जयपुर. कोरोना संकट के बीच प्रदेश में राज्यसभा चुनाव को लेकर सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस विधायकों की दिल्ली रोड स्थित एक रिसोर्ट में बाड़ेबंदी को लेकर भाजपा ने प्रदेश सरकार और कांग्रेस पर तीखा कटाक्ष किया है.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा, अब मुख्यमंत्री की चिंता और आशंकाओं का प्रमाण भी मिल गया और यह भी साबित हो गया कि कांग्रेस का खुद का घर ही सुरक्षित नहीं है. तो वहीं प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राज्यसभा चुनाव के 9 दिन पहले कांग्रेसी विधायकों की बाड़ेबंदी के साथ ही प्रदेश में कांग्रेस का 'ग्रेट पॉलिटिकल ड्रामा' भी शुरू हो गया है.
पढ़ें- राज्यसभा चुनावों को लेकर बढ़ गई गहलोत की धड़कन, अब अपने ही विधायकों की कर रहे बाड़ेबंदी
मुख्यमंत्री की चिंता का मिला प्रमाणः पूनिया
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कांग्रेसी विधायकों की बाड़ेबंदी पर कहा कि कुछ दिनों पहले आए मुख्यमंत्री के बयानों से लगता था वो चिंतित भी हैं और आशंकित भी हैं, लेकिन आज उनकी आशंका का प्रमाण भी मिल गया. पूनिया ने कहा कि यदि प्रदेश सरकार आज पूरी तरीके से सुरक्षित है और उसमें अंतर्कलह और खतरा नहीं है तो चुनाव से 9 दिन पहले ही बाड़ेबंदी क्यों कर रहे हैं.
पूनिया ने कहा कि आज प्रत्यक्ष को प्रमाण मिल गया और इस बात से साबित हो गया कि सरकार अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही है. भले ही वो बीजेपी पर आरोप लगाए लेकिन उनका खुद का घर सुरक्षित नहीं है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है इसलिए इस तरीके की नौबत आज कांग्रेस पार्टी में आ गई है.
कांग्रेस का ग्रेट पॉलीटिकल ड्रामा शुरू हुआः राठौड़
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राज्यसभा चुनाव के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब 9 दिन पहले विधायकों की बाड़ेबंदी हुई हो. उन्होंने कहा कि ये इस बात को दर्शाती है कि कांग्रेस के भीतर आंतरिक विरोध चरम पर है और कांग्रेस नेतृत्व के प्रति कांग्रेस विधायक दल का विद्रोह भी सामने आ रहा है.
राठौड़ ने कहा कि प्रदेश सरकार कुछ कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों को प्रलोभन देकर विद्रोह शांत करना चाह रही है. बुधवार को हुए इस सियासी घटनाक्रम को लेकर प्रतिपक्ष नेता ने कहा कि कांग्रेस की सरकार और विधायक दल भी गुटों में बटा है, जबकि भाजपा एक सिद्धांत से जुड़ी हुई पार्टी है. राठौड़ के अनुसार भाजपा विधायक जल्द ही अपनी रणनीति बनाएंगे, लेकिन मैं इतना कह सकता हूं कि आपस के अंतर्द्वंद से घिरी कांग्रेस की सरकार अपने ही भार से कब टूट जाए इसका पता नहीं.