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सूफी नहीं, हिन्दू संत थे हरिनाम, भाजपा ने 10वीं के पाठ्यक्रम में दी गई जानकारी पर उठाए सवाल...ईमेल से RBSE को भेजी आपत्ति

आरबीएसई (RBSE) की 10वीं कक्षा की किताब में बाबा हरिनाम को सूफी संत बताए जाने पर भाजपा ने आपत्ति जताई है. भाजपा ने बाबा हरिनाम को हिंदू संत बताने के साथ ही ईमेल से RBSE को आपत्ति भेजी है.

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बाबा हरिनाम को सूफी संत बताने पर आपत्ति
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Published : Aug 5, 2021, 6:04 PM IST

जयपुर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं की पुस्तक में बाबा हरिनाम को प्रसिद्ध सूफी संत बताए जाने के मामले पर सियासत गरमा गई है. भाजपा ने इस मामले में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में आपत्ति दर्ज कराई है. भाजपा ने सूफी संत बाबा हरिराम के बजाय किताब में संशोधन कर इसे हिंदू संत बाबा हरिराम किए जाने की मांग की है.

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच ने इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष को ई-मेल के जरिए अपनी आपत्ति के साथ ज्ञापन भेजा है. इसके जरिए यह लिखा गया कि पुस्तक में बाबा हरीराम को प्रसिद्ध सूफी संत भी बताया गया है.

बाबा हरिनाम को सूफी संत बताने पर आपत्ति

पढ़ें-वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव : जमीन तलाशने में जुटीं राजनीतिक पार्टियां, कांग्रेस के सामने कई दावेदार

दाधीच ने कहा कि वास्तविकता में हरिराम हिंदू संत थे जबकि पुस्तक में दी गई जानकारी आधारहीन तथ्यों के आधार पर लिखी गई है. इससे न केवल वर्ग विशेष समुदाय को आपत्ति है बल्कि छात्रों को भी इसके जरिए गलत जानकारी प्राप्त होगी.

दाधीच ने कहा कि सूफी संत परंपरा मुस्लिम संप्रदाय की उदारवादी शाखा है. इसलिए उन्हें सूफी संत बताना भावी पीढ़ी को इतिहास की गलत जानकारी देने के समान होगा जिससे युवा भ्रमित हो रहे हैं. ऐसे में सही तथ्यों का अनुसंधान करवाकर पाठ्यपुस्तक में दी गई इस जानकारी को तुरंत ठीक करवाए जाए.

जयपुर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं की पुस्तक में बाबा हरिनाम को प्रसिद्ध सूफी संत बताए जाने के मामले पर सियासत गरमा गई है. भाजपा ने इस मामले में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में आपत्ति दर्ज कराई है. भाजपा ने सूफी संत बाबा हरिराम के बजाय किताब में संशोधन कर इसे हिंदू संत बाबा हरिराम किए जाने की मांग की है.

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच ने इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष को ई-मेल के जरिए अपनी आपत्ति के साथ ज्ञापन भेजा है. इसके जरिए यह लिखा गया कि पुस्तक में बाबा हरीराम को प्रसिद्ध सूफी संत भी बताया गया है.

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दाधीच ने कहा कि वास्तविकता में हरिराम हिंदू संत थे जबकि पुस्तक में दी गई जानकारी आधारहीन तथ्यों के आधार पर लिखी गई है. इससे न केवल वर्ग विशेष समुदाय को आपत्ति है बल्कि छात्रों को भी इसके जरिए गलत जानकारी प्राप्त होगी.

दाधीच ने कहा कि सूफी संत परंपरा मुस्लिम संप्रदाय की उदारवादी शाखा है. इसलिए उन्हें सूफी संत बताना भावी पीढ़ी को इतिहास की गलत जानकारी देने के समान होगा जिससे युवा भ्रमित हो रहे हैं. ऐसे में सही तथ्यों का अनुसंधान करवाकर पाठ्यपुस्तक में दी गई इस जानकारी को तुरंत ठीक करवाए जाए.

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