जयपुर. पूर्व मंत्री व विधायक कालीचरण सराफ ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार का संरक्षण मिलने से भ्रष्ट अधिकारियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं. रंगे हाथों पकड़ने के बावजूद सरकार की ओर से अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने से निराश ईमानदार एसीबी अधिकारियों के हौसले पस्त होते जा रहे हैं, जिससे प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच चुका है.
सराफ ने कहा कि हाल ही में एसीबी की एक कार्रवाई में दौसा और बांदीकुई के एसडीएम रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार हुए. खास बात यह है कि दोनों अधिकारी सरकार में प्रभाव रखते हैं और उच्च अधिकारियों की गुड बुक्स में भी हैं. ऐसे में उन पर कोई अग्रिम कार्रवाई की अनुमति एसीबी को मिलेगी, इसकी उम्मीद कम ही है.
भ्रष्ट अधिकारियों को सरकार का खुला संरक्षण
कालीचरण सराफ ने कहा कि पर्याप्त सबूतों के बाद भी जब सरकार से कार्रवाई की अनुमति नहीं मिलती है तो एसीबी अधिकारियों का विश्वास कमजोर होता है. इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कमजोर होती है और भ्रष्टाचार पर लगाम मुश्किल हो जाता है. भ्रष्टाचार के अनेक मामलों में तो बिना जांच करवाए ही भ्रष्ट अधिकारियों को पुनः बहाल भी कर दिया गया है. भ्रष्ट अधिकारियों को सरकार का खुला संरक्षण मिलता देख राज्य की जनता भी अब कहने लगी है कि कांग्रेस सरकार में काम करवाना है तो रिश्वत देना ही पड़ेगा.
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सराफ ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह दावा हास्यास्पद लगता है, जब अनेक मंचों से उनकी ओर से कहा जाता है कि भ्रष्ट अधिकारियों को बक्शा नहीं जाएगा. जब कार्रवाई की बात आती है तो टाल मटोल किया जाता है और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति नहीं दी जाती है. सीएम अशोक गहलोत की नाक के नीचे वर्तमान में भ्रष्टाचार के प्रकरण में पकड़े गए 2 आईएएस और 5 आरएएस के खिलाफ कार्मिक विभाग की ओर से अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी जा रही है और 231 अन्य मामले संबंधित विभागों में लंबित हैं.
कालीचरण सराफ ने कहा कि भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस के मुख्यमंत्री के दावे में दम है तो एसीबी की ओर से पकड़े गए तुरंत भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ वर्षों से लंबित अभियोजन स्वीकृति देने के आदेश दें, जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लग सके.