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राजस्थान उपचुनाव : BJP के इन स्टार प्रचारकों ने उपचुनाव से बनाई दूरी..राजे, माथुर और यादव की कमी इन नेताओं ने की दूर

राजस्थान के धरियावद और वल्लभनगर सीट पर उपचुनाव का शोरगुल आज थम जाएगा. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 2 सीटों पर हो रहा ये उपचुनाव सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है. लेकिन भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, केन्द्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और राज्यसभा सांसद ओम माथुर सहित कुछ नेताओं ने उपचुनाव क्षेत्रों से दूरी बनाए रखी, जो सियासी गलियारों में अब चर्चा का विषय है.

राजस्थान उपचुनाव BJP स्टार प्रचारक
राजस्थान उपचुनाव BJP स्टार प्रचारक
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Published : Oct 27, 2021, 4:17 PM IST

Updated : Oct 27, 2021, 5:59 PM IST

जयपुर. राजस्थान में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. चुनाव में प्रचार के लिए भाजपा की स्टार प्रचारकों की सूची में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और राज्यसभा सांसद ओम माथुर का नाम शामिल है, लेकिन चुनाव प्रचार से इन नेताओं ने दूरी बनाकर रखी. वल्लभनगर और धरियावद विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव से इन नेताओं ने दूरी क्यों बनाई, इसे लेकर राजनितिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हैं.

वसुंधरा राजे की दूरी का कारण

पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे पहली दफा चुनाव से दूर नहीं हैं. इससे पहले 3 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव से भी वसुंधरा राजे ने दूरी बनाए रखी थी. पंचायत राज चुनाव और निकाय चुनावों में भी वे नजर नहीं आईं. हालांकि हाल ही जोधपुर प्रवास के दौरान उनके समर्थक नेता एकत्रित हुए थे, लेकिन मौजूदा उपचुनाव के प्रचार में उन्होंने कोई रुचि नहीं दिखाई. इसका बड़ा कारण उनकी पुत्र वधू निहारिका का बीमार होना भी है.

राजस्थान उपचुनाव में कहां हैं BJP के स्टार प्रचारक

राजनीतिक दृष्टिकोण से वसुंधरा की दूरी का एक बड़ा कारण सतीश पूनिया का नेतृत्व भी माना जाता है. राजस्थान भाजपा में कई शक्ति केंद्र बन चुके हैं. इसमें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया भी शामिल हैं. पूनिया खेमे से राजे खेमे की दूरियां किसी से छुपी नहीं हैं. ऐसे भी उपचुनाव का परिणाम कुछ भी हो, जीत या हार की जिम्मेदारी प्रदेशाध्यक्ष पूनिया पर ही आनी है. ये भी एक कारण हो सकता है जिसके चलते राजे ने उपचुनाव के प्रचार से दूरी बनाई हो.

भूपेंद्र यादव की दूरी का कारण

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव राजस्थान से राज्यसभा सांसद जरूर हैं लेकिन पिछले दिनों उनकी जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान उनकी गिनती राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री की चेहरे के रूप में होने लगी. यही वजह है कि उपचुनाव से उन्होंने दूरी बना ली. हालांकि यादव ने साफ कर दिया था कि वे सीएम के चेहरे में शामिल नहीं हैं और न उनकी कोई ऐसी मंशा है. केंद्र में जिम्मेदारी बढ़ना और दूसरे प्रदेशों में विधानसभा चुनाव से जुड़ी जिम्मेदारी मिलने के कारण भी उन्होंने इस चुनाव में बड़ी भूमिका नहीं निभाई.

ओम प्रकाश माथुर की दूरी की वजह

पार्टी के राज्यसभा सांसद, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम प्रकाश माथुर के एक बयान से ये संकेत मिले थे कि माथुर की प्रदेश नेतृत्व से पहले जितनी नजदीकियां नहीं हैं. संभवत यही कारण है कि माथुर ने उपचुनाव के प्रचार में खुद को शामिल नहीं किया. उनसे समय जरूर मांगा गया था लेकिन उनकी ओर से समय नहीं मिल पाया.

