जयपुर. प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में लगी अपनी याचिका वापस ले लिया है. इस पर भाजपा ने कटाक्ष किया है. पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि यह एक प्रकार से संविधानिक कवायद है, इसमें सरकार कन्फ्यूज्ड दिख रही है. वहीं बीएसपी विधायकों के विलय को लेकर कोर्ट में चल रही कवायद पर भी पूनिया ने कहा कि, अभी इस विषय की कानूनी रूप से सार्वजनिक व्याख्या होना बाकी है, तभी इसका निस्तारण हो पाएगा.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सतीश पूनिया ने मौजूदा सियासी घटनाक्रम पर भी खुलकर अपनी बात रखी. पूनिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की ओर से लगाई गई याचिका क्यों वापस ली गई यह तो वहीं जाने, लेकिन इतना तय है कि इस प्रकार की घटना का फैसला संविधान की ओर से कानून और न्याय के माध्यम से ही होगा.
वहीं, बहुजन समाज पार्टी विधायकों के कांग्रेस में विलय को लेकर विधानसभा और कोर्ट में चल रहे मामले पर भी सतीश पूनिया ने अपनी प्रतिक्रिया दी. पूनिया के अनुसार और भी सारगर्भित व्याख्यान होना बाकी है. उन्होंने कहा कि विधानसभा में पूर्व में लगाई गई याचिका का निस्तारण कर दिया और राज्यसभा चुनाव के दौरान जब चुनाव आयोग ने बीएसपी विधायकों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष से जानकारी मांगी तो उन्होंने विधायकों को कांग्रेस का विधायक बताया.
पूनिया के अनुसार इस मामले में बीएसपी ने स्पीकर और राज्यपाल को भी पत्र भेजा है. उन्होंने कहा कि देखा जाए तो जो विधायक बीएसपी के टिकट पर चुनाव जीते वो बिना राष्ट्रीय स्तर पर सहमति के अपने आप कैसे किसी दूसरे दल में विलय कर सकते हैं. उनके अनुसार अब ये मामला न्यायालय की ओर से ही निस्तारित किया जा सकता है.
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विधानसभा सत्र को लेकर सरकार की ओर से दिए गए पत्रावली को राज्यपाल द्वारा दूसरी बार लौटाए जाने के मामले में भी पूनिया ने कहा कि सत्र बुलाना या ना बुलाना मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए निर्णय लेने का अधिकार केवल राज्यपाल का है. क्योंकि संविधान ने राज्यपाल को भी कुछ अधिकार दिए हैं और वो उनका इस्तेमाल करके नियमानुसार ही काम करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार या राज्यपाल कभी भी सत्र बुलाए बीजेपी को इसमें कोई आपत्ति नहीं है चाहे तो अभी सत्र बुला लें.