जयपुर. सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद राजस्थान में पक्षियों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा. जयपुर में एक दिन में ही 22 पक्षियों की मौत हुई है, जिनमें से 13 कौए, 1 मोर, 6 कबूतर और 2 अन्य पक्षियों की मौत हुई है. जयपुर में अब तक 1,465 पक्षियों की मौत हो चुकी है, जिनमें 1273 कौए, 12 मोर, 90 कबूतर, 4 मुर्गी और 86 अन्य पक्षी शामिल हैं.
राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान और प्रिंसिपल साइंटिस्ट राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भोपाल के अनुसार जिन जिलों के सैंपल पूर्व में एवियन इन्फ्लूएंजा के लिए जांच में पॉजिटिव पाए गए हैं. उन जिलों से आगे और सैंपल भेजे जाने की आवश्यकता नहीं है. अन्य जिलों से आवश्यकतानुसार जांच के लिए मृत पक्षियों के सैंपल भोपाल भेजे जा रहे हैं.
प्रदेश में आज मंगलवार को मौत के आंकड़े...
- जयपुर - 22
- अलवर - 0
- दौसा - 2
- झुंझुनू - 0
- सीकर - 0
- अजमेर - 09
- भीलवाड़ा - 0
- नागौर - 0
- कुचामन सिटी - 02
- टोंक - 0
- भरतपुर - 09
- धौलपुर - 01
- करौली - 0
- सवाई माधोपुर - 0
- बीकानेर - 0
- चुरू - 0
- हनुमानगढ़ - 0
- श्रीगंगानगर - 0
- जोधपुर - 0
- बाड़मेर - 0
- जैसलमेर - 02
- जालोर - 0
- पाली - 0
- सिरोही - 0
- कोटा - 05
- बारां - 03
- बूंदी - 02
- झालावाड़ - 02
- बांसवाड़ा - 0
- चित्तौड़गढ़ - 31 पक्षियों की मौत हुई है.
प्रदेश के सभी चिड़ियाघरों में विशेष निगरानी और सतर्कता बरती जा रही है. मृत पक्षियों के डिस्पोजल और सैंपल कलेक्शन के दौरान पूर्ण सावधानी बरतने के भी निर्देश दिए गए हैं. प्रदेश में 27 जिलों से 272 सैंपल जांच के लिए भोपाल लैब में भेजे जा चुके हैं. 26 जनवरी को प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 17 जिलों में 67 नमूने पॉजिटिव पाए गए हैं. राजस्थान में करीब 17 जिले बर्ड फ्लू से प्रभावित हुए हैं. पशुपालन विभाग वन विभाग और स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ाई गई है. वहीं, पोल्ट्री फार्म पर विशेष निगरानी रखी जा रही है.
विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश...
सबसे पहले झालावाड़ में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी. 25 दिसंबर 2020 को पहली बार झालावाड़ में कौए के मरने की सूचना मिली थी. जिसके बाद 27 दिसंबर 2020 को मौत के कारणों की जांच के लिए सैंपल भोपाल भेजे गए, जहां बर्ड फ्लू होने की पुष्टि हुई. इसके बाद लगातार प्रदेश में कौओं के मरने के मामले सामने आ रहे हैं. जयपुर चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद वन विभाग ने विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं, साथ ही चिड़ियाघर में हाइपोक्लोराइट सोडियम का छिड़काव भी किया जा रहा है. वन कर्मियों को भी पीपीई किट पहनकर पक्षियों की देखरेख करने के लिए निर्देशित किया गया है.