जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को बड़ा निर्णय देते हुए कहा कि जो व्यक्ति पहले से ही पुलिस अभिरक्षा या जेल में है, वह किसी अन्य मामले में अग्रिम जमानत याचिका पेश नहीं कर सकता. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश धोखाधड़ी से जुड़े मामले में सुनील कालानी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए दिए.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि सीआरपीसी की धारा 438 के तहत गिरफ्तारी की आशंका में अग्रिम जमानत पेश करने का अधिकार होता है. लेकिन जब आरोपी पहले से ही जेल या पुलिस अभिरक्षा में है तो उसे गिरफ्तारी की आशंका ही नहीं होती है.
अग्रिम जमानत अर्जी में कहा गया कि यदि आरोपी पहले से ही जेल मेंं बंद है तो भी वह दूसरे समान मामले में अग्रिम जमानत याचिका पेश कर सकता है. जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील शेरसिंह महला ने कहा कि पहले से गिरफ्तार आरोपी अपने खिलाफ दर्ज अन्य मामले में अग्रिम जमानत याचिका पेश नहीं कर सकता.
ऐसे मामलों में पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करने के बजाए प्रोडक्शन वारंट पर लेती है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने हर अग्रिम जमानत याचिका में यह फुटनोट डालने को कहा है कि संबंधित आरोपी किसी अन्य मामले में पुलिस अभिरक्षा या जेल में बंद नहीं है.