जयपुर. 20 जिलों के 90 निकाय में हुए चुनाव के बाद अब सबकी निगाहें प्रदेश की 4 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर हैं. जमीनी तौर पर भाजपा ने भले ही उपचुनाव की तैयारी शुरू कर दी हो लेकिन मौजूदा निकाय चुनाव के परिणाम देखें तो इन चारों विधानसभा उपचुनाव क्षेत्रों में आने वाले निकायों में भाजपा की परफॉर्मेंस खराब ही रही. देखिये यह खास रिपोर्ट...
मतलब साफ है कि उपचुनाव से पहले हुए इस सेमीफाइनल में भाजपा हार गई और अब नई रणनीति के साथ उपचुनाव में भाजपा को पसीना बहाना पड़ेगा. जिन 90 निकायों में चुनाव हुए उनमें 4 विधानसभा क्षेत्रों सुजानगढ़, सहाड़ा, वल्लभनगर और राजसमंद क्षेत्र में 5 निकाय आते हैं. राजसमंद नगर परिषद सहित 3 में भाजपा चुनाव हार गई. वहीं एक नगर पालिका सीट में बीजेपी ने कांग्रेस की तुलना में वार्ड तो अधिक जीते लेकिन स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया.
कुल मिलाकर 4 विधानसभा सीटों में आने वाले निकायों में से केवल एक ही निकाय में बीजेपी स्पष्ट बहुमत से जीत सकी. जबकि इन्हीं निकाय चुनाव में पूर्व में 5 में से 3 निकायों में बीजेपी का कब्जा था. मतलब अपनी पुरानी सीट बचाने में भी बीजेपी विधानसभा उपचुनाव क्षेत्र में नाकाम रही. यह स्थिति तो तब है जब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने सुजानगढ़ से अपने उपचुनाव का चुनावी बिगुल फूंका था और तीन विधानसभा क्षेत्रों में सतीश पूनिया उपचुनाव की दृष्टि से कार्यकर्ता सम्मेलन और सभाओं को भी संबोधित कर चुके हैं.
ऐसे में जब छोटे निकाय चुनाव का परिणाम भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के लिए भी साख को झटका लगने जैसा था. पूनिया कहते हैं कि अब उपचुनाव के लिए रणनीति में बदलाव किया जाएगा.
4 विधानसभा सीटें जहां पर होना है उपचुनाव
प्रदेश में राजसमंद, सहाड़ा, सुजानगढ़ और वल्लभनगर विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इनमें से 1 सीट राजसमंद पूर्व में बीजेपी के कब्जे में थी. जबकि अन्य बची हुई 3 सीटें सहाड़ा, सुजानगढ़ और वल्लभनगर कांग्रेस की कब्जे में थीं. इन चारों विधानसभा क्षेत्रों में कुल 5 निकाय आते हैं जहां हाल ही में चुनाव हुए हैं.
राजसमंद विधानसभा क्षेत्र
यहां राजसमंद नगर परिषद के चुनाव हुए हैं. इस परिषद में कुल 45 सीटों में से कांग्रेस को 26, बीजेपी को 18, निर्दलीय को 1 वार्ड में जीत मिली. यहां बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा.
वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र
यहां भिंडर नगर पालिका आती है. जहां निकाय चुनाव में न बीजेपी जीत पाई और न कांग्रेस. यहां जनता सेना का बोर्ड बना. भिंडर नगर पालिका में कुल 25 सीटें थीं. बीजेपी को महज 2 ही वार्डों में जीत मिली. मतलब यहां बीजेपी का प्रदर्शन दोयम दर्जे का रहा. हालांकि पूर्व में इस सीट पर बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था.
सुजानगढ़ विधानसभा सीट
यहां दो नगर पालिका में चुनाव हैं. इनमें सुजानगढ़ नगर पालिका और बिदासर नगर पालिका के चुनाव परिणाम देखें तो सुजानगढ़ नगर पालिका में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा. सुजानगढ़ नगर पालिका में कुल 60 वार्ड थे जिनमें से 19 पर बीजेपी, 28 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की. जबकि 13 सीटों पर निर्दलीयों ने जीत दर्ज की. मतलब यहां बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा.
हालांकि सुजानगढ़ में पहले कांग्रेस का बोर्ड था. वहीं इस विधानसभा क्षेत्र में ही बिदासर नगर पालिका आती है. जिसमें बीजेपी को कांग्रेस की तुलना में 3 वार्डों में अधिक जीत मिली. लेकिन बोर्ड बनाने के लिए स्पष्ट बहुमत यहां पर भी नहीं मिल पाया. हालांकि पूर्व में यहां बीजेपी का बोर्ड था.
सहाड़ा विधानसभा क्षेत्र
यहां एकमात्र नगर पालिका गंगापुर आती है. जिसमें कुल 25 वार्डों में से 13 वार्ड में भाजपा और 12 में कांग्रेस को जीत हासिल हुई. मतलब यह बीजेपी को सफलता तो मिली लेकिन बाउंड्री पर. हालांकि सहाड़ा में गंगापुर नगर पालिका में पहले कांग्रेस का बोर्ड था.
निकाय चुनाव में पिछड़े, उपचुनाव में जीत का दावा
चारों विधानसभा सीटों में हुए निकायों के चुनाव के परिणाम बताते हैं कि यहां बीजेपी की स्थिति कमजोर है. लेकिन नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया इसे मानने को तैयार नहीं. कटारिया के अनुसार निकाय चुनाव व्यक्तिगत स्तर पर लड़े जाते हैं और मुद्दे भी स्थानीय होते हैं. लेकिन विधानसभा चुनाव उपचुनाव सरकार की परफॉर्मेंस पर लड़े जाते हैं और प्रदेश सरकार की परफॉर्मेंस बीते 2 साल में बेकार ही रही है. इसलिए बीजेपी आने वाले उपचुनाव में जीतेगी.
समय पर लगा झटका, सुधार के लिए मिला समय
प्रदेश में जिन 4 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं उस की तारीखों का ऐलान अब तक नहीं किया गया है. हालांकि मार्च-अप्रैल के भीतर चुनाव होंगे. ऐसे में निकाय चुनाव के परिणामों से बीजेपी को सही समय पर अपनी भूल सुधारने का अवसर मिल गया है. मतलब इन विधानसभा क्षेत्रों में निकायों के जो चुनाव परिणाम सामने आए, उसके बाद बीजेपी इन क्षेत्रों में संगठनात्मक रूप से और चुनाव के लिहाज से कुछ बदलाव जरूर करेगी.
हालांकि यह बदलाव कब तक होगा यह कह पाना फिलहाल मुश्किल है. लेकिन इतना जरूर है कि मौजूदा निकाय चुनाव परिणाम यह साफ करते हैं कि आने वाले 4 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भाजपा का दावा भले ही कमल खिलाने का हो लेकिन चुनावी दलदल में सभी चारों सीटों पर कमल खिल जाए इसकी संभावना कम ही है.