पढ़ें -क्रॉस वोटिंग का डर: अलवर-धौलपुर के पंचायत चुनाव के प्रत्याशियों की कांग्रेस ने की बाड़ाबंदी

डॉ अरुण चतुर्वेदी की दूरी

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्यसमिति में विशेष आमंत्रित सदस्य डॉ अरुण चतुर्वेदी उपचुनाव क्षेत्र वल्लभनगर और धरियावद में भाजपा के प्रचार अभियान में शामिल नहीं रहे. स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल चतुर्वेदी धौलपुर और अलवर जिले में हुए पंचायत राज चुनाव में व्यस्त रहे और उन्हें वहां पार्टी ने जिम्मेदारी भी सौंपी है. लिहाजा वे उपचुनाव से दूर हैं.

इन नेताओं ने पूरी की स्टार प्रचारकों की कमी

पुर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, राज्यसभा सांसद ओम प्रकाश माथुर और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भले ही उपचुनाव क्षेत्र में भाजपा के प्रचार के लिए न आए हों, लेकिन इन नेताओं की कमी भाजपा ने 2 अन्य केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव प्रचार में बुलाकर कर ली. इनमें केंद्रीय जनजाति विकास मंत्री अर्जुन मुंडा और केंद्रीय विधि व न्याय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल के नाम शामिल है. अर्जुन मुंडा ने धरियावद और बघेल ने वल्लभनगर सीट पर भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार कर इस कमी को पूरा करने का काम किया.

परिणाम तय करेगा इन नेताओं का सियासी भविष्य

मौजूदा उपचुनाव में जो भी परिणाम आएगा उसका असर प्रदेश भाजपा के इन दिग्गज नेताओं के भविष्य पर पड़ेगा. खासतौर पर उपचुनाव की पूरी जिम्मेदारी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया, प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उप नेता राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय मंत्री और वल्लभनगर सीट के प्रभारी अर्जुन राम मेघवाल, सांसद सी पी जोशी, दीया कुमारी, सचेतक जोगेश्वर गर्ग, प्रदेश महामंत्री मदन दिलावर, भजन लाल शर्मा पर पड़ना तय है. मतलब हार या जीत, जो भी हो जिम्मेदारी इनके कंधों पर रहेगी.

जयपुर. राजस्थान में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. चुनाव में प्रचार के लिए भाजपा की स्टार प्रचारकों की सूची में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और राज्यसभा सांसद ओम माथुर का नाम शामिल है, लेकिन चुनाव प्रचार से इन नेताओं ने दूरी बनाकर रखी. वल्लभनगर और धरियावद विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव से इन नेताओं ने दूरी क्यों बनाई, इसे लेकर राजनितिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हैं.

वसुंधरा राजे की दूरी का कारण

पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे पहली दफा चुनाव से दूर नहीं हैं. इससे पहले 3 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव से भी वसुंधरा राजे ने दूरी बनाए रखी थी. पंचायत राज चुनाव और निकाय चुनावों में भी वे नजर नहीं आईं. हालांकि हाल ही जोधपुर प्रवास के दौरान उनके समर्थक नेता एकत्रित हुए थे, लेकिन मौजूदा उपचुनाव के प्रचार में उन्होंने कोई रुचि नहीं दिखाई. इसका बड़ा कारण उनकी पुत्र वधू निहारिका का बीमार होना भी है.

राजस्थान उपचुनाव में कहां हैं BJP के स्टार प्रचारक

राजनीतिक दृष्टिकोण से वसुंधरा की दूरी का एक बड़ा कारण सतीश पूनिया का नेतृत्व भी माना जाता है. राजस्थान भाजपा में कई शक्ति केंद्र बन चुके हैं. इसमें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया भी शामिल हैं. पूनिया खेमे से राजे खेमे की दूरियां किसी से छुपी नहीं हैं. ऐसे भी उपचुनाव का परिणाम कुछ भी हो, जीत या हार की जिम्मेदारी प्रदेशाध्यक्ष पूनिया पर ही आनी है. ये भी एक कारण हो सकता है जिसके चलते राजे ने उपचुनाव के प्रचार से दूरी बनाई हो.

