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गहलोत सरकार बचे या जाए लेकिन बीजेपी को तो मजा ही आएगा, जाने क्यों...

राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान में बीजेपी ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो मौजूदा परिस्थितियों में खुद को सुरक्षित महसूस कर रही है. इस सियासी उठापटक में भाजपा को कुछ भी नुकसान होने वाला नहीं है, लेकिन भाजपा को सियासी फायदे के कई अवसर मिलने तय हैं.

Rajasthan political crisis, Rajasthan BJP News
राजस्थान भाजपा
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Published : Jul 28, 2020, 6:37 PM IST

जयपुर. प्रदेश में चल रही सियासी संग्राम में भले ही प्रदेश सरकार और कांग्रेस पार्टी परेशान हो, लेकिन भाजपा इस पूरे घटनाक्रम से उत्साहित है. भाजपा इस सियासी नौटंकी को एकाग्रता से देख रही है, ताकि मौका मिले तो उसको भुनाया जा सके. ऐसे भी सियासी संग्राम में भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसको कुछ भी नुकसान होने वाला नहीं है. लेकिन भाजपा को सियासी फायदे के कई अवसर मिलने तय हैं.

बीजेपी को नहीं होगा नुकसान

दरअसल, इस पूरे सियासी संग्राम के प्रमुख रूप से दो ही परिणाम हो सकते हैं, जिसमें पहला सचिन पायलट और उनके गुट के 19 विधायकों की सदस्यता समाप्त हो जाए और जैसे-तैसे प्रदेश की गहलोत सरकार अपना बहुमत साबित कर दें. वहीं, दूसरे परिणाम में हो सकता है कि गहलोत सरकार अपना बहुमत साबित करने में विफल हो जाए, लेकिन दोनों ही परिणामों की उपस्थिति में बीजेपी को कोई नुकसान नहीं होने वाला बल्कि आगामी सियासी फायदे के अवसर ही मिलेंगे.

पढ़ें- गहलोत कैबिनेट की बैठक में नया प्रस्ताव तैयार, 31 जुलाई तक ही विधानसभा सत्र बुलाने की रखी गई मांग

ये हैं प्रदेश के सियासी समीकरण...

प्रदेश विधानसभा में 200 सदस्य हैं, इसमें भाजपा की यदि बात की जाए तो वर्तमान में 72 सदस्य हैं. साथ ही बीजेपी के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के 3 विधायकों के समर्थन के साथ मौजूदा स्थिति में भाजपा और आरएलपी के 75 विधायक हैं. इन 75 विधायकों में फिलहाल सेंधमारी की कोई गुंजाइश नहीं है. ये विधायक एकजुट दिख रहे हैं क्योंकि सेंधमारी की शिकायत कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों में है. वहीं, सचिन पायलट खेमे के 19 विधायकों ने पहले ही बगावत के सुर बुलंद कर रखे हैं.

विधानसभा सत्र आहूत हुआ तो सरकार इस तरह ढूंढेंगी बचाव का रास्ता

फिलहाल, राजस्थान विधानसभा सत्र शुरू नहीं हुआ है, इसकी मांग गहलोत सरकार लगातार कर रही है. यदि सत्र शुरू होता है तो सदन में सरकार अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी करेगी और किसी बिल पर मत विभाजन के जरिए अपना बहुमत भी साबित कर लेगी.

पढ़ें- BJP ने कांग्रेस नेता के खिलाफ पेश किया मानहानि का परिवाद, Twitter पोस्ट को बनाया आधार

कांग्रेस के 107 सदस्यों में से पायलट गुट के 19 सदस्यों को अलग भी कर दे तो 88 सदस्य रह जाते हैं. इसके अलावा 10 निर्दलीय, 2 भारतीय ट्राइबल पार्टी, 1 माकपा और 1 सदस्य राष्ट्रीय लोकदल का मिलाकर कांग्रेस के पास 102 विधायक रहते हैं. इस प्रक्रिया में व्हिप का उल्लंघन करने पर भले ही पायलट के सदस्यों की सदस्यता जाने की पूरी संभावना हो, लेकिन उस स्थिति में भी यदि उप चुनाव होते हैं तो कांग्रेस के पास खोने को बहुत कुछ रहेगा. इस दौरान भाजपा के पास पाने को बहुत कुछ होगा.

