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Exclusive: भंवरी देवी के केस से अस्तित्व में आई विशाखा गाइडलाइन, लेकिन न्याय की उम्मीद आज भी अधूरी

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Published : Jan 1, 2020, 8:06 PM IST

राजस्थान की भंवरी देवी के सामूहिक दुष्कर्म मामले के बाद विशाखा गाइडलाइन अस्तित्व में आई. उसके बाद महिलाओं को 'सेक्सुअल हरासमेंट ऑफ वूमेन एट वर्कप्लेस एक्ट' मिला. लेकिन 26 साल बाद भी न्याय के लिए भंवरी देवी का संघर्ष जारी है.

Bhanwari Devi rape case, भंवरी देवी सामूहिक दुष्कर्म, भंवरी को न्याय का इंतजार
26 साल बाद भी नहीं मिला इंसाफ

जयपुर. महिलाओं को अपने कार्य क्षेत्र में होने वाले यौन उत्पीड़न के खिलाफ देश में विशाखा गाइडलाइन बनी. विशाखा गाइडलाइन को आधार मानते हुए साल 2013 में 'सेक्सुअल हरासमेंट ऑफ वूमेन एट वर्कप्लेस एक्ट' अस्तित्व में आया. विशाखा गाइडलाइन राजस्थान की भंवरी देवी के संघर्षों के फलस्वरुप हुआ.

दरअसल जयपुर के पास भतेरी गांव में रहने वाली सोशल वर्कर भंवरी देवी इस मामले के केंद्र में रहीं. साल 1991 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत के समय बाल विवाह रोकने के लिए जो अभियान चलाया था. उस अभियान में भंवरी देवी भी साथिन के रूप में काम करती थीं. एक बाल विवाह रोकने की कोशिश के दौरान उनकी बड़ी जाति के कुछ लोगों से दुश्मनी हो गई. जिसके बाद अगड़ी जाति के लोगों ने उनके साथ सामुहिक दुष्कर्म किया.

26 साल बाद भी नहीं मिला इंसाफ

इसमें कुछ ऐसे लोग भी थे, जो बड़े पदों पर रहे. न्याय पाने के लिए भंवरी देवी ने इन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. लेकिन सेशन कोर्ट ने उन्हें रिहा करने के लिए कई ऐसे तर्क दिए, जो चौंकाने वाले थे. कोर्ट ने कहा, कि गांव का मुखिया दुष्कर्म नहीं कर सकता. अलग-अलग जाति के पुरुष सामुहिक दुष्कर्म में शामिल नहीं हो सकते. एक पुरुष किसी रिश्तेदार के सामने दुष्कर्म नहीं कर सकता.

पुलिस-प्रशासन के रवैए के खिलाफ भंवरी देवी के साथ ही कई महिला संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. 13 अगस्त 1997 को सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा गाइडलाइन जारी की. इस गाइडलाइन के मुताबिक महिला को मर्जी के खिलाफ छूना, अश्लील कमेंट करना और अश्लील फिल्म या चित्र दिखाना जैसी बातें यौन हिंसा के दायरे में आती हैं. साल 2013 तक दफ्तरों में विशाखा गाइडलाइन के आधार पर ही मामलों को देखा जाता रहा.

उसके बाद साल 2013 में सेक्सुअल हरासमेंट ऑफ वूमेन एट वर्कप्लेस एक्ट आया. जिसमें विशाखा गाइडलाइन के मुताबिक ही कार्यस्थल में महिलाओं के अधिकार को सुनिश्चित करने की बात कही गई.

ये पढ़ेंः 15 RAS बनेंगे IAS, नए साल में मिलेगा पदोन्नति का तोहफा

26 साल बाद भी नहीं मिला न्याय

आज 26 साल बीत जाने के बावजूद भी भंवरी देवी को न्याय नहीं मिल सका है. उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म के 5 आरोपियों में से 4 आरोपियों की मौत हो चुकी है. एक आरोपी और है जिस पर भंवरी देवी आज भी परेशान करने के आरोप लगाती है.

हालांकि भंवरी साथ में यह भी कहती है, कि उन्हीं के संघर्ष का परिणाम था, कि आज महिलाओं के लिए इतना कड़ा कानून बना. लेकिन भंवरी देवी ने यह दुख भी जताया, कि उनके केस में इतना लंबा समय लगा और अब तक उन्हें न्याय नहीं मिला है. उनका आरोप है, कि आज भी पांच में से एक आरोपी जो जीवित है. वह अब भी उन्हें परेशान करता है.

ये पढ़ेंः अशोक गहलोत की जिम्मेदारी गांधी परिवार नहीं, राजस्थान की जनता है : भाजपा महिला सांसद कमेटी

दुष्कर्म के मामलों में जल्द सजा की मांग

उनकी मांग है, कि दुष्कर्म के मामलों में कोर्ट के जरिए आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले. ना कि हैदराबाद की तरह पुलिस उन्हें सजा दे. कोर्ट सभी केसों को जल्द से जल्द निपटाए.

