जयपुर. राज्यसभा चुनाव के लिए भाजपा ने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है. इसमें राजस्थान से पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र गहलोत को प्रत्याशी बनाया गया है, जबकि इसी सूची में कांग्रेस से भाजपा ज्वाइन करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश की सीट पर पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है.
बताया जा रहा है की इस बार भी प्रत्याशी चयन में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की पसंद के बजाय प्रदेश संगठन की राय को तवज्जो दी गई है. राजेंद्र गहलोत जोधपुर जिले से आते हैं, जो प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला है.
पूर्व में सैनी समाज से आने वाले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राज्यसभा सांसद मदन लाल सैनी के निधन के बाद अब मौजूदा चुनाव में सैनी समाज से आने वाले राजेंद्र गहलोत को भाजपा ने प्रत्याशी बनाकर ओबीसी वर्ग को खुश करने का काम किया है.
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बता दें कि 72 वर्षीय राजेंद्र गहलोत की गिनती प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं में होती है, जो संगठन में काफी लंबा अनुभव रखते हैं. साथ ही राजेंद्र गहलोत का लंबा सियासी सफर रहा है. वह पूर्व में भैरों सिंह सरकार में जेल मंत्री भी रह चुके हैं, वहीं जोधपुर के सरदारपुरा से दो बार विधायक रहे है. साथ ही यूआईटी चेयरमैन और एक बार पार्षद भी रहे है.
हाल ही में भाजपा के संगठनात्मक चुनाव में उन्हें राजस्थान के चुनाव अधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. मौजूदा टीम में प्रदेश उपाध्यक्ष की भूमिका निभा रहे थे. राजेंद्र गहलोत पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के नजदीक के नेताओं में शुमार है.
जानकारी के अनुसार भाजपा ने राज्यसभा चुनाव प्रत्याशी के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री सीआर चौधरी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी और वरिष्ठ नेता जसवंत विश्नोई जैसे दिग्गज नामों को पीछे छोड़ते हुए राजेंद्र गहलोत के नाम पर मुहर लगाई गई है. साथ ही माना जा रहा है संभवत 13 मार्च को राजेंद्र गहलोत राज्यसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करेंगे.
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भाजपा ने खेला सेफ गेम, नेताओं के बयानों की निकली हवा-
प्रदेश में राज्यसभा की 3 सीटों पर चुनाव होने हैं, लेकिन भाजपा आलाकमान ने महज एक सीट पर ही प्रत्याशी उतारकर इस चुनाव में सिर्फ गेम खेलने के अपने इरादे जता दिए हैं. विधायकों की संख्या बल के आधार पर राजस्थान की 3 सीटों में से 2 सीटों पर कांग्रेस जबकि 1 सीट पर भाजपा का कब्जा रहेगा.
यही कारण है कि भाजपा ने भी एक ही सीट पर अपना प्रत्याशी उतारा है. जबकि मध्य प्रदेश में हुए सियासी बदलाव के बाद राजस्थान के भी कई नेता यहां भी आने वाले दिनों में अपनी सरकार बनाने के सपने देखते हुए कई दावे कर रहे थे. लेकिन मौजूदा राज्यसभा प्रत्याशी की इस सूची ने इन दावों की हवा निकाल दी है.