जयपुर. स्वच्छ भारत मिशन के तहत जयपुर में देश में अपने तरह का पहला बायो सीएनजी गैस प्लांट बनाया गया है, जिसके जरिए गोबर से बड़े पैमाने पर सीएनजी गैस बनाई जाएगी. राजधानी की सबसे बड़ी हिंगोनिया गोशाला में 2 साल पहले शुरू हुआ ये प्रोजेक्ट बनकर तैयार हो चुका है. ऐसा पहली बार है कि किसी गोशाला में इस तरह के प्लांट लगाया गया है. यहां 100 मीट्रिक टन गोबर से 6 मीट्रिक टन तक सीएनजी गैस तैयार किया जा सकेगा. जिससे न सिर्फ गोबर का सही उपयोग हो सकेगा, बल्कि गोशाला को आर्थिक मजबूती भी मिलेगी.
इस प्लांट से जो सीएनजी बनेगा, उसका निर्यात कर प्राप्त आमदनी को प्लांट के ऑपरेशनल (Jaipur gas plant will convert CNG from Cow dung) मैनेजमेंट में लगाया जाएगा. बची हुई राशि को गौशाला के विकास पर खर्च किया जाएगा. आईओसीएल की ओर से इस प्लांट पर करीब 32 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. यहां 1 लाख किलो गोबर से प्रतिदिन 6 हजार किलो गैस बन सकेगा. प्लांट के बारे में जानकारी देते हुए हिंगोनिया गोशाला प्रबंधक प्रेम आनंद ने बताया कि गोबर से तैयार जो सीएनजी बाहर बेची जाएगी, उससे शहर में वाहनों का संचालन हो सकेगा. इससे गोशाला को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगा.
प्रोसेस के बाद जो गोबर बचेगा, उसका उपयोग खाद के तौर पर पेड़ पौधों और खेती में किया जाएगा. उन्होंने बताया कि (Bio CNG gas plant project in Jaipur) ये प्लांट पूरे देश में अपनी तरह का पहला प्लांट है, जो पूरी तरह से स्वचालित है. आइओसीएल ने गोबर से सीएनजी गैस बनाने के लिए कुछ नए बैक्टीरिया कल्चर विकसित किए हैं. जिसकी वजह से जो गैस मिलने वाली है, उसकी ग्रेड और क्वांटिटी पारंपरिक गैस प्लांट से ज्यादा होगा.
ये रहेगी प्रक्रिया : शुरुआत में मिक्सिंग पिट में गोबर डाला जालकर 1:1 अनुपात में गोबर और पानी को मिलाया जाता है, फिर इस सॉल्यूशन को प्री डाइजेस्टर टैंक में डाला जाता है. यहां बैक्टीरिया के जरिए गोबर से गैस बनने की प्रक्रिया शुरू होती है. अगले स्टेप में प्लांट में मौजूद एसएलएस शेड के जरिए सॉलिड और लिक्विड को अलग-अलग कर लिया जाता है. प्लांट से खाद को एसएलएस शेड से ही प्राप्त कर, लिक्विड फॉर्म मेन डाइजेस्टर टैंक में डाल दिया जाता है, जहां गैस तैयार होगी. उसके बाद बैलेंस गैस दो बड़े गैस होल्डिंग टैंक में स्टोर किया जाता है. आखिर में प्यूरीफिकेशन शेड में रॉ गैस को फिल्टर कर गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाली सीएनजी गैस लेवल तक प्यूरीफाई किया जाता है. यहां से सिलेंडर में गैस को भरकर बाहर वितरित किया जाता है.
2020 में हुई थी शुरुआत : अभी नगर निगम गोशाला प्रशासन को प्रति गाय 47 रुपए और बछड़े के 35 रुपए देता है लेकिन वर्तमान में दोनों नगर निगम पर गोशाला प्रशासन का करीब पांच करोड़ रुपए बकाया चल रहा है. इस सीएनजी गैस के उत्पादन से हिंगोनिया गोशाला का तंत्र आत्मनिर्भर बन सकेगा. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2020 में हुई थी, लेकिन कोरोना की वजह से चालू नहीं हो पाया. हालांकि, अब जल्द इसे चालू करने का दावा किया जा रहा है.