जयपुर. प्रदेश में चल रहे सियासी संग्राम के बीच विधानसभा अध्यक्ष की ओर से जारी किए गए 19 विधायकों को नोटिस मामले में सियासत गर्म है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने इस मामले में सरकार और विधानसभा अध्यक्ष पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि ये लोकतंत्र की हत्या का प्रयास है.
विधायकों को नोटिस मिलने के बाद बुधवार को भाजपा मुख्यालय में सतीश पूनिया की मौजूदगी में प्रमुख नेताओं की बैठक हुई. खास तौर पर इसमें नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उप नेता राजेंद्र राठौड़, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेंद्र सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी भी शामिल हुए. इस दौरान विधानसभा के नियमों से जुड़ी किताबें भी मंगाई गई जिसके अध्ययन के बाद सतीश पूनिया ने मीडिया में यह बयान दिया.
सतीश पूनिया के अनुसार बाहर किसी रिसोर्ट और होटल में कांग्रेस की बैठक हो और उस आधार पर विधानसभा अध्यक्ष किसी विधायक को इस तरह का नोटिस जारी कर दे, ये कोई आधार नहीं हो सकता और ना ही यह नियमों में है. लेकिन, फिर भी मिलीभगत के जरिए सरकार चाहती है कि पायलट कैंप के 19 विधायकों की सदस्यता समाप्त करा दी जाए. उन्होंने कहा कि हम इसके कानूनी पहलुओं को जानकर दूसरा पक्ष निश्चित रूप से कोर्ट में अपील कर सकता है.
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पूनिया ने कहा पहले जिस तरह SOG के जरिए उप मुख्यमंत्री और कुछ मंत्रियों को नोटिस भेजे गए और डराया गया, अब विधानसभा सचिवालय को इसका जरिया बना लिया है. इसी के साथ उन्होंने कहा कि मौजूदा घटनाक्रम में अब विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी की भूमिका भी संदिग्ध नजर आने लगी है और लगता है कि यह लड़ाई अब लंबी चलेगी, जिसमें प्रतिपक्ष इसमें अपनी सकारात्मक भूमिका भी निभाएगा.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के अनुसार मौजूदा स्थिति में गहलोत सरकार के पास 100 विधायकों का आंकड़ा भी पूरी तरह समर्थन में नहीं है. ऐसी स्थिति में जब सरकार की स्थिति डामाडोल हो और सरकार अल्पमत में हो तब इस प्रकार नोटिस का खेल करके लोकतंत्र की हत्या की जा रही है.