जयपुर. अनुशासित पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा में इन दिनों नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के निर्देशों की पालना उनकी ही पार्टी के विधायक समय पर नहीं कर रहे हैं. आलम ये है कि कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष में भाजपा विधायकों को अपने 1 माह का वेतन देने का निर्णय पार्टी ने 28 अप्रैल को किया, लेकिन उस पर अमल अब तक सभी विधायकों ने नहीं किया.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने ही इस घोषणा पर 23 दिन बाद यानी अब अमल किया है. प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने 3 दिन पहले नेता प्रतिपक्ष के निर्देशों की पालना की. मतलब शर्मा ने भी विधायक दल के नेता के निर्देश की पालना करने में 20 दिन से अधिक का समय लगा दिया. यह स्थिति तो तब है जब नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने यह निर्णय पार्टी के प्रमुख नेताओं से चर्चा के बाद लिया था.
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने 28 अप्रैल को भाजपा विधायक दल के सभी विधायकों को अपने 1 माह का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करवाने संबंधी कार्रवाई पूरा करने के निर्देश दिए थे और मीडिया में भी इसकी सूचना जारी करवाई, लेकिन कुछ दिनों बाद जब उन्हें पता लगा की अधिकतर विधायकों ने उनके निर्देशों पर अमल नहीं किया तो उन्होंने बकायदा 11 मई को मीडिया में विज्ञप्ति जारी कर विधायकों को रिमाइंडर कराया और कहा कि जिन्होंने अब तक अपने 1 माह का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करवाने की स्वीकृति नहीं दी है वे जल्द से जल्द इस काम को करें और उसकी अनुपालन का पत्र नेता प्रतिपक्ष को भी भेजें. कटारिया के इस रिमाइंडर के बाद करीब 1 दर्जन से अधिक भाजपा विधायक ऐसे थे जिन्होंने अपने 1 माह का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करवाया.
ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि अगर भाजपा अनुशासित पार्टी है तो फिर नेता प्रतिपक्ष जो भाजपा विधायक दल के नेता हैं उनके निर्देशों की पालना में ही भाजपा के विधायक लेट लतीफी क्यों करते हैं?राजनीतिक गलियारों में भी अब यही चर्चा का विषय भी बना हुआ है.