सामाजिक बहिष्कार झेल रही भंवरी

बीसलपुर लाइन गांव में पहुंच गई है, लेकिन भंवरी देवी को पानी का कनेक्शन नहीं दिया जा रहा है. गांव में होने वाले शादी विवाह समारोह में उनका बहिष्कार किया जाता है. भंवरी देवी का ये भी कहना है, कि वह जबतक जीवित हैं, तबतक अपनी लड़ाई भी जारी रखेंगी.

जयपुर. महिलाओं को अपने कार्य क्षेत्र में होने वाले यौन उत्पीड़न के खिलाफ देश में विशाखा गाइडलाइन बनी. विशाखा गाइडलाइन को आधार मानते हुए साल 2013 में 'सेक्सुअल हरासमेंट ऑफ वूमेन एट वर्कप्लेस एक्ट' अस्तित्व में आया. विशाखा गाइडलाइन राजस्थान की भंवरी देवी के संघर्षों के फलस्वरुप हुआ.

दरअसल जयपुर के पास भतेरी गांव में रहने वाली सोशल वर्कर भंवरी देवी इस मामले के केंद्र में रहीं. साल 1991 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत के समय बाल विवाह रोकने के लिए जो अभियान चलाया था. उस अभियान में भंवरी देवी भी साथिन के रूप में काम करती थीं. एक बाल विवाह रोकने की कोशिश के दौरान उनकी बड़ी जाति के कुछ लोगों से दुश्मनी हो गई. जिसके बाद अगड़ी जाति के लोगों ने उनके साथ सामुहिक दुष्कर्म किया.

26 साल बाद भी नहीं मिला इंसाफ

इसमें कुछ ऐसे लोग भी थे, जो बड़े पदों पर रहे. न्याय पाने के लिए भंवरी देवी ने इन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. लेकिन सेशन कोर्ट ने उन्हें रिहा करने के लिए कई ऐसे तर्क दिए, जो चौंकाने वाले थे. कोर्ट ने कहा, कि गांव का मुखिया दुष्कर्म नहीं कर सकता. अलग-अलग जाति के पुरुष सामुहिक दुष्कर्म में शामिल नहीं हो सकते. एक पुरुष किसी रिश्तेदार के सामने दुष्कर्म नहीं कर सकता.

पुलिस-प्रशासन के रवैए के खिलाफ भंवरी देवी के साथ ही कई महिला संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. 13 अगस्त 1997 को सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा गाइडलाइन जारी की. इस गाइडलाइन के मुताबिक महिला को मर्जी के खिलाफ छूना, अश्लील कमेंट करना और अश्लील फिल्म या चित्र दिखाना जैसी बातें यौन हिंसा के दायरे में आती हैं. साल 2013 तक दफ्तरों में विशाखा गाइडलाइन के आधार पर ही मामलों को देखा जाता रहा.

उसके बाद साल 2013 में सेक्सुअल हरासमेंट ऑफ वूमेन एट वर्कप्लेस एक्ट आया. जिसमें विशाखा गाइडलाइन के मुताबिक ही कार्यस्थल में महिलाओं के अधिकार को सुनिश्चित करने की बात कही गई.

ये पढ़ेंः 15 RAS बनेंगे IAS, नए साल में मिलेगा पदोन्नति का तोहफा

26 साल बाद भी नहीं मिला न्याय

आज 26 साल बीत जाने के बावजूद भी भंवरी देवी को न्याय नहीं मिल सका है. उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म के 5 आरोपियों में से 4 आरोपियों की मौत हो चुकी है. एक आरोपी और है जिस पर भंवरी देवी आज भी परेशान करने के आरोप लगाती है.

हालांकि भंवरी साथ में यह भी कहती है, कि उन्हीं के संघर्ष का परिणाम था, कि आज महिलाओं के लिए इतना कड़ा कानून बना. लेकिन भंवरी देवी ने यह दुख भी जताया, कि उनके केस में इतना लंबा समय लगा और अब तक उन्हें न्याय नहीं मिला है. उनका आरोप है, कि आज भी पांच में से एक आरोपी जो जीवित है. वह अब भी उन्हें परेशान करता है.

ये पढ़ेंः अशोक गहलोत की जिम्मेदारी गांधी परिवार नहीं, राजस्थान की जनता है : भाजपा महिला सांसद कमेटी

दुष्कर्म के मामलों में जल्द सजा की मांग

उनकी मांग है, कि दुष्कर्म के मामलों में कोर्ट के जरिए आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले. ना कि हैदराबाद की तरह पुलिस उन्हें सजा दे. कोर्ट सभी केसों को जल्द से जल्द निपटाए.

सामाजिक बहिष्कार झेल रही भंवरी

बीसलपुर लाइन गांव में पहुंच गई है, लेकिन भंवरी देवी को पानी का कनेक्शन नहीं दिया जा रहा है. गांव में होने वाले शादी विवाह समारोह में उनका बहिष्कार किया जाता है. भंवरी देवी का ये भी कहना है, कि वह जबतक जीवित हैं, तबतक अपनी लड़ाई भी जारी रखेंगी.

