जयपुर. राजधानी जयपुर के वैशाली नगर थाना इलाके में 5 अगस्त को एक नामी मोबाइल कंपनी (branded mobile company) के शोरूम (showroom) से करोड़ों रुपए के मोबाइल चोरी (android mobile theft) हो गए. यह वारदात जयपुर पुलिस (jaipur police) के लिए बड़ा सिरदर्द बन गई.
वारदात को सुलझाने के लिए कमिश्नरेट स्पेशल टीम (commissionerate special team) और डिस्ट्रिक्ट स्पेशल टीम वेस्ट के 100 से भी अधिक पुलिसकर्मी पसीना बहा रहे हैं. लेकिन अब तक पुलिस इस पूरे प्रकरण में सिर्फ इतना पता लगा सकी कि मोबाइल घोड़ासन गैंग के बदमाशों ने चुराए हैं. इसके अलावा पुलिस न तो अब तक बदमाशों तक पहुंच सकी है, न ही चोरी हुए 1 करोड़ 20 लाख रुपए के मोबाइल फोन और 8 लाख की नकदी को बरामद किया जा सका है. महाचोरी की इस वारदात को 1 महीना हो चुका है, लेकिन बदमाश अभी पुलिस गिरफ्त से दूर हैं.
वैशाली नगर में गोविंद नगर मोड़ स्थित वनप्लस मोबाइल शोरूम (oneplus mobile showroom) में यह चोरी की वारदात 5 अगस्त को हुई थी. अब तक क्या सफलता मिली, इस सवाल पर जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के आला अधिकारी भी चुप्पी साधे हुए हैं. डीसीपी वेस्ट रिचा तोमर (DCP West Richa Tomar) से वारदात के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि पुलिस अनुसंधान जारी है. उन्होंने यह भी कहा कि चोरी हुए कुछ मोबाइल चालू हुए हैं, उनके टेक्निकल इनपुट (technical input) के आधार पर पुलिस अपराधियों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है.
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क्या बला है घोड़ासन गैंग
इस गैंग में शामिल सभी बदमाश बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासन कस्बे के निवासी हैं. करीब 10 गांव के लोग इस गैंग के सक्रिय सदस्य हैं. ये बदमाश अलग-अलग राज्यों में जाकर नामी मोबाइल कंपनियों के शोरूम को निशाना बनाते हैं. जिस शहर में वारदात को अंजाम देना होता है, वहां ये बदमाश अलग-अलग साधनों से पहुंचते हैं. कई दिनों तक रेकी करने के बाद चोरी की वारदात को अंजाम देते हैं.
चोरी का माल नेपाल के एजेंट के हवाले
भारत में चोरी की वारदात के बाद चुराया गया सारा सामान नेपाल ले जाकर वहां के एजेंट को बेच दिया जाता है. उससे जो राशि मिलती है, उसे गैंग के सदस्य आपस में बांट लेते हैं. इस गैंग के बदमाश राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्यों में अनेक बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुके हैं. जब भी किसी दूसरे राज्य की पुलिस बदमाशों को गिरफ्तार करने के लिए घोड़ासन गांव (Ghodasan Village) पहुंचती है तो गांव के लोग बदमाशों के बचाव में पुलिस टीम पर पथराव करते हैं और बदमाशों को वहां से भगा देते हैं.
घोड़ासन गैंग का वारदात का तरीका
सबसे पहले शहर और शोरूम चिह्नित कर लिया जाता है. वारदात का समय और तारीख तक तय कर ली जाती है. वारदात को अंजाम लेने के लिए बदमाशों की टीम एक साथ न पहुंचकर अलग-अलग साधनों से पहुंचती है. वारदात वाले शहर में सारी टीम किसी एक प्वाइंट पर मिलती है. वारदात के दौरान गैंग के सदस्य मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते. 7 से 8 बदमाश अल सुबह 3 से 4 बजे के बीच में वारदात को अंजाम देते हैं. गैंग में एक सदस्य ऐसा होता है जो बहुत पतला और लचीली कद-काठी का होता है. एक चादर की ओट में कुछ बदमाश शोरूम के शटर को उठाते हैं और पतला बदमाश नीचे से शोरूम में दाखिल हो जाता है.
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इस तरीके में ताले नहीं तोड़े जाते, बल्कि बीचों बीच से शटर को कुछ इंच उठा दिया जाता है. अंदर जाने वाला बदमाश सभी सीसीटीवी को तोड़ देता है और डीवीआर निकाल देता है. इसके बाद शोरूम के सभी महंगे मोबाइल शटर के नीचे से बाहर सप्लाई कर देता है. बाहर जुटे बदमाश मोबाइलों को बैग में भरते हैं. काम होने के बाद पतले सदस्य को शटर ऊंचा कर बाहर निकाल लिया जाता है. इस दौरान तनी हुई चादर छुपने के काम आती है. काम हो जाने के बाद चादर समेटकर सभी सदस्य फरार हो जाते हैं.
जयपुर से चोरी मोबाइल नेपाल में हो रहे ऑपरेट
जयपुर के शोरूम से चुराए गए मोबाइल नेपाल में ऑपरेट होना शुरू हो गए हैं. पुलिस चाह कर भी उन मोबाइल फोन को रिकवर नहीं कर सकती. न ही नेपाल जाकर किसी तरह की कार्रवाई को अंजाम दे सकती है. ऐसे प्रकरणों में पुलिस चोरी और नकबजनी की वारदात को अंजाम देने वाली घोड़ासन गैंग के बदमाशों को गिरफ्तार करके ही संतुष्ट हो जाती है. गैंग के सदस्य केवल महंगी और ब्रांडेड मोबाइल कंपनी के शोरूमों को ही निशाना बनाते हैं. वे सिर्फ महंगे हैंडसेट ही चुराते हैं.