उपचुनाव का जो भी परिणाम होगा, उसमें बीजेपी अपने विधायकों की संख्या बढ़ाने का प्रयास करेगी. मतलब मौजूदा सियासी घमासान में बीजेपी ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो मौजूदा परिस्थितियों में खुद को सुरक्षित महसूस कर रही है.

जयपुर. प्रदेश में चल रही सियासी संग्राम में भले ही प्रदेश सरकार और कांग्रेस पार्टी परेशान हो, लेकिन भाजपा इस पूरे घटनाक्रम से उत्साहित है. भाजपा इस सियासी नौटंकी को एकाग्रता से देख रही है, ताकि मौका मिले तो उसको भुनाया जा सके. ऐसे भी सियासी संग्राम में भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसको कुछ भी नुकसान होने वाला नहीं है. लेकिन भाजपा को सियासी फायदे के कई अवसर मिलने तय हैं.

बीजेपी को नहीं होगा नुकसान

दरअसल, इस पूरे सियासी संग्राम के प्रमुख रूप से दो ही परिणाम हो सकते हैं, जिसमें पहला सचिन पायलट और उनके गुट के 19 विधायकों की सदस्यता समाप्त हो जाए और जैसे-तैसे प्रदेश की गहलोत सरकार अपना बहुमत साबित कर दें. वहीं, दूसरे परिणाम में हो सकता है कि गहलोत सरकार अपना बहुमत साबित करने में विफल हो जाए, लेकिन दोनों ही परिणामों की उपस्थिति में बीजेपी को कोई नुकसान नहीं होने वाला बल्कि आगामी सियासी फायदे के अवसर ही मिलेंगे.

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ये हैं प्रदेश के सियासी समीकरण...

प्रदेश विधानसभा में 200 सदस्य हैं, इसमें भाजपा की यदि बात की जाए तो वर्तमान में 72 सदस्य हैं. साथ ही बीजेपी के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के 3 विधायकों के समर्थन के साथ मौजूदा स्थिति में भाजपा और आरएलपी के 75 विधायक हैं. इन 75 विधायकों में फिलहाल सेंधमारी की कोई गुंजाइश नहीं है. ये विधायक एकजुट दिख रहे हैं क्योंकि सेंधमारी की शिकायत कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों में है. वहीं, सचिन पायलट खेमे के 19 विधायकों ने पहले ही बगावत के सुर बुलंद कर रखे हैं.

विधानसभा सत्र आहूत हुआ तो सरकार इस तरह ढूंढेंगी बचाव का रास्ता

फिलहाल, राजस्थान विधानसभा सत्र शुरू नहीं हुआ है, इसकी मांग गहलोत सरकार लगातार कर रही है. यदि सत्र शुरू होता है तो सदन में सरकार अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी करेगी और किसी बिल पर मत विभाजन के जरिए अपना बहुमत भी साबित कर लेगी.

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कांग्रेस के 107 सदस्यों में से पायलट गुट के 19 सदस्यों को अलग भी कर दे तो 88 सदस्य रह जाते हैं. इसके अलावा 10 निर्दलीय, 2 भारतीय ट्राइबल पार्टी, 1 माकपा और 1 सदस्य राष्ट्रीय लोकदल का मिलाकर कांग्रेस के पास 102 विधायक रहते हैं. इस प्रक्रिया में व्हिप का उल्लंघन करने पर भले ही पायलट के सदस्यों की सदस्यता जाने की पूरी संभावना हो, लेकिन उस स्थिति में भी यदि उप चुनाव होते हैं तो कांग्रेस के पास खोने को बहुत कुछ रहेगा. इस दौरान भाजपा के पास पाने को बहुत कुछ होगा.

उपचुनाव का जो भी परिणाम होगा, उसमें बीजेपी अपने विधायकों की संख्या बढ़ाने का प्रयास करेगी. मतलब मौजूदा सियासी घमासान में बीजेपी ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो मौजूदा परिस्थितियों में खुद को सुरक्षित महसूस कर रही है.

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