भूपेंद्र यादव की दूरी का कारण

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव राजस्थान से राज्यसभा सांसद जरूर हैं लेकिन पिछले दिनों उनकी जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान उनकी गिनती राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री की चेहरे के रूप में होने लगी. यही वजह है कि उपचुनाव से उन्होंने दूरी बना ली. हालांकि यादव ने साफ कर दिया था कि वे सीएम के चेहरे में शामिल नहीं हैं और न उनकी कोई ऐसी मंशा है. केंद्र में जिम्मेदारी बढ़ना और दूसरे प्रदेशों में विधानसभा चुनाव से जुड़ी जिम्मेदारी मिलने के कारण भी उन्होंने इस चुनाव में बड़ी भूमिका नहीं निभाई.

ओम प्रकाश माथुर की दूरी की वजह

पार्टी के राज्यसभा सांसद, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम प्रकाश माथुर के एक बयान से ये संकेत मिले थे कि माथुर की प्रदेश नेतृत्व से पहले जितनी नजदीकियां नहीं हैं. संभवत यही कारण है कि माथुर ने उपचुनाव के प्रचार में खुद को शामिल नहीं किया. उनसे समय जरूर मांगा गया था लेकिन उनकी ओर से समय नहीं मिल पाया.

पढ़ें -क्रॉस वोटिंग का डर: अलवर-धौलपुर के पंचायत चुनाव के प्रत्याशियों की कांग्रेस ने की बाड़ाबंदी

डॉ अरुण चतुर्वेदी की दूरी

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय कार्यसमिति में विशेष आमंत्रित सदस्य डॉ अरुण चतुर्वेदी उपचुनाव क्षेत्र वल्लभनगर और धरियावद में भाजपा के प्रचार अभियान में शामिल नहीं रहे. स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल चतुर्वेदी धौलपुर और अलवर जिले में हुए पंचायत राज चुनाव में व्यस्त रहे और उन्हें वहां पार्टी ने जिम्मेदारी भी सौंपी है. लिहाजा वे उपचुनाव से दूर हैं.

इन नेताओं ने पूरी की स्टार प्रचारकों की कमी

पुर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, राज्यसभा सांसद ओम प्रकाश माथुर और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भले ही उपचुनाव क्षेत्र में भाजपा के प्रचार के लिए न आए हों, लेकिन इन नेताओं की कमी भाजपा ने 2 अन्य केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव प्रचार में बुलाकर कर ली. इनमें केंद्रीय जनजाति विकास मंत्री अर्जुन मुंडा और केंद्रीय विधि व न्याय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल के नाम शामिल है. अर्जुन मुंडा ने धरियावद और बघेल ने वल्लभनगर सीट पर भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार कर इस कमी को पूरा करने का काम किया.

परिणाम तय करेगा इन नेताओं का सियासी भविष्य

मौजूदा उपचुनाव में जो भी परिणाम आएगा उसका असर प्रदेश भाजपा के इन दिग्गज नेताओं के भविष्य पर पड़ेगा. खासतौर पर उपचुनाव की पूरी जिम्मेदारी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया, प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उप नेता राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय मंत्री और वल्लभनगर सीट के प्रभारी अर्जुन राम मेघवाल, सांसद सी पी जोशी, दीया कुमारी, सचेतक जोगेश्वर गर्ग, प्रदेश महामंत्री मदन दिलावर, भजन लाल शर्मा पर पड़ना तय है. मतलब हार या जीत, जो भी हो जिम्मेदारी इनके कंधों पर रहेगी.

Last Updated : Oct 27, 2021, 5:59 PM IST
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