीज मरीजों के लिए खतरनाक 'ब्लैक फंगस'
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Published : May 13, 2021, 6:56 PM IST

जयपुर. कोरोना संक्रमण के बीच म्यूकर माइकोसिस फंगल इंफेक्शन जैसी बीमारी भी संक्रमित मरीजों में देखने को मिल रही है. खासकर उन कोविड मरीजों में यह बीमारी देखने को मिल रही है जो डायबिटीज से पीड़ित हैं और इलाज के दौरान जिन्हें स्टेरॉयड दिया गया है. डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी नाक, मुंह और आंख के जरिए दिमाग तक को संक्रमित कर रही है. ऐसे में कुछ मामलों में आंखों की रोशनी जाने के मामले भी देखने को मिले हैं.

डायबिटीज मरीजों के लिए खतरनाक 'ब्लैक फंगस'

पढ़ें: SPECIAL : मासूमों पर CORONA की दूसरी लहर भारी...कोटा में 50 से ज्यादा बच्चे गंभीर, ब्लड क्लॉटिंग भी हो रही

म्यूकर माइकोसिस फंगल इंफेक्शन के प्रदेश में बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं. जयपुर की बात की जाए तो अब तक 50 से अधिक मामले एक निजी अस्पताल में इसके देखने को मिल रहे हैं. सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर मोहनीश ग्रोवर का कहना है कि म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के मामले 40 से अधिक आयु वाले कोविड-19 संक्रमित मरीजों में देखने को मिल रहे हैं. डायबिटीज से पीड़ित मरीजों में यह मामले अधिक सामने आ रहे हैं. डॉक्टर ग्रोवर का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के 1 महीने बाद भी मरीजों में ये इनफेक्शन देखने को मिल रहे हैं.

चेहरे पर सूजन या दर्द शुरुआती लक्षण

डॉ. ग्रोवर का कहना है कि शुरुआती तौर पर मरीज के चेहरे पर हल्की सूजन दिखाई देने लगती है. इसके बाद दांतों में दर्द या चेहरे के अन्य हिस्सों जैसे नाक, सिर आदि में दर्द शुरू होता है तो यह ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते हैं. इसके अलावा हल्का जुकाम या आंखों में सूजन भी इस बीमारी के लक्षण है. ब्लैक फंगस के कारण मरीज की आंखों की रोशनी भी चली जाती है. यहां तक कि कई बार दिमाग में भी संक्रमण फैल जाता है.

पढ़ें: SPECIAL : भगवान भरोसे गांव : ग्रामीण अंचलों तक पसर रहा CORONA...मौत के डर से अस्पताल नहीं जा रहे ग्रामीण, झोलाछापों की पौ-बारह

40 वर्ष से अधिक उम्र वालों को रिस्क

चिकित्सकों का कहना है कि 40 वर्ष से अधिक के मरीजों में फिलहाल सबसे अधिक ब्लैक फंगस के मामले देखने को मिल रहे हैं. चिकित्सकों का कहना है कि 40 से अधिक आयु वाले ऐसे व्यक्ति जिनको डायबिटीज है और वह कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आ गए हैं तो सबसे पहले डायबिटीज को कंट्रोल करें. यही नहीं, यदि व्यक्ति कोविड-19 संक्रमण से ठीक हो गया है तो अगले 1 महीने तक शुगर लेवल मेंटेन करना जरूरी है क्योंकि एक महीने बाद भी मरीज को ब्लैक फंगस अपनी चपेट में ले सकता है.

दवाओं से हो सकते हैं ठीक

विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे ही ब्लैक फंगस के लक्षण मरीज में दिखाई देने लगे, तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए. सही समय पर दवाइयां लेने पर मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है. कुछ मामलों में सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है जिसके बाद मरीज बिल्कुल ठीक हो जाता है. कुछ केस में फंगस अधिक फैलने पर चेहरे के आसपास की हड्डियां भी गल जाती हैं जिन्हें ऑपरेशन के जरिए हटाया जाता है.

जयपुर. कोरोना संक्रमण के बीच म्यूकर माइकोसिस फंगल इंफेक्शन जैसी बीमारी भी संक्रमित मरीजों में देखने को मिल रही है. खासकर उन कोविड मरीजों में यह बीमारी देखने को मिल रही है जो डायबिटीज से पीड़ित हैं और इलाज के दौरान जिन्हें स्टेरॉयड दिया गया है. डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी नाक, मुंह और आंख के जरिए दिमाग तक को संक्रमित कर रही है. ऐसे में कुछ मामलों में आंखों की रोशनी जाने के मामले भी देखने को मिले हैं.

डायबिटीज मरीजों के लिए खतरनाक 'ब्लैक फंगस'

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म्यूकर माइकोसिस फंगल इंफेक्शन के प्रदेश में बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं. जयपुर की बात की जाए तो अब तक 50 से अधिक मामले एक निजी अस्पताल में इसके देखने को मिल रहे हैं. सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर मोहनीश ग्रोवर का कहना है कि म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के मामले 40 से अधिक आयु वाले कोविड-19 संक्रमित मरीजों में देखने को मिल रहे हैं. डायबिटीज से पीड़ित मरीजों में यह मामले अधिक सामने आ रहे हैं. डॉक्टर ग्रोवर का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के 1 महीने बाद भी मरीजों में ये इनफेक्शन देखने को मिल रहे हैं.

चेहरे पर सूजन या दर्द शुरुआती लक्षण

डॉ. ग्रोवर का कहना है कि शुरुआती तौर पर मरीज के चेहरे पर हल्की सूजन दिखाई देने लगती है. इसके बाद दांतों में दर्द या चेहरे के अन्य हिस्सों जैसे नाक, सिर आदि में दर्द शुरू होता है तो यह ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते हैं. इसके अलावा हल्का जुकाम या आंखों में सूजन भी इस बीमारी के लक्षण है. ब्लैक फंगस के कारण मरीज की आंखों की रोशनी भी चली जाती है. यहां तक कि कई बार दिमाग में भी संक्रमण फैल जाता है.

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40 वर्ष से अधिक उम्र वालों को रिस्क

चिकित्सकों का कहना है कि 40 वर्ष से अधिक के मरीजों में फिलहाल सबसे अधिक ब्लैक फंगस के मामले देखने को मिल रहे हैं. चिकित्सकों का कहना है कि 40 से अधिक आयु वाले ऐसे व्यक्ति जिनको डायबिटीज है और वह कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आ गए हैं तो सबसे पहले डायबिटीज को कंट्रोल करें. यही नहीं, यदि व्यक्ति कोविड-19 संक्रमण से ठीक हो गया है तो अगले 1 महीने तक शुगर लेवल मेंटेन करना जरूरी है क्योंकि एक महीने बाद भी मरीज को ब्लैक फंगस अपनी चपेट में ले सकता है.

दवाओं से हो सकते हैं ठीक

विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे ही ब्लैक फंगस के लक्षण मरीज में दिखाई देने लगे, तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए. सही समय पर दवाइयां लेने पर मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है. कुछ मामलों में सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है जिसके बाद मरीज बिल्कुल ठीक हो जाता है. कुछ केस में फंगस अधिक फैलने पर चेहरे के आसपास की हड्डियां भी गल जाती हैं जिन्हें ऑपरेशन के जरिए हटाया जाता है.

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