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भारतीय किसान संघ ने भरी हुंकार...मांगें नहीं मानी तो 21 जुलाई से प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी

भारतीय किसान संघ ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. संघ ने 21 मांगें रखी हैं अगर वो नहीं मानी गईं तो 21 जुलाई से प्रदेश भर में प्रदर्शन किए जाएंगे. किसान संघ का आरोप है कि सरकार को बार-बार ज्ञापन देने के बाद भी किसानों की मांगें नहीं मानी जा रही हैं.

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Published : Jul 16, 2020, 4:49 PM IST

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भारतीय किसान संघ ने दी 21 जुलाई से प्रदेशव्यापी प्रदर्शन की चेतावनी

जयपुर. भारतीय किसान संघ आंदोलन की राह पर है. किसान संघ का आरोप है कि सरकार की तरफ से किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. भारतीय किसान संघ ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो 21 जुलाई से सभी तहसील और जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया जाएगा. जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी. अगर इस दौरान कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.

प्रदर्शन की चेतावनी

बिजली का अनुदान बंद करने, उपज का सही दाम नहीं मिलने, टिड्डियों के हमले आदि से किसान परेशान हैं, इसके बावजूद भी सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही. वैशाली नगर स्थित भारतीय किसान संघ के कार्यालय में एक प्रेस वार्ता कर पदाधिकारियों ने यह जानकारी दी. भारतीय किसान संघ के सांवरमल ने बताया कि काफी समय से किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है. ब्लॉक, तहसील और जिला मुख्यालय के स्तर पर 1100 ज्ञापन देने के बावजूद भी सरकार किसानों की सुनवाई नहीं कर रही. इसलिए मजबूर होकर किसान आंदोलन करने को मजबूर है.

पढ़ें: शिक्षक भवन में किसान सभा की जिला कार्यकारिणी की बैठक

उन्होंने कहा कि प्रदेश में खरीफ सीजन से ही फसल कटाई के समय ओलावृष्टि, टिड्डी हमला, रबी सीजन में ओलावृष्टि, पाला गिरने, टिड्डी हमलों से किसानों की फसल खराब हो गई है. जिसके चलते किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा. सांवरमल ने बताया कि राज्य सरकार की लापरवाही के कारण खरीफ सीजन 2019 में समर्थन मूल्य पर मूंग की मात्रा 10% व मूंगफली की 15% खरीद हो पाई थी.

इसी दौरान ब्याज मुक्त सहकारी ऋण में सरकार ने 50% से अधिक कटौती कर ओवरड्यूज और नेशनल शेयरधारकों के ऋण रोककर विभिन्न शर्ते लगाकर ऋण बंद कर दिया. इसके कारण किसान साहूकारों से ऊंची ब्याज दर पर लेने को मजबूर हुए. किसानों के विद्युत बिलों में दिए जाने वाला 833 रुपए का अनुदान भी अक्टूबर से बंद कर दिया गया, जिससे प्रदेश के किसानों पर आर्थिक भार बढ़ गया.

पढ़ें: टिड्डियों ने बढ़ाई किसानों की चिंता, नहीं मिल रही प्रशासन से कोई मदद

सांवरमल ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण सप्लाई चेन टूटने से फसल नहीं बिकने के कारण रबी सीजन की जीरा, धनिया, गेहूं, चना, प्याज, लहसुन की कीमतों में भारी गिरावट और समर्थन मूल्य पर औपचारिक खरीद ने किसानों की हालत खराब कर दी. उन्होंने कहा कि 1100 बार ज्ञापन देने के बावजूद भी सरकार कुंभकरण की नींद में है और किसानों की मांगों को तवज्जो नहीं दी जा रही है.

भारतीय किसान संघ ने मांग है कि कोरोना काल में किसानों को भारी नुकसान हुआ है, इसलिए किसानों के 6 महीने के बिजली के बिल माफ किए जाएं. अगर मांगे नहीं मानी जाती हैं तो 21 जुलाई से सभी जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा और यदि कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी. बिजली के बिल माफ करने, बिजली बिलों के 833 रुपये का अनुदान देने सहित भारतीय किसान संघ ने 21 मांगे रखी हैं.

जयपुर. भारतीय किसान संघ आंदोलन की राह पर है. किसान संघ का आरोप है कि सरकार की तरफ से किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. भारतीय किसान संघ ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो 21 जुलाई से सभी तहसील और जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया जाएगा. जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी. अगर इस दौरान कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.

प्रदर्शन की चेतावनी

बिजली का अनुदान बंद करने, उपज का सही दाम नहीं मिलने, टिड्डियों के हमले आदि से किसान परेशान हैं, इसके बावजूद भी सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही. वैशाली नगर स्थित भारतीय किसान संघ के कार्यालय में एक प्रेस वार्ता कर पदाधिकारियों ने यह जानकारी दी. भारतीय किसान संघ के सांवरमल ने बताया कि काफी समय से किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है. ब्लॉक, तहसील और जिला मुख्यालय के स्तर पर 1100 ज्ञापन देने के बावजूद भी सरकार किसानों की सुनवाई नहीं कर रही. इसलिए मजबूर होकर किसान आंदोलन करने को मजबूर है.

पढ़ें: शिक्षक भवन में किसान सभा की जिला कार्यकारिणी की बैठक

उन्होंने कहा कि प्रदेश में खरीफ सीजन से ही फसल कटाई के समय ओलावृष्टि, टिड्डी हमला, रबी सीजन में ओलावृष्टि, पाला गिरने, टिड्डी हमलों से किसानों की फसल खराब हो गई है. जिसके चलते किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा. सांवरमल ने बताया कि राज्य सरकार की लापरवाही के कारण खरीफ सीजन 2019 में समर्थन मूल्य पर मूंग की मात्रा 10% व मूंगफली की 15% खरीद हो पाई थी.

इसी दौरान ब्याज मुक्त सहकारी ऋण में सरकार ने 50% से अधिक कटौती कर ओवरड्यूज और नेशनल शेयरधारकों के ऋण रोककर विभिन्न शर्ते लगाकर ऋण बंद कर दिया. इसके कारण किसान साहूकारों से ऊंची ब्याज दर पर लेने को मजबूर हुए. किसानों के विद्युत बिलों में दिए जाने वाला 833 रुपए का अनुदान भी अक्टूबर से बंद कर दिया गया, जिससे प्रदेश के किसानों पर आर्थिक भार बढ़ गया.

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सांवरमल ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण सप्लाई चेन टूटने से फसल नहीं बिकने के कारण रबी सीजन की जीरा, धनिया, गेहूं, चना, प्याज, लहसुन की कीमतों में भारी गिरावट और समर्थन मूल्य पर औपचारिक खरीद ने किसानों की हालत खराब कर दी. उन्होंने कहा कि 1100 बार ज्ञापन देने के बावजूद भी सरकार कुंभकरण की नींद में है और किसानों की मांगों को तवज्जो नहीं दी जा रही है.

भारतीय किसान संघ ने मांग है कि कोरोना काल में किसानों को भारी नुकसान हुआ है, इसलिए किसानों के 6 महीने के बिजली के बिल माफ किए जाएं. अगर मांगे नहीं मानी जाती हैं तो 21 जुलाई से सभी जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा और यदि कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी. बिजली के बिल माफ करने, बिजली बिलों के 833 रुपये का अनुदान देने सहित भारतीय किसान संघ ने 21 मांगे रखी हैं.

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