जयपुर. विधानसभा का मौजूदा सत्र राज्यपाल कलराज मिश्र के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ. लेकिन सत्र के पहले ही दिन भाजपा विधायक विपक्ष के नाते एकजुट नहीं दिखे. अभिभाषण के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने शॉर्ट नोटिस पर सत्र बुलाए जाने पर एतराज जताया और सदन से वॉकआउट का ऐलान कर दिया.
भाजपा के सभी विधायक तो नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के साथ चले गए, लेकिन पार्टी के ही वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल सदन में ही जमे रहे. आलम यह रहा, कि ना पक्ष लॉबी में पहुंचने के बाद जब भाजपा विधायकों को इसकी जानकारी हुई तो पर्ची के जरिए मेघवाल को ना पक्ष लॉबी में आने को लिखा गया. दो बार पर्ची भेजने के बाद मेघवाल ना पक्ष लॉबी में पहुंचे, लेकिन यहां मामला और बिगड़ गया.
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दरअसल, कैलाश मेघवाल जानबूझकर भाजपा के सदन से वॉकआउट से दूर रहे. कैलाश मेघवाल की पीड़ा थी कि जब गहलोत सरकार के कार्यकाल का पहला सत्र बुलाया गया था तो वह 6 दिन के शॉर्ट नोटिस में बुलाया गया था और तब मेघवाल ने इसका विरोध किया था, लेकिन भाजपा विधायकों ने तब उनका साथ नहीं दिया था. अपने मन की पीड़ा खुद उन्होंने नेता प्रतिपक्ष सहित तमाम विधायकों के सामने बयां की.
ना पक्ष लॉबी में मेघवाल ने कहा कि यदि मैंने पार्टी व्हिप तोड़ा है तो उनके खिलाफ पार्टी कार्रवाई कर ले. इस दौरान सतीश पूनिया, गुलाबचंद कटारिया, राजेंद्र राठौड़ के साथ मेघवाल की हल्की नोकझोंक भी हुई. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बीच-बचाव भी किया और पार्टी के कुछ नेताओं का नाम लेकर यह तक कह डाला कि इस प्रकार की चीजें बाहर जाएगी तो पार्टी और हमें ही नुकसान होगा. तब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी अपनी आपत्ति जताई.
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नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के अनुसार कैलाश मेघवाल ने पार्टी के अनुशासन के खिलाफ काम किया है. कटारिया के अनुसार पार्टी ने जो निर्णय लिया है उसकी पालना हर एक को करना चाहिए, फिर चाहे वह छोटा हो या बड़ा. कटारिया ने कहा, कि कैलाश मेघवाल ना तो बीजेपी विधायक दल की बैठक में शामिल हुए और ना ही सत्र के दिन विधानसभा में हुई बैठक में पहुंचे.