जयपुर. धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होने के बाद राजस्थान से लगी हुई पाकिस्तान सीमा को पार कर यहां प्रवेश कर चुके विस्थापितों को नागरिकता देकर उनकी समस्याओं के समाधान में विफल रहने का राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री डाॅ. अलका गुर्जर ने कहा कि गहलोत सरकार की अमानवीयता की ये पराकाष्ठा है. गुर्जर ने कहा कि मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलने के कारण ऐसे लोगों ने मजबूरीवश पाकिस्तान की ओर पलायन शुरू कर दिया है. लेकिन आपसी मल्लयुद्ध में व्यस्त इस स्वार्थी सरकार के रहनुमाओं के माथे पर कोई शिकन तक नहीं है.
गुर्जर ने एक बयान जारी कर कहा कि मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 लाकर पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में वर्षों से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हो रहे लोगों के दिलों में न्याय मिलने की उम्मीद जगाई, लेकिन जनहित से परे स्वहित को प्राथमिकता देने की स्वार्थी कांग्रेसी मानसिकता से बंधी हुई राजस्थान सरकार ने अभी तक नये सीएए कानून से सम्बन्धित नियम नहीं बनाए हैं.
उन्होंने कहा कि अपना सब कुछ गंवा कर धार्मिक उत्पीड़न के कारण पाकिस्तान से सीमा पार कर राजस्थान आए इन लोगों को केंद्र की इच्छा के बाद भी नागरिकता का लाभ नहीं मिल पा रहा है और अब मजबूर होकर वो पुनः दोजख की आग में जलने के लिए वापस पाकिस्तान जा रहे हैं. लेकिन इस गहलोत सरकार के रहनुमा मोदी सरकार द्वारा मानवीयता और इंसानियत के लिए लाए गए नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को भी लागू नहीं करवा रहे हैं.
गुर्जर ने कहा कि देश के विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार होते रहे हैं और जब मजबूर, पीड़ित, प्रताड़ित लोगों की सहनशक्ति जवाब देने लगी तो उन्होंने अपनी इज्जत-आबरू और परिवार बचाने के लिए सीमा पार कर भारत में लौटना शुरू किया था और यही क्रम चल रहा है. गुर्जर ने कहा कि मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग 968 से ज्यादा लोग निराश होकर पुनः पाकिस्तान जा चुके हैं और उनको धर्म परिवर्तन कर जबरन मुस्लिम बनाए जाने की बात भी सामने आई है.
भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री को आगाह करना चाहती हूं कि पूरे राजस्थान में इस वक्त 5 लाख के करीब ऐसे शरणार्थी हैं जो धार्मिक उत्पीड़न से मिली प्रताड़ना सहन नहीं कर पाने के कारण अपना सब कुछ छोड़कर पाकिस्तान से भारत आए हैं. यदि आप नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को अब पूर्ण रूप से लागू नहीं करेंगे तो मजबूर होकर उन्हें पाकिस्तान वापस जाना होगा, जहां जबरन धर्म परिवर्तन के अलावा कोई चारा नहीं है. उन्होंने कहा कि समय रहते यदि इन धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हुए लोगों को पानी, बिजली और छत नहीं मिली तो मजबूर होकर भी सभी के सभी पाकिस्तान जा सकते हैं.