Intro:स्पेशल स्टोरी

राजस्थान की जिस भंवरी देवी के सामूहिक दुष्कर्म के मामले के बाद अस्तित्व में आई विशाखा गाइडलाइन और जिस विशाखा गाइडलाइन से महिलाओं को मिला सेक्सुअल हैरेसमेंट ऑफ वूमेन अट वर्कप्लेस एक्ट आज 26 साल बाद भी वह भंवरी देवी है न्याय की तलाश में लेकिन अब भी भंवरी का संघर्ष जारी


Body:महिलाओं को अपने कार्य क्षेत्र में होने वाले यौन उत्पीड़न के खिलाफ देश में जो विशाखा गाइडलाइन बनी और जिस विशाखा गाइडलाइन को आधार मानते हुए साल 2013 में सेक्सुअल हरासमेंट ऑफ वूमेन अट वर्कप्लेस एक्ट अस्तित्व में आया वह विशाखा गाइडलाइन राजस्थान की भंवरी देवी के संघर्षों के फल स्वरुप हुआ दरअसल जयपुर के पास भतेरी गांव में रहने वाली सोशल वर्कर भंवरी देवी इस मामले के केंद्र में रही जो साल 1991 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत के बाल विवाह रोकने के लिए जो अभियान चलाया था उस अभियान में भंवरी देवी भी साथिन के रूप में काम करती थी और एक बाल विवाह रोकने की कोशिश के दौरान उनकी बड़ी जाति के कुछ लोगों से दुश्मनी हो गई जिसके बाद अगड़ी जाति के लोगों ने उनके साथ गैंगरेप किया इसमें कुछ ऐसे लोग भी थे जो बड़े पदों पर रहे न्याय पाने के लिए भंवरी देवी ने इन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया लेकिन सेशन कोर्ट ने उन्हें रिहा करने के लिए कई ऐसे तर्क दिए जो चौंकाने वाले थे कोर्ट ने कहा कि गांव का मुखिया दुष्कर्म नहीं कर सकता अलग-अलग जाति के पुरुष गैंगरेप में शामिल नहीं हो सकते एक पुरुष किसी रिश्तेदार के सामने रेप नहीं कर सकता इस मामले में पुलिस और प्रशासन के रवैए के खिलाफ भंवरी देवी के साथ ही कई महिला संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की जिस पर 13 अगस्त 1997 को सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा गाइडलाइन जारी की इस गाइडलाइन के अनुसार महिला को मर्जी के खिलाफ छूना अश्लील कमेंट करना और अश्लील फिल्म या चित्र दिखाना जैसी बातें यौन हिंसा के दायरे में आती है साल 2000 13 तक दफ्तरों में विशाखा गाइडलाइन के आधार पर ही मामलों को देखा जाता रहा उसके बाद साल 2013 में सेक्सुअल हैरेसमेंट ऑफ वूमेन अट वर्कप्लेस एक्ट आया जिसमें विशाखा गाइडलाइन के अनुसार ही कार्यस्थल में महिलाओं के अधिकार को सुनिश्चित करने की बात कही गई लेकिन खास बात यह है कि आज 26 साल बीत जाने के बावजूद भी भंवरी देवी को न्याय नहीं मिल सका है उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म के 5 आरोपियों में से चार आरोपियों की मौत हो चुकी है तो एक आरोपी और वह आज भी परेशान करने के आरोप लगाती है हालांकि भंवरी साथ में यह भी कहती है कि उन्हीं के संघर्ष का परिणाम था कि आज महिलाओं के लिए इतना कड़ा कानून बना लेकिन भंवरी देवी ने यह दुख भी जताया कि जैसे उनके केस में इतना लंबा समय लगा और अब तक उन्हें न्याय नहीं मिला है कोर्ट सभी केसों को जल्द से जल्द निपटाए तो वही उनकी मांग है कि दुष्कर्म के मामलों में कोर्ट के जरिए आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले ना कि हैदराबाद की तरह पुलिस उन्हें सजा दे लेकिन महिलाओं को इन कानूनों के जरिए न्याय दिलाने वाली भंवरी देवी आज 26 साल बाद भी न्याय के लिए लड़ाई कर रही है उनके आरोप है कि आज भी पांच में से एक आरोपी जो जीवित है वह अब भी उन्हें परेशान करता है तो वही बीसलपुर के लाइन जो उनके गांव में पहुंच गई है उसका पानी का कनेक्शन उन्हें नहीं दिया जा रहा है तो वही गांव में होने वाले शादी विवाह के समारोह में उनका बहिष्कार किया जाता है आना कि वह इस बात की खुशी जताती हैं कि उनके संघर्ष का परिणाम है कि आज महिलाओं के लिए कानून बना लेकिन वह अपनी लड़ाई भी अभी जारी रखेंगे जब तक वह जीवित है
121 भंवरी देवी


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